समसामयिकी 2020/कृत्रिम बुद्धिमत्ता तथा रोबोटिक्स

राज्य सरकारों की पहल सम्पादन

  • तेलंगाना में शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में राज्य निर्वाचन आयोग ने मतदान केंद्रों पर मतदाताओं के सत्यापन और रियल टाइम प्रमाणीकरण के लिये फेशियल रिकॉग्निशन एप का उपयोग मेडचल-मलकाजगिरि (Medchal−Malkajgiri) ज़िले के कोमपल्ली नगरपालिका के चुनिंदा 10 मतदान केंद्रों में पायलट आधार पर किया गया है। इस प्रणाली द्वारा सत्यापन न होने की स्थिति में मतदाताओं को पहचान पत्र की निर्धारित प्रक्रिया के आधार पर आईडी कार्ड का उपयोग कर मतदान करने की अनुमति दी गई। मतदाता पहचान के लिये ली गई तस्वीरों को संग्रहीत या उन्हें किसी अन्य उद्देश्य के लिए उपयोग नहीं किया जाएगा।
भारत में फेशियल रिकॉग्निशन तकनीक

तेलंगाना पुलिस ने इस संदर्भ में वर्ष 2018 में अपना स्वयं का सिस्टम विकसित किया है।

नागरिक उड्डयन मंत्रालय (Ministry of Civil Aviation) ने हवाई अड्डे में प्रवेश के दौरान चेहरे की पहचान करने हेतु "डिजीयात्रा (DigiYatra)" प्लेटफॉर्म की शुरुआत की है।

केंद्रीय वाणिज्य एंव उद्योग मंत्रालय ने ‘रियूनाइट’ (Re-unite) नामक एक मोबाइल एप लॉन्च किया है। इस एप की सहायता से देश में खोए हुए बच्चों का पता लगाने में सहायता मिलेगी।

सेटकॉम तकनीक सम्पादन

राजस्थान सरकार ने शैक्षिक संस्थानों में सीखने के परिणामों में वृद्धि करने और सामाजिक कल्याण योजनाओं के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिये बड़े पैमाने पर उपग्रह संचार तकनीक (Satellite Communication Technology-Satcom) का उपयोग शुरू किया है। राजस्थान सरकार द्वारा इस पहल में नीति आयोग (NITI Aayog) द्वारा चयनित पाँच आकांक्षी ज़िलों को प्राथमिकता दी जा रही है। राजस्थान के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने दूरदराज़ के क्षेत्रों में (जहाँ इंटरनेट की सुविधा नहीं हैं) सरकारी योजनाओं का लाभ पहुँचाने तथा सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में विषय विशेषज्ञों की सेवाएँ प्राप्त करने के लिये ‘रिसीव ऑनली टर्मिनल्स’ (Receive Only Terminals-ROT) एवं ‘सैटेलाइट इंटरेक्टिव टर्मिनल्स’ (Satellite Interactive Terminals-SIT) की सुविधा प्रदान करने हेतु यह पहल की है। रिसीव ऑनली टर्मिनल्स ऐसे उपकरण होते हैं, जिनके द्वारा डेटा को स्वीकार किया जा सकता है, परंतु ये स्वंय डेटा निर्माण में अक्षम होते हैं। ऐसे उपकरणों के माध्यम से दूरदराज़ के क्षेत्रों में विभिन्न जानकारियाँ पहुँचाने में सहायता मिलती है।

सैटेलाइट इंटरेक्टिव टर्मिनल्स एक छोटे प्रकार का ‘सैटेलाइट डिश’ (Satellite Dish) होता है।

यह ‘सैटेलाइट टेलीविज़न के समान होता है, परंतु इसमें एक ‘रेडियो फ्रीक्वेंसी मॉड्यूलर’ (Radio Frequency Moduler) लगा होता है जो कि रेडियो तरंगों को प्राप्त कर सकता है तथा उन्हें वापस भी भेज सकता है। पहल का विस्तार क्षेत्र: पहले चरण के दौरान इस तकनीक का उपयोग विभिन्न विभागों, जैसे शिक्षा, उच्च शिक्षा, समाज कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण, महिला एवं बाल विकास और आदिवासी क्षेत्र के विकास के तहत आने वाले लगभग 2,000 संस्थानों में किया जाएगा। विषय विशेषज्ञों की उपलब्धता तथा अन्य विशेषताएँ: सरकारी शिक्षण संस्थानों में अंग्रेज़ी और विज्ञान विषयों का अध्ययन करने वाले छात्रों को ROT और SIT के माध्यम से विषय विशेषज्ञों की सेवाएँ उपलब्ध कराई जाएंगी। दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं में बेहतर परिणाम पाने के लिये छठी कक्षा से बारहवीं तक के छात्रों के बीच अंग्रेज़ी और विज्ञान विषयों का स्तर बढ़ाया जाएगा। इस नए कार्यक्रम की सुविधा सभी 134 मॉडल विद्यालयों, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों, समाज कल्याण विभाग के छात्रावासों, बालगृहों और प्रत्येक ज़िले के सरकारी कॉलेजों के छात्रों को प्रदान की जाएगी। विशेष रूप से शिक्षकों की कमी से जूझ रहे संस्थानों के छात्रों को सेटकॉम तकनीक के माध्यम से सहायता मिलेगी। इस पहल में नीति आयोग द्वारा चयनित पाँच आकांक्षी ज़िलों- करौली, धौलपुर, बारां, जैसलमेर और सिरोही पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इन ज़िलों में वृद्धाश्रम और बालगृहों में भी उपग्रह संचार संबंधी उपकरण लगाए जाएंगे। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा संचालित आठ सामुदायिक रेडियो स्टेशनों से इन ज़िलों में शिक्षा से संबंधित योजनाओं को प्रसारित किया जाएगा। सेटकॉम तकनीक: पृथ्वी पर विभिन्न स्थानों के बीच संचार लिंक प्रदान करने के लिये कृत्रिम उपग्रहों का उपयोग करना ही ‘उपग्रह संचार तकनीक’ कहलाता है। उपग्रह संचार वैश्विक दूरसंचार प्रणाली में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रसारण मंत्रालय की पहल सम्पादन

‘केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रसारण मंत्रालय’ और ‘आईटी उद्योग’ द्वारा संयुक्त रूप से विकसित, www.ai.gov.in नामक भारत का राष्ट्रीय कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) पोर्टल लॉन्च किया गया। Meit के राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस डिवीज़न और आईटी उद्योग निकाय ‘नैसकॉम’ (NASSCOM) मिलकर इस पोर्टल को चलायेंगे। नैसकॉम (National Association of Software and Services Companies -NASSCOM) भारत के सूचना प्रौद्योगिकी तथा बीपीओ का एक व्यापारिक संघ है। इसकी स्थापना वर्ष 1988 में हुई थी। यह एक लाभ-निरपेक्ष (non-profit) संस्था है। यह पोर्टल भारत में AI से संबंधित संसाधनों के साझाकरण करने हेतु भारत में AI से संबंधित विकास के लिये एक ‘स्टॉप डिजिटल प्लेटफॉर्म’ के रूप में काम करेगा। यह पोर्टल दस्तावेज़ों, केस स्टडी, शोध रिपोर्टों आदि को भी साझा करेगा। इस अवसर पर इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने युवाओं के लिये एक राष्ट्रीय कार्यक्रम ‘युवाओं के लिये ज़िम्मेदार AI’ भी लॉन्च किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य देश के युवा छात्रों को एक मंच प्रदान करना है और उन्हें नए युग के तकनीकी दिमाग, प्रासंगिक AI कौशल विकास एवं आवश्यक AI टूल-सेट तक पहुँच प्रदान करना है ताकि उन्हें भविष्य के लिये डिजिटल रूप से तैयार किया जा सके।

  • भारत के साइबर क्राइम अधिकारी उन एप और वेबसाइटों पर नज़र रख रहे हैं जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) एल्गोरिदम का उपयोग करके आम लोगों की नग्न तस्वीरें बनाते हैं। कंप्यूटर की सहायता से बनाई गई नग्न तस्वीरों और वीडियो को डीप न्यूड कहा जाता हैं। साइबर अपराधी कृत्रिम बुद्धिमत्ता सॉफ्टवेयर की मदद से वीडियो, ऑडियो और तस्वीरों पर नग्न सामग्री अध्यारोपित कर देते हैं।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता एल्गोरिदम का उपयोग कर किसी व्यक्ति के बोलने के तरीके, सिर तथा चेहरे की गतिविधियों को किसी अन्य व्यक्ति के साथ अध्यारोपित कर देने से यह बताना मुश्किल हो जाता है कि यह वीडियो/तस्वीरें सही हैं या गलत। कंप्यूटर द्वारा तैयार की गईं इन वीडियो/तस्वीरों की सत्यता की जाँच गहन विश्लेषण से ही की जा सकती है। वर्ष 2017 में पहली बार एक व्यक्ति द्वारा ‘डीप फेक’ (Deepfake) नाम से अकाउंट बनाकर सोशल मीडिया पर नग्न सामग्री पोस्ट की गई तत्पश्चात दुनियाभर में इस तरह के एप और वेबसाइटों को बनाने का चलन बढ़ गया। इनमें से प्रमुख एप फेसएप (FaceApp) और डीप न्यूड (Deep Nude) हैं।

भारत में रोबोटिक्स सम्पादन

ऑल इंडिया काउंसिल फॉर रोबोटिक्स एंड ऑटोमेशन (All India Council for Robotics and Automation- AICRA) ने एक नई पहल 'टेक स्टार्टअप प्रोग्राम' शुरू करने की घोषणा की है। यह भारत में रोबोटिक्स एवं रोबोटिक्स प्रोसेस ऑटोमेशन (RPA) पर कार्यरत स्टार्टअप्स (Startups) एवं अन्य आरंभिक चरण के अडॉप्टर (Adopters) निकायों के लिये संपोषक वातावरण के रूप में कार्य करेगा। RPA एक प्रौद्योगिकी क्षमता है जिसके द्वारा उद्यमों में परिचालन को सुव्यवस्थित किया जाता है। यह उपयोगकर्त्ताओं को अपने नीरस और दुरूह प्रक्रियाओं को स्वचालित करने की अनुमति भी देता है, जिससे उपयोगकर्ताओं को उच्च मूल्यवर्द्धक कार्यों के माध्यम से अपनी उत्पादकता बढ़ाने में मदद मिलती है।

ऑल इंडिया काउंसिल फॉर रोबोटिक्स एंड ऑटोमेशन गैर-लाभकारी (नॉट-फॉर-प्रॉफिट) संस्था है जिसकी स्थापना 2014 में की गई। यह रोबोटिक्स एवं ऑटोमेशन और शिक्षा उद्योग में मानक निर्धारित करता है, संगठनों और पेशेवरों को कठिन तकनीकी समस्याओं के समाधान में मदद करता है, जबकि साथ ही उनके नेतृत्व और व्यक्तिगत कैरियर क्षमताओं में वृद्धि लाता है। यह विभिन्न गतिविधियों में संलग्न है और इसने भारत में रोबोटिक्स एवं ऑटोमेशन के लिये एक पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने और उसके निर्माण के लिये कई कार्यक्रम शुरू किये हैं।
‘टेक स्टार्टअप प्रोग्राम’ के प्रमुख बिंदु
  1. हाल ही में Technoxian 2019 में अपने एक B2C (बिज़नेस-टू-कंज़्यूमर) आयोजन में AICRA ने ‘टेक स्टार्टअप प्रोग्राम’ की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य सभी नई कंपनियों और तकनीकी नवाचारों के लिये इच्छुक नए लोगों को सहयोग व लाभ देना है।
  2. टेक स्टार्टअप प्रोग्राम स्टार्टअप के लिये निम्नलिखित बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु सहायता प्रदान करता है-

प्रशासनिक सहयोग: इसके अंतर्गत एक प्रणाली का निर्माण किया गया है जिसमें विभिन्न ऊर्ध्वाधर स्तरों पर कॉर्पोरेट सदस्य, शिक्षाविद सदस्य, B2C सदस्य जैसे बहुत से सदस्य शामिल हैं जो स्टार्टअप को प्रत्यक्ष लक्ष्य समूह से जुड़ने में सक्षम बनाता है। वित्तीय सहयोग: इसके अंतर्गत बहुत से Venture Capitalists के साथ साझेदारी की है ताकि वित्त-संचयन (Fund Raising) में स्टार्टअप कंपनियों को मदद मिल सके। इसके अतिरिक्त AICRA और कंपनियों के बीच विभिन्न स्तरों पर तालमेल बनाया जा सकता है, जैसे- AICRA किसी कंपनी का शेयरधारक हो सकता है या उसे ऋण दे सकता है और इस प्रकार विभिन्न विकल्पों के मार्ग खुलते हैं। प्रौद्योगिकीय सहयोग: यह क्षेत्र विशेषज्ञों और उद्योग क्षेत्र की भागीदार कंपनियों (जो सभी प्रकार के प्रौद्योगिकीय एवं अवसंरचनात्मक ज्ञान और सहायता प्रदान करेंगे) की मदद से स्टार्टअप्स को प्रौद्योगिकीय मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करता है।

Technoxian, AICRA द्वारा आयोजित किया जाने वाला एक Edutech Expo है। यह नवाचार, रोबोटिक्स, ऑटोमेशन एवं कई अन्य आकर्षक चुनौतियाँ आधारित इंजीनियरिंग प्रतिस्पर्द्धाओं से संबंधित विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेने का वैश्विक अवसर प्रदान करता है।

भारत सरकार ने नई दिल्ली में मेगा इवेंट ‘सामाजिक सशक्तीकरण के लिये ज़िम्मेदार ए.आई’ (Responsible AI for Social Empowerment- RAISE 2020) के आयोजन की घोषणा की है। सम्पादन

RAISE 2020 के बारे में यह सामाजिक सशक्तीकरण में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका पर आधारित पहला मेगा इवेंट है, इसका आयोजन नई दिल्ली में अप्रैल 2020 में किया जाएगा। इस इवेंट में भारत के विज़न और ज़िम्मेदार एआई के माध्यम से सामाजिक सशक्तीकरण, समावेश और परिवर्तन हेतु आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर रोड मैप बनाने के लिये एक वैश्विक बैठक का आयोजन किया जाएगा। यह भारत का पहला आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस शिखर सम्मेलन है जिसे सरकार द्वारा उद्योग एवं शिक्षा जगत के साथ साझेदारी में आयोजित किया जाएगा। इस शिखर सम्मेलन में एआई को सामाजिक सशक्तीकरण हेतु उपयोग करने के लिये एक पाठ्यक्रम चार्टर और स्वास्थ्य, कृषि, शिक्षा एवं स्मार्ट मोबिलिटी जैसे प्रमुख क्षेत्रों में समावेश एवं परिवर्तन के लिये विचारों का आदान-प्रदान किया जाएगा। यह डिजिटल युग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को नैतिक रूप से विकसित एवं अभ्यास करने की आवश्यकता के बारे में व्यापक जागरूकता बढ़ाने के लिये विचारों के आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करेगा।

  • ISRO) ने मानवयुक्त गगनयान मिशन हेतु एक अर्द्ध-मानवीय (Half-Humanoid) रोबोट ‘व्योममित्र’ को लॉन्च किया है। 22 जनवरी को बंगलूरू में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO), इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ एस्ट्रोनॉटिक्स (IAA) और एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (ASI) के पहले सम्मलेन में इसरो द्वारा निर्मित इस अर्द्ध-मानवीय महिला रोबोट ने अपना परिचय दिया। ज्ञातव्य है कि यह सम्मलेन 24 जनवरी को संपन्न हुआ, जिसका विषय ‘मानवयुक्त अंतरिक्षयान एवं खोज: वर्तमान चुनौतियाँ तथा भविष्य के घटनाक्रम’ (Human Spaceflight and Exploration – Present Challenges and Future Trends) था।

दिसंबर 2021 के अपने बहुप्रत्याशित कार्यक्रम ‘गगनयान मिशन’ से पहले इसरो प्रायोगिक रूप से दो मानवरहित गगनयान अंतरिक्ष में भेजेगा। इसरो इन दो मानवरहित कार्यक्रमों में चालक दल के सदस्यों के स्थान पर अर्द्ध-मानव (Half-Humanoid) व्योममित्र को अंतरिक्ष में भेजेगा। यह महिला रोबोट अंतरिक्ष में इंसानों की तरह काम करेगी और जीवन प्रणाली की संरचना पर नज़र रखेगी।

‘व्योममित्र’ शब्द संस्कृत भाषा के दो शब्दों ‘व्योम’ और ‘मित्र’ से मिलकर बना है, जिसका अर्थ क्रमश: अंतरिक्ष एवं मित्र है। इसरो द्वारा विकसित अर्द्ध-मानव (Half-Humanoid) का यह प्रोटोटाइप (Prototype) एक महिला रोबोट है। इसे हाफ-ह्यूमनॉइड (Half-Humanoid) इसलिये कहा जा रहा है क्योंकि इसके पैर नहीं हैं, यह सिर्फ आगे (Forward) और अगल-बगल (Sides) में झुक सकती है। इसे मानवीय गतिविधियों को समझने और उन पर प्रतिक्रिया देने के लिये सेंसर, कैमरा, स्पीकर, माइक्रोफोन और एक्चुएटर्स जैसी तकनीकी से सुसज्जित किया गया है।

व्योममित्र के कैमरा, स्पीकर और माइक्रोफोन रोबोट में लगे सेंसर से नियंत्रित होते हैं। एक्चुएटर एक तरह की मोटर होती है, जो रोबोट को झुकने, हाथ व उँगलियों को चलाने में मदद करती है। ‘व्योममित्र’ अभियान के दौरान अंतरिक्षयान के अंदर निम्नलिखित गतिविधियाँ करने में सक्षम है: व्योममित्र अपने अभियान के दौरान अंतरिक्ष के वातावरण और गगनयान के यंत्रों की निगरानी करेगी तथा इससे संबंधित सटीक जानकारी नियंत्रण केंद्र से साझा करेगी। व्योममित्र लोगों से बात कर सकती है और उन्हें पहचान भी सकती है अर्थात अभियान के दौरान यह अंतरिक्ष यात्रियों को पहचानने, उनसे बात करने के साथ ही उनके प्रश्नों के उत्तर दे सकती है। यह महिला रोबोट अभियान के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों की तरह उनके कामकाज जैसे- पैनल ऑपरेशन, स्विच ऑपरेशन, क्रू-मॉड्यूल पैरामीटर्स, चेतावनी देने और पर्यावरण नियंत्रण तथा जीवन रक्षक प्रणाली (Environmental Control and Life Support System-ECLSS) से संबंधित गतिविधियाँ आदि की नकल कर सकती है। इसके अतिरिक्त यह रोबोट वायुमंडलीय दबाव, ऑक्सीजन की जाँच करना और कार्बन डाईऑक्साइड (CO2) सिलेंडर बदलने से लेकर विषम परिस्थितियों में आपातकालीन प्रक्रियाओं का पालन कर अभियान को सुरक्षित रोकने में भी सक्षम है। यह रोबोट अंतरिक्ष में विकिरण के उच्च स्तर या अधिक तापमान वाले असामान्य वातावरण में भी कार्य करने और बिना थके लगातार अनुसंधान करने में सक्षम है। यह अंतरिक्ष में कुछ परीक्षण करेगी और इसरो के नियंत्रण कक्ष से लगातार संपर्क में रहेगी। गगनयान अभियान में व्योममित्र की उपयोगिता गगनयान अभियान के लिये महिला रोबोट ‘व्योममित्र’ की भूमिका बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। इसरो के निदेशक के अनुसार, गगनयान अभियान का उद्देश्य अंतरिक्ष में भारत का पहला मानवयान भेजना ही नहीं बल्कि निरंतर मानव गतिविधियों के लिये एक नया अंतरिक्ष केंद्र स्थापित करना भी है।

गगनयान अभियान के लिये अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने महत्त्वपूर्ण प्रोद्योगिकी विकसित कर ली है।

इसमें निचली कक्षा में 10 टन भार क्षमता वाला संचालनात्मक प्रक्षेपक (Launcher) का विकास भी शामिल है। इस योजना के अंतर्गत इसरो द्वारा मानव जीवन विज्ञान और जीवन रक्षा प्रणाली (Life Support System) जैसी तकनीकों का विकास भी किया जा रहा है।

इसरो ने गगनयान अभियान के लिये कई राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं (जैसे- DRDO और CSIR आदि), विभिन्न अकादमिक संस्थाओं और भारतीय वायुसेना को पक्षकार बनाया है। वायुसेना के टेस्ट पायलटों में से अंतरिक्ष यात्रियों का चयन भी कर लिया गया है, वे रूस में इस महीने के आखिर में प्रशिक्षण शुरू करेंगे। गगनयान अभियान पर 10 हज़ार करोड़ रुपए खर्च होंगे, अभियान के निर्धारित लक्ष्यों के तहत भारत अपने कम-से-कम तीन अंतरिक्ष यात्रियों को 5-7 दिनों के लिये अंतरिक्ष में भेजेगा जहाँ वे अलग-अलग माइक्रो ग्रैविटी टेस्ट को अंजाम देंगे।

गगनयान मिशन गगनयान का प्रक्षेपण इसरो के सबसे शक्तिशाली राॅकेट GSLV Mark-III द्वारा किया जायेगा, यह अंतरिक्षयान तीन यात्रियों को अंतरिक्ष में ले जाने में सक्षम है। इस योजना के तहत एक नियोजित अंतरिक्षयान को अपग्रेड किये गए संस्करण की डाॅकिंग क्षमता से लैस किया जाएगा। अपने पहले मानवयुक्त अभियान में गगनयान में 3.7 टन के कैप्सूल में तीन लोगों के दल को ले जाने की क्षमता होगी। इस अभियान में यान 7 दिनों के लिये 400 किमी. की ऊँचाई पर अंतरिक्ष में पृथ्वी की परिक्रमा करेगा। अंतरिक्ष कैप्सूल में जीवन नियंत्रण और पर्यावरण नियंत्रण जैसी प्रणालियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसरो के बंगलूरू स्थित ट्रेकिंग कमांड सेंटर से गगनयान की 24 घंटे निगरानी की जाएगी। इसरो के अनुसार, गगनयान रूस, चीन और नासा के ओरियन यान और अपोलो कैप्सूल से छोटा परंतु अमेरिका के जैमिनी यान से थोड़ा बड़ा होगा। इस अभियान से जुड़ी ज़रूरी महत्त्वपूर्ण तकनीकों का विकास हो चुका है। भारत अपने अंतरिक्ष यात्रियों को व्योमनॉट्स नाम देने की योजना बना रहा है। इस महत्त्वाकांक्षी परियोजना की एक और खास बात यह है कि इस पूरे अभियान की कमान एक महिला के हाथ में होगी, इसरो के इस अभियान का नेतृत्व वैज्ञानिक वी.आर. ललिताम्बिका (V.R. Lalithambika) करेंगी। भारत के पहले मानवीय अंतरिक्ष मिशन के लिये इसरो के वैज्ञानिक काफी उत्साहित हैं, इसरो निदेशक के. शिवन के अनुसार, गगनयान मिशन चुनौतीपूर्ण है लेकिन इसरो इस लक्ष्य को भी हासिल करने की क्षमता रखता है। गगनयान से जुड़े शुरुआती अध्ययन और तकनीकी के विकास का काम वर्ष 2006 में ही ऑर्बिटल विकल (Orbital Vikal) नाम से शुरू हो गया था। इसके डिज़ाइन को मार्च 2008 में पूरा कर भारत सरकार के पास फंडिंग के लिये पेश किया गया था। अन्य देशों में ह्यूमनॉइड (Humanoid) का प्रयोग: अंतरिक्ष अभियानों में पहले ह्यूमनॉइड रोबोट का इस्तेमाल केवल अनुसंधानों के लिये किया जाता था परंतु पिछले कुछ समय से इन्हें इंसानों के सहायक के रूप में भी इस्तेमाल किया जा रहा है।

अब तक कई देशों ने ह्यूमनॉइड बनाएं हैं:

अगस्त 2019 में रूस ने मानवरहित राकेट के माध्यम से रोबोट फेडोर को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर भेजा था। फेडोर ने रूसी अंतरिक्ष यात्रियों की मदद की थी, इस रोबोट की लंबाई 5 फीट 11 इंच और वज़न 160 किग्रा. था। वर्ष 2018 में साइमन (Cimon) नामक एक रोबोट को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर भेजा गया था यह रोबोट अमेरिकी कंपनी एयरबस द्वारा बनाया गया था। इससे पहले अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने वर्ष 2011 में रोबोनाॅट-2 को अंतरिक्ष में भेजा था। वर्ष 2013 में जापान ने किरोबो (Kirobo) नामक एक छोटे रोबोट को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर भेजा था, 13 इंच के इस रोबोट को अंतरिक्ष यात्री कोचि वकाटा (Koichi Wakata) के सहयोगी के रूप में अंतरिक्ष में भेजा गया था।

रोबोटिक्स के क्षेेत्र में वैश्विक पहल सम्पादन

  • नासा (NASA) मार्स 2020 रोवर के लिये सात उपकरणों में एक नया लेज़र-टोटिंग रोबोट सुपरकैम (SuperCam) भेजेगा। इस रोबोट का उपयोग खनिज विज्ञान एवं रसायन विज्ञान के अध्ययन के लिये किया जाता है।

इस रोबोट द्वारा वैज्ञानिकों को मंगल ग्रह पर जीवाश्म खोजने में मदद मिलेगी जिससे माइक्रोबियल जीवन के संकेतों का पता लगाया जा सकता है। यह रोबोट चट्टान के छोटे हिस्सों को पिघलाने के लिये 7 मीटर की दूरी से एक स्पंदित लेज़र बीम भेज सकता है जिससे यह जानकारी मिलती है कि उस चट्टान में जीवाश्म हैं या नहीं। सुपरकैम उन चट्टानी संरचना एवं रसायनों का अध्ययन करेगा जो कई वर्षों पहले मंगल ग्रह पर जल में गठित या परिवर्तित हुए थे। सुपरकैम विभिन्न चट्टानों एवं मिट्टी के प्रकारों को खोजने में मदद करेगा जो मंगल ग्रह पर कई वर्षों पहले माइक्रोबियल जीवन के संकेतों को संरक्षित कर सकते हैं। भविष्य में इसकी सहायता से मंगल ग्रह की धूल में निहित हानिकारक तत्त्वों के विषय में भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है। सुपरकैम में एक माइक्रोफोन भी शामिल है जिसकी सहायता से वैज्ञानिक हर बार लेज़र बीम के चट्टान से टकराने की ध्वनि सुन सकेंगे। लेज़र बीम के लक्ष्य से टकराने से निकलने वाला पॉपिंग साउंड चट्टान के भौतिक गुणों के आधार पर आसानी से परिवर्तित हो जाता है।

  • एंगुइला (Anguilla)कैरेबियन सागर का द्वीप है। जिसने दो नवीन प्रौद्योगिकियों (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और वैनिटी यूआरएल) के माध्यम से वित्तीय लाभ कमाया है। ‘AI’ एंगुइला का ‘कंट्री कोड’ है और यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) का एक संक्षिप्त रूप भी है।

जब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस स्टार्टअप या कोई बड़ी कंपनी या कोई निवेशक द्वारा इंटरनेट एड्रेस जो कि ‘.ai’ के साथ समाप्त होता है,पंजीकृत या नवीनीकृत करवाया जाता है तो इस द्वीप को वार्षिक रूप से 50 डाॅलर का शुल्क उन स्टार्टअप्स,कंपनियों या निवेशकों से मिलता है जो ज़्यादातर एंगुइला के सरकारी राजकोष में जमा होता है।

वैनिटी यूआरएल (Uniform Resource Locator- URL) एक अनूठा वेब एड्रेस है जिसका उपयोग मार्केटिंग उद्देश्यों को पूरा करने के लिये किया जाता है। यह एक प्रकार का कस्टम यूआरएल है जो उपयोगकर्त्ताओं को किसी एक वेबसाइट के विशिष्ट पृष्ठ को याद रखने और खोजने में मदद करता है।
एंगुइला पूर्वी कैरेबियन सागर में स्थित एक ब्रिटिश समुद्रपारीय द्वीप है अर्थात इस पर ब्रिटेन का अधिकार है।

कैरेबियन सागर अटलांटिक महासागर का एक भाग है जो मैक्सिको की खाड़ी के दक्षिण-पूर्व में है। इसका निर्माण मूँगा एवं चूना पत्थर से हुआ है और यहाँ की जलवायु उष्णकटिबंधीय है। एंगुइला की अधिकांश आबादी अफ्रीकी मूल की है जिनमें अधिकतर लोग ईसाई धर्म को मानते हैं। अर्थव्यवस्था: यहाँ की अर्थव्यवस्था पर्यटन और वित्तीय सेवाओं पर आधारित है, जबकि कृषि का महत्त्व बहुत कम है। अन्य द्वीप:-डॉग (Dog),स्क्रब (Scrub) और सोम्ब्रेरो (Sombrero) और प्रिकली पीयर काय्स (Prickly Pear Cays) हैं।

  • ज़ेनोबोट्स (Xenobots)संयुक्त राज्य अमेरिका के वैज्ञानिकों द्वारा निर्मित दुनिया का पहला ‘जीवित रोबोट’है। इसका निर्माण नोकदार पंजे वाले अफ्रीकी मेंढक की कोशिकाओं से किया गया है। मेंढक के भ्रूण से स्क्रैप की गई जीवित कोशिकाओं को फिर से तैयार किया है और उन्हें पूरी तरह से नया रुप दिया है।

इस रोबोट का नाम नाइजीरिया एवं सूडान से दक्षिण अफ्रीका तक के उप-सहारा अफ्रीकी क्षेत्र में पाए जाने वाले जलीय मेंढक की प्रजाति ज़ेनोपस लाविस (Xenopus laevis) के नाम पर रखा गया है। ज़ेनोपस लाविस (Xenopus laevis): ज़ेनोपस अफ्रीकी मेंढकों की एक प्रजाति है जिसे आमतौर पर नोकदार पंजे वाले अफ्रीकी मेंढक के रूप में जाना जाता है। ज़ेनोपस की दो प्रजातियाँ (ज़ेनोपस लाविस और ज़ेनोपस ट्रॉपिकलिस) जीव विज्ञानियों द्वारा उपयोग की जाती हैं। ये दोनों प्रजातियाँ पूरी तरह से जलीय हैं और इनको कैद में रखना आसान है। ज़ेनोपस एक उपयोगी उपकरण की तरह है क्योंकि- ये पूरी तरह से जलीय हैं और इनको प्रयोगशाला में कैद रखना आसान है। ये साल भर अंडों का उत्पादन करते हैं। इनके अंडे अनुसंधान कार्य के लिये उपयोगी हैं। इनका भ्रूण कशेरुकी विकास के लिये एक अच्छा मॉडल है। कृषि युग की शुरुआत से ही मानव अपने लाभ के लिये जीव-जंतुओं के साथ छेड़छाड़ करता रहा है और हाल के वर्षों में जीन एडिटिंग द्वारा कुछ कृत्रिम जीवों का निर्माण भी किया गया है। अतः इस नवीनतम शोध की सफलता इस बात पर आधारित है कि पहली बार स्क्रैप की गई जीवित कोशिकाओं से जैविक मशीनों (ज़ेनोबोट्स) का निर्माण किया गया है। विशेषता: ज़ेनोबोट्स पेलोड उठाकर एक लक्ष्य की ओर बढ़ सकते हैं (एक दवा की तरह जो रोगी के अंदर एक विशिष्ट स्थान पर जाने की क्षमता रखती है) और घायल होने पर खुद को ठीक कर सकते हैं। अनुप्रयोग: इन जीवित रोबोटों के कई अनुप्रयोग हैं जैसे- रेडियोधर्मी संदूषण की खोज करना, महासागरों में माइक्रोप्लास्टिक को इकट्ठा करना आदि।

  • नियॉन (NEON) नामक विश्व का पहला कृत्रिम मानव संयुक्त राज्य अमेरिका के लास वेगास में आयोजित वार्षिक उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स शो 2020में पेश किया गया । इसे सैमसंग कंपनी की स्टार लैब के सीईओ प्रणव मिस्त्री (भारतीय वैज्ञानिक) की अध्यक्षता में बनाया गया है।
नियॉन (NEON) शब्द NEO (नया) + humaN (मानव) से मिलकर बना है।

अभी इसे उपयोगकर्त्ता द्वारा नियंत्रित करने पर आभासी मानवीय भावनाओं को प्रदर्शित करता है किंतु आगे NEON को पूरी तरह से स्वायत्त रुप से संचालित किया जायेगा जिससे यह भावनाओं को प्रदर्शित करने,कौशल सीखने,स्मृति का निर्माण करने और स्वतः निर्णय लेने के लिए प्रतिबद्ध होगा। एक आभासी मानव (Virtual Human) कृत्रिम बुद्धि के साथ कंप्यूटर जनित मानव प्रतिरूप तंत्र है। एक आभासी मानव में एक कंप्यूटर जनित मानव जैसी शारीरिक प्रणाली और कंप्यूटर जनित आवाज़ एवं सशक्त इंद्रियाँ होती हैं। आभासी मानव का उपयोग शिक्षा, विपणन, ब्रांडिंग, प्रशिक्षण और बिक्री जैसे विभिन्न क्षेत्रों किया जा सकता है।

नियॉन, कोरR3 (CoreR3) तकनीक पर आधारित है। इसका तात्पर्य विश्वसनीयता (Reliability),रियल टाइम (Real Time) और प्रतिक्रिया (Response)है। इस तकनीक के द्वारा नियॉन पल भर में प्रतिक्रिया देने में समर्थ है।