समसामयिकी 2020/चर्चित शब्द,देश या स्थान
- प्रथम विश्व युद्ध की प्रमुख घटनाओं में से एक ऑपरेशन अलबेरिख (Operation Alberich) पर आधारित फिल्म ‘1917’ को भारत में रिलीज किया गया। यह फिल्म प्रथम विश्व युद्ध के दौरान दो ब्रिटिश सैनिकों की कहानी पर आधारित है जिन्हें संदेश पहुँचाने के लिये खतरनाक क्षेत्र से गुज़रने का मिशन दिया जाता है।
- ऑपरेशन अलबेरिख :-प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) में मित्र राष्ट्रों (फ्राँस,ब्रिटेन,रूस,इटली,जापान,संयुक्त राज्य अमेरिका) ने धुरी राष्ट्रों (जर्मनी, आस्ट्रिया, हंगरी, तुर्की) को हराया था।
पश्चिमी मोर्चे पर जर्मनी के सबसे महत्त्वपूर्ण अभियानों में से एक,यह ऑपरेशन फरवरी 1917 से मार्च 1917 के मध्य चलाया गया था। यह अभियान झुलसती पृथ्वी नीति (Scorched Earth Policy) नामक सैन्य रणनीति के तहत चलाया गया था। जिसका उद्देश्य दुश्मन को पीछे हटने पर मजबूर करने के लिये किसी भी चीज़ को नष्ट करना है। इसके तहत धुरी राष्ट्रों द्वारा मित्र राष्ट्रों की सभी उपयोगी चीज़ों को नष्ट करने की योजना बनाई गई थी जिनमें गाँव,सड़क,पुल और इमारतें शामिल थीं।
- अंतर्राष्ट्रीय विश्वकोश के अनुसार,इस ऑपरेशन के तहत जर्मन सेना द्वारा एक नवनिर्मित रक्षा पंक्ति से पीछे हटने का फैसला लिये जाने के बाद फ्राँस के 1500 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में व्यवस्थित तरीके से विनाश किया गया।
जर्मन सैन्य नेतृत्व ने फैसला किया कि युद्ध को अस्थायी रूप से छोटा और अधिक रक्षात्मक हिंडनबर्ग लाइन की तरफ स्थानांतरित करना चाहिये। उपरोक्त रणनीति के तहत लगभग 130 किलोमीटर लंबी हिंडनबर्ग लाइन (जिसे जर्मनों द्वारा सिगफ्रीड (Siegfried Line) लाइन कहा जाता है।) के निर्माण की योजना सितंबर 1916 में शुरू हुई और इसे चार महीनों में पूरा कर लिया गया। इससे फ्राँस-जर्मनी की सीमा पर जर्मनी की किलेबंदी हो गई। इसे युद्ध के दौरान की सबसे बड़ी सैन्य निर्माण परियोजना माना जाता है। इस निर्माण के दौरान नागरिकों को उस क्षेत्र से विस्थापित होने पर मजबूर किया गया।
- इस ऑपरेशन से जर्मनी को सामरिक सफलता हासिल हुई क्योंकि जर्मनी के इस कदम ने मित्र राष्ट्रों को आश्चर्यचकित कर दिया किंतु इस ऑपरेशन से हुए विनाश के लिये जर्मनी की काफी आलोचना हुई।
वर्साय की संधि और ऑपरेशन अलबेरिख का जिक्र: जर्मनी के इस कदम का मित्र राष्ट्रों ने विश्व में खूब प्रचार प्रसार किया और इसे ‘हुन बर्बरवाद’ (Hun Barbarism) के उदाहरण के तौर पर प्रस्तुत किया। युद्ध खत्म होने के बाद वर्साय की संधि पर हस्ताक्षर किये गए जिसमें मित्र राष्ट्रों ने जर्मनी पर दंडात्मक क्षतिपूर्ति के लिये अपने दावों को वैध ठहराने में ऑपरेशन अलबेरिख का जिक्र किया।
विश्व के चर्चित स्थान
सम्पादन- दक्षिणी प्रशांत महासागर में अवस्थित फ्राँसीसी उपनिवेश ‘न्यू कैलेडोनिया’ (New Caledonia) में हुए जनमत संग्रह में 53.25% लोगों ने फ्राँस से अलग न होने का समर्थन किया है। 4 अक्तूबर, 2020 को हुए जनमत संग्रह में कुल 85.6% लोगों ने मतदान किया। इससे पहले वर्ष 2018 में हुए जनमत संग्रह में 56.4% लोगों ने फ्राँस के साथ बने रहने का समर्थन किया था, जबकि 43.6% लोगों ने फ्राँस से अलग एक स्वतंत्र ‘न्यू कैलेडोनिया’ के पक्ष में मतदान किया। यह जनमत संग्रह वर्ष 1998 में स्थानीय संघर्ष को नियंत्रित करने के लिये किये गए ‘नौमिया समझौते’ (Noumea Accord) का हिस्सा है।
- इससे पहले फ्राँस के उपनिवेश रहे ‘ज़िबूती’ (Djibouti) और ‘वनुआतू’ (Vanuatu) में क्रमशः वर्ष 1977 और वर्ष 1980 में हुए जनमत संग्रह में स्थानीय लोगों ने फ्राँस से अलग होने का समर्थन किया था।
महत्त्व: इस क्षेत्र में सर्वाधिक प्रति व्यक्ति आय होने के साथ ही न्यू कैलेडोनिया खनिज संसाधनों में भी समृद्ध माना जाता है। विश्व में ज्ञात कुल निकल (Nickel) धातु भंडार का लगभग 10%न्यू कैलेडोनिया में मौजूद है। निकल इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में प्रयोग किया जाने वाला एक महत्त्वपूर्ण घटक है, जिसके कारण फ्राँस द्वारा इस क्षेत्र को एक रणनीतिक, राजनीतिक और आर्थिक महत्त्व की संपत्ति के रूप में देखा जाता है। वर्तमान में इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती सक्रियता के बीच यह द्वीप सामरिक दृष्टि से फ्राँस के लिये बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। न्यू कैलेडोनिया के निर्यात (अधिकांशतः निकल धातु) का एक बड़ा हिस्सा चीन को किया जाता है। ‘ज़िबूती’ (Djibouti) और ‘वनुआतू’ (Vanuatu) की स्वतंत्रता के बाद फ्राँस के लिये वैश्विक परिदृश्य में अपनी सैन्य तथा सामरिक स्थिति को मज़बूत करने के लिये ‘न्यू कैलेडोनिया’ की भूमिका महत्त्वपूर्ण हो गई है। न्यू कैलेडोनिया (New Caledonia): वर्ष 1774 में ब्रिटिश खोजकर्त्ता जेम्स कुक (James Cook) ने स्कॉटलैंड के लैटिन नाम ‘कैलेडोनिया’ के आधार पर इस द्वीप को न्यू कैलेडोनिया का नाम दिया। वर्ष 1853 में फ्राँस के शासक ‘नेपोलियन तृतीय’ (Emperor Napoleon-III) ने ‘न्यू कैलेडोनिया’ को जीत लिया और कई दशकों तक इसका प्रयोग एक जेल कालोनी (Prison Colony) के रूप में किया जाता रहा। वर्तमान में इस द्वीप पर रहने वाले लोगों की कुल संख्या लगभग 2,70,000 है। इसमें से स्थानीय मूल के ‘कनक’ (Kanak) लोगों की आबादी कुल जनसंख्या का लगभग 39% है, जबकि यूरोपीय मूल के लोगों की आबादी लगभग 27% है। प्रशासन: ‘न्यू कैलेडोनिया’, संयुक्त राष्ट्र संघ के 17 'गैर-स्वशासित क्षेत्रों' (Non-Self Governing Territories) में से एक है, जहाँ अभी तक वि-उपनिवेशीकरण की प्रक्रिया पूरी नहीं की जा सकी है। संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अध्याय-XI के तहत ‘गैर-स्वशासित क्षेत्रों को ऐसे क्षेत्रों/प्रांतों के रूप में परिभाषित किया गया है, जहाँ के लोगों को पूर्ण स्व-शासन का अधिकार नहीं प्राप्त है। न्यू कैलेडोनिया के अतिरिक्त इसके तहत ब्रिटिश वर्जिन द्वीप समूह, बरमूडा, पश्चिमी सहारा आदि को शामिल किया गया है। ‘न्यू कैलेडोनिया’ में शक्ति साझाकरण के सिद्धांत पर बनी एक कार्यपालिका है, जिसका चुनाव क्षेत्र की काॅन्ग्रेस द्वारा किया जाता है। इस कार्यपालिका में काॅन्ग्रेस के सभी दलों को उनकी सीटों की संख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व प्रदान किया जाता है। कार्यपालिका के चुनाव के बाद इसके सदस्यों में से ही अध्यक्ष का चुनाव किया जाता है। ‘न्यू कैलेडोनिया’ को अधिकांश मामलों में स्वायत्तता प्राप्त है परंतु रक्षा जैसे मामलों के लिये यह आज भी फ्राँस पर बहुत अधिक निर्भर करता है। फ्राँस के राष्ट्रपति को ‘न्यू कैलेडोनिया’ के राष्ट्राध्यक्ष के रूप में माना जाता है। स्वतंत्रता संघर्ष: ‘कनक विद्रोह’ (Kanak Revolt): वर्ष 1878 में स्थानीय ‘कनक' लोगों और फ्राँसीसी उपनिवेशवादियों के बीच संघर्ष शुरू हो गया, जिसके बाद स्थानीय लोगों पर फ्राँसीसी दमन और अधिक बढ़ गया। 1980 के दशक के दौरान फ्राँसीसी बलों और कनक अलगाववादियों के बीच संघर्ष जारी रहा। ‘मैटिगनॉन समझौता’ (Matignon Accord): वर्ष 1988 के मैटिगनॉन समझौते के तहत स्थानीय कनक आबादी और यूरोपीय समुदाय के बीच शांति स्थापित करने का प्रयास किया गया। इसके तहत ‘न्यू कैलेडोनिया’ पर फ्राँस के प्रत्यक्ष शासन को समाप्त करने और वर्ष 1998 में स्वतंत्रता के लिये जनमत के आयोजन की बात कही गई। ‘नौमिया समझौता’ (Noumea Accord): वर्ष 1998 के ‘नौमिया समझौते' के तहत ‘न्यू कैलेडोनिया’ में एक चरणबद्ध तरीके से स्थानीय स्वशासन की स्थापना और सत्ता के हस्तांतरण हेतु रूपरेखा तैयार की गई। इसके साथ ही स्वतंत्रता के लिये वर्ष 1998 में प्रस्तावित जनमत संग्रह को विलंबित कर दिया गया। आगे की राह: ‘नौमिया समझौते’ (Noumea Accord) के तहत ‘न्यू कैलेडोनिया’ को तीन बार जनमत संग्रह कराने की अनुमति प्राप्त है। ऐसे में यदि स्थानीय विधानसभा के एक-तिहाई सदस्यों द्वारा एक और जनमत संग्रह की मांग की जाती है तो वर्ष 2022 तक तीसरे जनमत संग्रह का आयोजन किया जा सकता है।
- 21 जून, 2020 को इंडोनेशिया के एक सक्रिय ज्वालामुखी माउंट मेरापी (Mount Merapi) में दो बार विस्फोट हुआ। मध्य जावा एवं इंडोनेशिया के याग्याकार्टा (Yogyakarta) प्रांतों के एक विशेष क्षेत्र के मध्य की सीमा पर स्थित एक सक्रिय स्ट्रेटो ज्वालामुखी (Active Strato Volcano) है।
सक्रिय ज्वालामुखी:- लिपारी द्वीपसमूह (इटली) का स्ट्राम्बोली (इसे भूमध्यसागर का प्रकाश स्तंभ कहा जाता है।)
- स्ट्रेटो ज्वालामुखी, जिसे समग्र ज्वालामुखी के रूप में भी जाना जाता है, एक शंक्वाकार ज्वालामुखी है जो कठोर लावा, टेफ्रा, प्यूमिस और राख की कई परतों द्वारा निर्मित होता है। इससे पहले वर्ष 2019 में माउंट मेरापी में हुए ज्वालामुखी विस्फोट में 300 से अधिक लोग मारे गए थे।
- 7 जुलाई, 2020 को जारी संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की एक रिपोर्ट में कहा गया कि सीरिया के इदलिब प्रांत में सिविलियन इंफ्रास्ट्रक्चर पर सीरियाई एवं रूसी हवाई हमले युद्ध अपराधों (War Crimes) की की श्रेणी में आते है।
इस रिपोर्ट में 1 नवंबर, 2019 से 1 जून, 2020 के बीच इदलिब प्रांत में होने वाली घटनाओं का आकलन किया गया है। इस समय के दौरान इदलिब प्रांत को एक सशस्त्र समूह द्वारा नियंत्रित किया गया था जिसे हयात तहरीर अल-शाम कहा जाता था जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादी समूह है। इदलिब प्रांत एकमात्र ऐसा सीरियाई क्षेत्र था जो सीरियाई सरकार के नियंत्रण से बाहर था। वर्ष 2019 के बाद से सीरियाई एवं रूसी सेनाओं ने इदलिब प्रांत पर कब्जा करने का प्रयास किया।
- इदलिब, सीरिया के उत्तर-पश्चिमी में स्थित एक शहर है जो अलेप्पो (Aleppo) से 59 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में है। यह इदलिब गवर्नोरेट (Idlib Governorate) की राजधानी है। वर्ष 2011 में सीरियाई गृह युद्ध की शुरुआत में सीरियाई विद्रोही गुटों द्वारा इदलिब शहर पर कब्जा कर लिया गया था। सीरिया में 16वीं और 19वीं शताब्दी के बीच ओटोमन साम्राज्य के दौरान इदलिब, कड़ा (Kada) की राजधानी थी। इदलिब जैतून,कपास,गेहूँ एवं फलों विशेष रूप से चेरी का एक प्रमुख उत्पादन केंद्र है।
- जर्मनी ने ईरान समर्थित हिज़्बुल्लाह (Hezbollah) गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाते हुए उसे एक आतंकवादी संगठन घोषित किया है।
हिज़्बुल्लाह लेबनान का एक उग्रवादी राजनीतिक शिया मुस्लिम समूह है। हिज़्बुल्लाह जिसका अरबी भाषा में नाम ‘पार्टी ऑफ गॉड’ (Party of God) है, की स्थापना वर्ष 1982 में प्रथम इज़राइल-लेबनान युद्ध के बाद की गई थी। वर्तमान में इस समूह के सीरिया एवं ईरान के साथ राजनीतिक तथा सैन्य संबंध है और इसे संयुक्त राज्य अमेरिका एवं अन्य पश्चिमी देशों द्वारा आतंकवादी समूह के रूप में नामित किया गया है। हिज़्बुल्लाह की राजनीतिक शाखा लेबनान की राजनीति में प्रगाढ़ रूप से शामिल है। हिज़्बुल्लाह पश्चिम देशों एवं इज़रायल का विरोध करता है और लेबनान में एक इस्लामिक राज्य स्थापित करने के लिये प्रयासरत है जो ईरानी मॉडल पर आधारित है। यह मुख्य रूप से दक्षिणी बेरूत, दक्षिणी लेबनान और बेका घाटी (Bekaa Valley) के शिया बहुल क्षेत्रों में विस्तृत है। इस समूह की स्थापना में वर्ष 1979 में हुई ईरानी इस्लामिक क्रांति ने अहम भूमिका निभाई थी और वर्ष 1982 में लेबनान पर इज़रायल द्वारा आक्रमण के दौरान इसे ईरान से सैन्य सहायता मिली थी। वर्तमान में हिज़्बुल्लाह लेबनान की संसद में कई प्रतिनिधियों के साथ एक राजनीतिक शक्ति बना हुआ है और इसे अभी भी लेबनान की शिया आबादी के साथ-साथ सीरिया एवं ईरान का समर्थन प्राप्त है।
- बोको हराम (Boko Haram) उत्तरी नाइजीरिया में एक आतंकवादी समूह है जिसने हज़ारों लोगों की हत्या की है और इसकी वजह से 3 मिलियन से अधिक लोग विस्थापित हुए। बोको हराम के आतंकवादी मुख्य रूप से नाइजीरिया के उत्तरी राज्यों योब, कानो, बाउची, बोर्नो और कडूना में फैले हुए हैं।
बोको हराम का मतलब ‘पश्चिमी शिक्षा निषिद्ध’ है। इस समूह की स्थापना वर्ष 2002 में हुई थी। यह समूह स्वयं को जमात अहलू सुन्ना लिद्दावती वाल-जिहाद के रूप में भी संदर्भित करता है जिसका अर्थ ‘पैगंबर के उपदेशों एवं जिहाद के प्रचार के लिये प्रतिबद्ध लोग’ है। इस समूह का प्रारंभिक उद्देश्य नाइजीरिया में भ्रष्टाचार एवं अन्याय को दूर करना था। इसे पश्चिमी प्रभावों और शरिया या इस्लामी कानून लागू करने के लिये दोषी ठहराया गया था। वर्ष 2015 में इस समूह ने इराक में इस्लामिक स्टेट एवं लेवेंट (Islamic State in Iraq and the Levant- ISIL) के प्रति निष्ठा जताई और नाम बदलकर इस्लामिक स्टेट पश्चिम अफ्रीकी प्रांत (Islamic State (or State’s) West African Province- ISWAP) कर लिया। इसे पश्चिम अफ्रीका में इस्लामिक स्टेट के रूप में भी जाना जाता है।
- गूगल की सहायक कंपनी वेरिली (Verily) अमेरिकी सरकार को कोविड-19 महामारी से निपटने में मदद करेगी।
वेरिली (Verily) की देखरेख में कोविड-19 महामारी से निपटने के लिये एक वेबसाइट विकसित की जा रही है जो किसी संक्रमित व्यक्ति को उसके आसपास के सुविधाजनक स्थान पर परीक्षण की सुविधा से संबंधित जानकारी प्रदान करेगी। इस वेबसाइट के माध्यम से लोग संक्रमण से संबंधित अपने शारीरिक लक्षणों को वेबसाइट पर अपलोड करेंगे जिसके बाद उन लक्षणों के विश्लेषण के आधार पर उन्हें परीक्षण केंद्रों पर जाँच कराने के लिये निर्देशित किया जाएगा। वेरिली (Verily) गूगल की मूल कंपनी अल्फाबेट की सहायक कंपनी है जो लाइफ साइंस एवं स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करती है। वेरिली (Verily) कंपनी को वर्ष 2015 में लॉन्च किया गया था जिसका लक्ष्य ‘विश्व भर के लोगों के स्वास्थ्य डेटा को उपयोग में लाया जाये ताकि लोग स्वस्थ जीवन का आनंद लें सकें’। इसलिये वेरिली द्वारा व्यवस्थित एवं सक्रिय स्वास्थ्य डेटा को एकत्र करने के लिये टूल एवं डिवाइस का विकास किया है जो बीमारी को रोकने एवं प्रबंधित करने में सक्षम बनाता है। वेरिली द्वारा वर्ष 2017 में प्रोजेक्ट बेसलाइन की शुरुआत की गई थी जिसका उद्देश्य ‘चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अनुसंधान तथा रोगी की देखभाल के बीच की खाई को पाटना है।
- हाल ही में COVID-19 से ब्राज़ील की यानोमामी जनजाति (Yanomami Tribe) के एक 15 वर्षीय लड़के की मौत हो जाने के कारण इस जनजाति में COVID-19 संक्रमण फैलने की आशंका बढ़ गई है। ब्राज़ील 300 से अधिक नृजातीय समूहों के अनुमानित 8,00,000 जनजाति लोगों का निवास स्थान है। जिनमें यानोमामी जनजाति की संख्या 27,000 के आसपास है।
यानोमामी जिसे योनामोमो या यानोमामा भी कहा जाता है, दक्षिण अमेरिका के वेनेज़ुएला एवं ब्राज़ील की सीमा पर अमेज़न वर्षावन में निवास करते हैं। ये अपने परिवारों के साथ गाँवों में निवास करते हैं। इनके गाँवों का आकार भिन्न-भिन्न होता है किंतु आमतौर पर इन गाँवों में 50 से 400 लोग होते हैं। इस बड़े पैमाने पर सामूहिक व्यवस्था में पूरा गाँव एक ही छत के नीचे निवास करता है जिसे शाबोनोस कहा जाता है। जो एक विशिष्ट अंडाकार आकृति होती है। शाबोनोस गाँव की परिधि का निर्माण करता है। अमेज़न वर्षावन आधारित संसाधनों पर निर्भर है, इन्हें बागवानी करने वाले समूहों के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। बहुपतित्त्व प्रथा प्रचलित है हालाँकि यहाँ की अन्य जनजातियों में बहुपत्नी प्रथा भी देखने को मिलती है। इन्हें शिकारी, मछली पकड़ने वाले एवं बागवानी विशेषज्ञ के रूप में जाना जाता है। जबकि महिलाएँ अपनी मुख्य फसल के रूप में बगीचों में कसावा की खेती करती हैं। 1980 के दशक के दौरान, स्वर्ण खनिकों द्वारा इनकी भूमि पर कब्ज़ा करने के कारण यानोमामी जनजाति को नुकसान उठाना पड़ा। जिससे कई जनजातीय लोगों की मृत्यु हो गई, कई गाँवों को नष्ट कर दिया गया और उन्हें उन बीमारियों से अवगत कराया जिनके पास कोई प्रतिरक्षा प्रणाली नहीं थी।
- 01 जुलाई, 2020 को संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने बाराकाह परमाणु ऊर्जा संयंत्र में चार रिएक्टरों में से पहले रिएक्टर का संचालन शुरू किया है। यह अरब जगत का पहला परमाणु ऊर्जा संयंत्र है। जो अबू धाबी के अल धफरा क्षेत्र (Al Dhafrah Region) में स्थित है।
इस परमाणु ऊर्जा संयंत्र की कुल क्षमता 5600 मेगावाट है जिसका उद्देश्य UAE को 25% ऊर्जा की आपूर्ति है। अमीरात परमाणु ऊर्जा निगम (ENEC), कोरिया इलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन (KEPCO) के साथ मिलकर ‘बाराकाह परमाणु ऊर्जा संयंत्र’ का निर्माण एवं संचालन कर रहा है।
- इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप पर माउंट सिनाबंग (Mount Sinabung) ज्वालामुखी में पुनः उद्गार हुआ है। लगभग 400 वर्षों की निष्क्रियता के बाद यह ज्वालामुखी वर्ष 2010 में पुनः सक्रिय हुआ था। वर्ष 2010 के बाद वर्ष 2014 और वर्ष 2016 में भी इस ज्वालामुखी में उद्गार हो चुका है। माउंट सिनाबंग, इंडोनेशिया में 120 से अधिक सक्रिय ज्वालामुखियों में से एक है। इंडोनेशिया के ‘रिंग ऑफ फायर’ (Ring of Fire) या परिप्रशांत महासागरीय मेखला (Circum-Pacific Belt) में अवस्थिति होने के कारण यहाँ कई सक्रिय ज्वालामुखी पाए जाते हैं। और यह क्षेत्र भूकंप प्रवण क्षेत्र के अंतर्गत भी आता है। इस ‘रिंग ऑफ फायर’ क्षेत्र में 17,000 से अधिक द्वीप एवं द्वीप समूह शामिल हैं और इसमें लगभग 130 सक्रिय ज्वालामुखी हैं। इस क्षेत्र में विश्व के लगभग 75% ज्वालामुखी पाए जाते है तथा कुल भूकंपीय घटनाओं में से 90% भूकंप इस क्षेत्र में आते हैं।
- COVID-19 के मद्देनज़र बांग्लादेश अप्रैल, 2020 के बाद भाषण चार द्वीप (Bhashan Char Island) पर बसे रोहिंग्याओं के मुद्दे को अमल में नहीं ला सका। बांग्लादेश में कॉक्स बाज़ार (Cox's Bazar) में बने शरणार्थी शिविरों से भागने की कोशिश कर रहे 300 से अधिक रोहिंग्या शरणार्थियों को नावों द्वारा बचाया गया था जिसके बाद उन्हें अप्रैल, 2020 में भाषण चार द्वीप पर भेजा गया था।
भाषण चार द्वीप को ‘थेंगार चार द्वीप’ (Thengar Char Island) या चार पिया (Char Piya) के रूप में भी जाना जाता है। इसका निर्माण दो दशक पहले बंगाल की खाड़ी में मेघना (Meghna) नदी के मुहाने पर हिमालयन गाद से हुआ था। यह द्वीप 40 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। यह निर्जन द्वीप दक्षिण-पूर्व बांग्लादेश में हटिया द्वीप (Hatiya Island) से लगभग 30 किलोमीटर पूर्व में स्थित है। भाषण चार द्वीप बाढ़, कटाव एवं चक्रवात के कारण पारिस्थितिक रूप से अतिसंवेदनशील क्षेत्र के अंतर्गत आता है। हालाँकि बांग्लादेश सरकार ने चक्रवातों एवं ज्वार-भाटा से बचने के लिये इस द्वीप के चारों ओर तीन मीटर ऊँचा तटबंध बनाया है। जून, 2015 में बांग्लादेशी सरकार ने इस द्वीप पर रोहिंग्या शरणार्थियों के लिये निवास-स्थान का प्रस्ताव दिया था। इस प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी द्वारा ‘तार्किक रूप से चुनौतीपूर्ण’ के रूप में चित्रित किया गया था।
- भाषण चार द्वीप पर बांग्लादेश सरकार ने ‘आश्रयन परियोजना’ (आश्रयन-3) के तहत 2,300 करोड़ रुपए की लागत से एक लाख रोहिंग्या शरणार्थियों को बसाने के लिये घर बनवाए हैं।
- लेस्बोस आईलैंड (Lesbos Island) के तट पर आप्रवासियों से भरी एक नाव के पलटने से कुछ लोगों की मौत हो गई। लेस्बोस उत्तर-पूर्व एजियन सागर (Aegean Sea) में स्थित एक यूनानी द्वीप है।
एजियन सागर भूमध्य सागर का ही एक विस्तृत भाग है। यह दक्षिणी बाल्कन क्षेत्र और एनाटोलिया प्रायद्वीप के बीच में स्थित है इस प्रकार यह यूनान और तुर्की के मध्य स्थित है। इसका क्षेत्रफल 1,633 वर्ग किमी. है और इसकी तटरेखा की लंबाई 321 किलोमीटर है। यह ग्रीस में तीसरा सबसे बड़ा द्वीप है। यह संकीर्ण मयटिलिनी जलडमरूमध्य (Mytilini Strait) द्वारा तुर्की से अलग होता है।
- विश्व के सबसे बड़े बाँधों में से एकग्रांड इथियोपियन रेनेसां डैम (Grand Ethiopian Renaissance Dam- GERD) का निर्माण अफ्रीकी देश इथियोपिया नील नदी पर कर रहा है।
यह अफ्रीका की सबसे बड़ी बाँध परियोजना है और इसका नील नदी पर स्थायी प्रभाव पड़ेगा। इथियोपिया के तराई क्षेत्रों में नील नदी (अफ्रीका में उत्तर की ओर बहने वाली नदी) पर पनबिजली बाँध बनाया जा रहा है। संकट: नील नदी अत्यधिक प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और मिस्र की बढ़ती आबादी के कारण गंभीर खतरे का सामना कर रही है। मिस्र पृथ्वी पर सबसे शुष्क देशों में से एक है जिसकी 95% आबादी नील नदी के डेल्टा क्षेत्र में निवास करती है। यह देश अपनी जल आपूर्ति के लिये लगभग पूरी तरह से नील नदी पर निर्भर है और इस बाँध के निर्माण से मिस्र की जल आपूर्ति में 12-25% की कमी आएगी।
- माउंट एकांकागुआ(Mount Aconcagua) पर चढ़ने वाली विश्व में सबसे कम उम्र की लड़की 12 साल की छात्रा काम्या कार्तिकेयन (Kaamya Karthikeyan) बन गई। यह दक्षिण अमेरिका की एंडीज़ पर्वतमाला की सबसे ऊँची चोटी है। यह एक मृत ज्वालामुखी पर्वत है।
एंडीज़ पर्वतमाला एक नवीन मोड़दार तथा विश्व की सबसे लंबी पर्वतमाला (7200 किमी.) है। इसका विस्तार दक्षिण अमेरिका के सात देशों (वेनेजुएला, कोलंबिया, इक्वाडोर, पेरू, बोलीविया, चिली, अर्जेंटीना) में है। माउंट एकांकागुआ की ऊँचाई 6962 मीटर है जबकि 8,850 मीटर की ऊँचाई के साथ माउंट एवरेस्ट विश्व की सबसे ऊँची पर्वत चोटी है। यह एशिया के बाहर विश्व का सबसे ऊँचा पर्वत भी है तथा दक्षिण अमेरिकी देश अर्जेंटीना में स्थित है।
- ताल ज्वालामुखी(Taal Volcano) में उद्गार फिलीपींस की राजधानी मनीला से 50 किमी. दूर स्थित लूज़ोन (Luzon) द्वीप पर 12 जनवरी, 2020 को हुआ।
फिलीपीन इंस्टीट्यूट ऑफ वोल्कैनोलॉजी एंड सीस्मोलॉजी (PHIVOLCS) द्वारा ताल ज्वालामुखी को एक जटिल ज्वालामुखी (Complex Volcano) के रूप में वर्गीकृत किया गया है अर्थात इस ज्वालामुखी में एक मुख्य उद्गार केंद्र होने के साथ-साथ कई अन्य उद्गार केंद्र होते हैं। जैसे इटली के पश्चिमी तट पर माउंट विसुवियस। पिछली कुछ शताब्दियों में ताल ज्वालामुखी में 30 से अधिक बार उद्गार हो चुका है। पिछला उद्गार वर्ष 1977 में हुआ था। फिलीपींस दो टेक्टोनिक प्लेटों (फिलीपींस समुद्री प्लेट और यूरेशियन प्लेट) की सीमा पर स्थित होने के कारण भूकंप और ज्वालामुखी के प्रति अतिसंवेदनशील है।
- लामू द्वीप:-सोमालिया के अल-शबाब ग्रुप ने केन्याई तटीय लामू क्षेत्र में संयुक्त राज्य अमेरिका और केन्याई सेना द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले सैन्य अड्डे पर हमला किया है।
केन्या के पूर्वी तट पर स्थित इस द्वीप पर लामू नगर स्वाहिली नगरों के बीच सबसे पुरानी एवं संरक्षित बस्तियों में एक है। यह नगर एक अनोखी एवं दुर्लभ ऐतिहासिक विरासत है जो 700 से अधिक वर्षों से स्थापित है।
- इसे मूंगा पत्थर और मैंग्रोव लकड़ी से बनाया गया है। इनमें आंगन,बरामदा और विस्तृत रूप से नक्काशीदार लकड़ी के दरवाजे जैसी संरचनात्मक विशेषताएँ मौजूद है।
पूर्वी अफ्रीका में जंजीबार और मोम्बासा जैसे अन्य नगरों से पूर्व यह सबसे महत्त्वपूर्ण व्यापारिक केंद्रों में एक था।
- बंटू (Bantu),अरब,फारसी,भारतीय और यूरोपीय लोगों के बीच आपसी मेलजोल के परिणामस्वरूप लामू स्वाहिली संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है।
19वीं शताब्दी से लामू द्वीप पर प्रमुख मुस्लिम धार्मिक त्योहारों का आयोजन होता रहा है जिससे यह इस्लामी एवं स्वाहिली संस्कृतियों के अध्ययन का एक महत्त्वपूर्ण केंद्र बन गया है। इसे संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक,वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) द्वारा विश्व विरासत स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है।
भारत के चर्चित पुरस्कार
सम्पादनभारत के राष्ट्रपति ने 4 मार्च, 2020 को राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में 15 मेधावी कलाकारों को 61वें वार्षिक ललित कला अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया। ललित कला अकादमी ने सम्मानित होने वाले कलाकारों की सूची को अंतिम रूप देने के लिये देश भर के प्रतिष्ठित कला प्रशिक्षक, कलाकारों एवं आलोचकों की सात सदस्यीय चयन ज़ूरी को नामित किया। ललित कला अकादमी प्रत्येक वर्ष कला को बढ़ावा देने और प्रतिभाओं को सम्मानित करने के लिये कला प्रदर्शनियों एवं पुरस्कार समारोहों का आयोजन करती है। कला की 61वीं राष्ट्रीय प्रदर्शनी में पुरस्कार विजेता कलाकारों की कलाकृतियाँ 22 मार्च, 2020 तक ललित कला अकादमी की दीर्घाओं में प्रदर्शित की जाएंगी।
भारत के चर्चित स्थान
सम्पादनउत्तराखंड सरकार ने गैरसैण (Gairsain) को राज्य की नई ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया। 9 नवंबर, 2000 को उत्तराखंड भारत का 27वाँ राज्य बना जिसे उत्तर प्रदेश से अलग करके बनाया गया था। वर्ष 2000 से 2006 तक इसे उत्तरांचल के नाम से जाना जाता था। किंतु जनवरी 2007 में स्थानीय लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य का आधिकारिक नाम बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया। इसकी सीमाएँ उत्तर में तिब्बत, पूर्व में नेपाल, पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश से मिलती हैं। देहरादून उत्तराखंड की अंतरिम राजधानी होने के साथ-साथ इस राज्य का सबसे बड़ा नगर है।
- उत्तर प्रदेश के सोनभद्र ज़िले में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण द्वारा लगभग 160 किलोग्राम स्वर्ण भंडार की खोज की गई है।
- विश्व स्वर्ण परिषद (World Gold Council) के अनुसार,भारत में 600 टन से अधिक का स्वर्ण भंडार है, जो दुनिया में 10वाँ सबसे बड़ा भंडार है।
सोने का वज़न ट्रॉय औंस (Troy Ounces) में मापा जाता है (1 ट्रॉय औंस = 31.1034768 ग्राम), हालाँकि इसकी शुद्धता को कैरेट (Carats) में मापा जाता है। 24 कैरेट सोने को शुद्ध सोना कहा जाता है जिसमें किसी अन्य धातु की मिलावट नहीं होती है।
- सोनभद्र लखीमपुर खीरी के बाद उत्तर प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा ज़िला (क्षेत्रफल में) है। यह देश का एकमात्र ज़िला है जो चार राज्यों के साथ सीमा साझा करता है।
इसके पश्चिम में मध्य प्रदेश, दक्षिण में छत्तीसगढ़,दक्षिण-पूर्व में झारखंड और पूर्व में बिहार राज्य है। सोनभद्र ज़िला एक औद्योगिक क्षेत्र है और यहाँ कई खनिजों के भंडार जैसे- बॉक्साइट,चूना पत्थर,कोयला,सोना आदि हैं।
- यह बेलन और कर्मनाशा नदियों सहित गंगा की सहायक नदियों का अपवाह क्षेत्र है। इस जिले से होकर सोन नदी पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है।
रिहंद नदी का उद्गम छत्तीसगढ़ राज्य के सर्गुजा ज़िले की उच्च भूमि से होता है और यह उत्तर की ओर बहकर सोनभद्र में सोन नदी से मिलती है। रिहंद नदी पर स्थित गोविंद बल्लभ पंत सागर (जिसे रिहंद बांध के नाम से भी जाना जाता है) एक जलाशय है जो आंशिक रूप से सोनभद्र ज़िले में और आंशिक रूप से मध्य प्रदेश में स्थित है।
- कैमूर वन्यजीव अभयारण्य का अधिकांश हिस्सा सोनभद्र ज़िले में आता है जो सोन नदी के पूर्वी छोर पर सामान्यतः कैमूर रेंज के साथ पूर्व से पश्चिम तक फैला है।
सोनभद्र विंध्य क्षेत्र में पाए जाने वाले कई गुफा चित्रकला स्थलों के लिये जाना जाता है। लखानिया गुफाएँ कैमूर पर्वतमाला में स्थित हैं और अपने सुंदर चिरनूतन शैल चित्रों के लिये जानी जाती हैं। ये ऐतिहासिक पेंटिंग लगभग 4000 वर्ष पुरानी हैं।
- खोडवा पहार (Khodwa Pahar) या घोरमंगर (Ghoramangar) यहाँ एक और प्रसिद्ध प्राचीन गुफा चित्रकला स्थल है।
- ‘स्टैच्यूऑफ यूनिटी’SCO के आठवें आश्चर्य के रूप में शामिल
- इसने अमेरिका की 133 साल पुरानी स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी (Statue of Liberty) को पर्यटकों की आवाजाही के मामले में पीछे छोड़ दिया। नवंबर 2019 में गुजरात में आने वाले पर्यटकों की संख्या 15000 से अधिक हो गई।
- ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ गुजरात के नर्मदा ज़िले में सरदार सरोवर बाँध के पास राजपीपला में साधुबेट नामक नदी द्वीप पर स्थित 182 मीटर ऊँची सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा है।पटेल की 143वीं जयंती पर 31 अक्तूबर,2018 को प्रधानमंत्री मोदी ने अनावरण किया था।
- इस मूर्ति का डिज़ाइन पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित मूर्तिकार ‘राम वनजी सुतर’ ने तैयार किया था।
- चीन के स्प्रिंग टेंपल में स्थित 153 मीटर ऊँची प्रतिमा जिसके निर्माण में 11 वर्ष लगे (अब तक विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा का दर्जा प्राप्त था), से भी ऊँची है और न्यूयॉर्क की स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी (93 मी.) की ऊँचाई से करीब दोगुनी है।
सरदार पटेल स्वतंत्र भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री बने तथा साथ ही उन्होंने गृह,सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का प्रभार भी संभाला।
SCO के आठ आश्चर्य:
- भारत- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी
- कज़ाखस्तान- तमगली के पुरातात्त्विक परिदृश्य (The Archaeological Landscape of Tamgaly)
- किर्गिज़स्तान- इसीक-कुल झील (Lake Issyk-Kul)
- चीन- डेमिंग पैलेस (Daming Palace)
- पाकिस्तान- मुगल विरासत, लाहौर (Mughals Heritage)
- रूस- द गोल्डन रिंग सिटीज़ (The Golden Ring of Cities)
- ताजिकिस्तान- द पैलेस ऑफ नौरोज़ (The Palace of Nowruz)
- उज़्बेकिस्तान- द पोई कालोन कॉम्प्लेक्स (The Poi Kalon complex)
आठ देशों के अंतर्राष्ट्रीय संगठन 'शंघाई सहयोग संगठन'
- 1 जनवरी को वर्ष 1818 में हुए भीमा-कोरेगाँव युद्ध को 202 वर्ष पूरे हुए। महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थित पेरने गाँव में सैनिकों की स्मृति में निर्मित रणस्तंभ पर युद्ध की वर्षगाँठ मनाई जाती है। 1 जनवरी,1818 को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया के 500 सैनिकों की एक छोटी कंपनी,जिसमें ज़्यादातर सैनिक महार समुदाय से थे,ने पेशवा शासक बाजीराव द्वितीय की लगभग 28,000 हज़ार सैनिकों वाली सेना को लगभग 12 घंटे तक चले युद्ध में पराजित किया था।
वीरगति को प्राप्त सैनिकों की स्मृति में, वर्ष 1822 में भीमा नदी के किनारे काले पत्थरों से एक रणस्तंभ का निर्माण किया गया।
चर्चित शब्द
सम्पादन- यह 4 मई, 1919 को चीन में हुई एक बौद्धिक क्रांति तथा समाजशास्त्री सुधार आंदोलन था। इसे चीन में मई चौथा आंदोलन (May Fourth Movement) कहा जाता है। यह एक साम्राज्यवाद-विरोधी, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक आंदोलन था जो 4 मई, 1919 को बीजिंग में छात्रों के विरोध से शुरू हुआ था।
प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद मित्र देशों के मध्य वर्साय की संधि हुई चूँकि चीन ने प्रथम विश्व युद्ध में मित्र देशों का साथ दिया था इसलिए उसे उम्मीद थी कि इस बैठक में उसे यदि बराबर की हिस्सेदारी नहीं मिली तो कम-से-कम उसकी आवाज़ तो सुनी ही जाएगी किंतु बातचीत के दौरान फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका ने गुप्त समझौते के तहत चीन की सीमा का कुछ हिस्सा जापान को सौंप दिया। जिसके परिणामस्वरूप चीन में छात्रों ने विरोध प्रदर्शन करना शुरू हुआ जिसे मई चौथा आंदोलन (May Fourth Movement) के रूप में जाना जाता है।
- कोरोनावायरस के कारण विंबलडन रद्द
कोरोनावायरस (COVID-19) महामारी की वजह से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली सभी खेल प्रतियोगिताएँ या तो रद्द की जा चुकी हैं या फिर उन्हें कुछ समय के लिये टाल दिया गया है। जापान की राजधानी टोक्यो में आयोजित होने वाले ओलंपिक खेलों को एक वर्ष के लिये टालने के पश्चात् टेनिस के प्रतिष्ठित ग्रैंडस्लैम विंबलडन को भी रद्द करने का फैसला किया गया है। उल्लेखनीय है कि द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् ऐसा पहली बार हुआ है, जब विंबलडन को रद्द करना पड़ा हो। ऑल इंग्लैंड लॉन टेनिस एंड क्रोकेट क्लब (All England Lawn Tennis & Croquet Club) ने कोरोना महामारी के कारण विंबलडन को रद्द करने का निर्णय लिया है। विंबलडन इस वर्ष 29 जून से शुरू होना था।
COVID-19 सामुदायिक गतिशीलता रिपोर्ट COVID-19 Community Mobility Report हाल ही में गूगल ने लोगों एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों को COVID-19 से संबंधित सामाजिक दूरी प्रतिमानों की प्रतिक्रियाओं को समझने के उद्देश्य से ‘COVID-19 सामुदायिक गतिशीलता रिपोर्ट (COVID-19 Community Mobility Report)’ जारी की है।
मुख्य बिंदु: इस रिपोर्ट में 131 देशों को शामिल किया गया है। इन देशों के विभिन्न स्थानों जैसे-औषधालय,पार्क,कार्यस्थल,खुदरा विक्रेता केंद्रों इत्यादि में लोगों के आवागमन को आधार मानकर रिपोर्ट तैयार की गई है। यह रिपोर्ट विश्व में COVID-19 से निपटने हेतु सामाजिक दूरी (Social Distancing) को एक महत्त्वपूर्ण कार्रवाई के रूप दर्शाती है। इस रिपोर्ट को कंपनी के गोपनीय प्रोटोकॉल एवं नियमों के अनुसार तैयार किया गया है। गूगल (Google): संयुक्त राज्य अमेरिका स्थित गूगल एक सर्च इंजन कंपनी है जिसकी स्थापना वर्ष 1998 में सेर्जे ब्रिन (Sergey Brin) व लैरी पेज (Larry Page) ने की थी।
- भारत के संदर्भ में:-भारत में 22 मार्च को जनता कर्फ्यू तथा उसके बाद 21 दिनों के राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के मद्देनज़र भीड़-भाड़ वाले स्थलों जैसे- रेस्त्रां, पार्कों एवं कार्यस्थलों में लोगों का आवागमन अत्यंत कम हुआ है जबकि आवासीय क्षेत्रों में लोगों का आवागमन बढ़ गया है।
इस रिपोर्ट के माध्यम से भारत सरकार को COVID-19 से निपटने हेतु आगे की रणनीतियों को बनाने में मदद मिलेगी। गौरतलब है कि इस रिपोर्ट में चीन एवं ईरान से संबंधित आँकड़ों को सम्मिलित नहीं किया गया है। इन देशों में गूगल सेवाएँ प्रतिबंध हैं।
कोरोना बॉन्ड (Corona Bond):- इटली के प्रधानमंत्री ने COVID-19 के कारण उत्पन्न आर्थिक स्थिति से निपटने के लिये यूरोपीय संघ (European Union- EU) द्वारा जारी किये जाने वाले इस बॉन्ड का समर्थन किया। यह यूरोपीय संघ के सभी सदस्य देशों द्वारा सामूहिक रूप से यूरोपीय निवेश बैंक से लिया गया ऋण है। इटली,स्पेन जैसे देश जिन्हें COVID-19 की वजह से गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ा रहा है।ये देश असाधारण स्थिति से निपटने के लिये यूरोपीय संघ से इस तरह के आर्थिक उपायों की मांग कर रहे हैं। यूरोपीय संघ के नौ देश स्पेन,इटली,फ्रांस,बेल्जियम, लक्जमबर्ग, आयरलैंड, पुर्तगाल, ग्रीस एवं स्लोवेनिया इस तरह के बॉन्ड की सिफारिश कर रहे हैं। जबकि जर्मनी,नीदरलैंड,ऑस्ट्रिया एवं फिनलैंड जैसे यूरोपीय संघ के कुछ देशों ने इस तरह के विचार का विरोध किया है।
- होमो इरेक्टस(Homo Erectus):- 'नेचर' पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, आधुनिक मानव (होमो सेपियन्स-Homo Sapiens) के सबसे करीबी पूर्वज होमो इरेक्टस (Homo Erectus) की अंतिम उपस्थिति इंडोनेशिया के जावा द्वीप पर दर्ज की गई है। वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि यह प्रजाति इंडोनेशिया के जावा द्वीप पर सोलो नदी (Solo River) के पास नगांडोंग (Ngandong) नामक जगह पर मौजूद थी।
वैज्ञानिक अध्ययन नगांडोंग जगह से मिले जीवाश्मों की कार्बन डेटिंग पर आधारित है जहाँ होमो इरेक्टस की खोपड़ी और पैर की हड्डियाँ पहले भी पाई गई थीं। हालाँकि पूर्व के होमिनिन (Hominin) की तरह होमो इरेक्टस के जीवाश्म अफ्रीका में पाए जाते हैं किंतु माना जाता है कि लगभग दो मिलियन वर्ष पहले होमो इरेक्टस अफ्रीका महाद्वीप से निकल कर यूरोप और एशिया में चले गए थे। अभी तक वैज्ञानिक मानते थे कि प्रारंभिक मानव के पूर्वज लगभग 4 लाख वर्ष पहले पृथ्वी से विलुप्त हो गए थे किंतु नए निष्कर्षों से पता चलता है कि लगभग 117,000 से 108,000 वर्ष पहले भी नगांडोंग में ये प्रजातियाँ मौजूद थीं। होमो इरेक्टस (Homo Erectus) के बारे में होमो इरेक्टस (सीधा आदमी- Upright Man) मानव ज़ीनस (Human Genus-Homo) की एक विलुप्त प्रजाति है। होमो इरेक्टस के शरीर का आकार आधुनिक मानव के समान था और यह आधुनिक मानव की तरह समान अंग और धड़ के अनुपात वाला पहला मानव पूर्वज है। इससे पता चलता है कि यह पेड़ की शाखाओं पर झूलने के बजाय अधिक खुले मैदानों में दो पैरों पर चलता था। इसके मस्तिष्क का आकार लगभग 550-1250 क्यूबिक सेंटीमीटर, ऊँचाई 1.4-1.8 मीटर तथा वजन 45-61 किलोग्राम होने का अनुमान लगाया जाता है।
- होमिनिन (Hominin):-
होमिनिन, “प्राणी जनजाति होमिनिन” (परिवार- होमिनिड, क्रम- प्राइमेट) का एक सदस्य है। वर्तमान में इनकी केवल एक प्रजाति होमो सेपियन्स (आधुनिक मानव) मौजूद है। इस शब्द (होमिनिन) का उपयोग मानव वंशावली के विलुप्त सदस्यों को संदर्भित करने के लिये सबसे अधिक बार किया जाता है जिनमें कुछ अब जीवाश्म अवशेषों के रुप में काफी प्रसिद्ध हैं, जैसे- होमो निएंडरथल (Homo Neanderthal), होमो इरेक्टस (Homo Erectus), होमो हैबिलिस (Homo Habilis) और आस्ट्रेलोपिथेकस (Australopithecus) की विभिन्न प्रजातियाँ।
- मानव परिवार के विभिन्न पूर्वजों की खोज
2010 के दशक की शुरुआत ही ‘डेनिसोवंस’ (Denisovans) नामक मानव परिवार की एक विलुप्त प्रजाति की खोज के साथ हुई थी। इस प्रजाति की खोज साइबेरिया के अल्टाई (Altai) पर्वत में ‘डेनिसोवा’ (Denisova) गुफा में खोज के कारण इसका नाम ‘डेनिसोवंस’ रखा गया था। इसके बाद वर्ष 2015 में ‘होमो नालेडी’ (Homo Naledi) नामक मानव प्रजाति के अवशेष दक्षिण अफ्रीका में खोजे गए थे। जबकि वर्ष 2019 में जीवाश्म विज्ञानियों (Paleontologists) ने फिलीपींस में पाई जाने वाली एक और प्रजाति को होमो लूजोनेंसिस (Homo Luzonensis) नामक एक छोटे आकार की मानव प्रजाति के रूप में वर्गीकृत किया था।