समसामयिकी 2020/भाषा एवं साहित्य

संस्कृति मंत्रालय के कार्य

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राष्ट्रीय पुस्तकालय मिशन (National Library Mission)के तहत प्रत्येक राज्य/केंद्रशासित प्रदेश में एक केंद्रीय पुस्तकालय और ज़िला पुस्तकालय के बुनियादी ढाँचे के उत्थान के लिये वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। संस्कृति मंत्रालय (Ministry of Culture) के प्रशासनिक नियंत्रण में निम्नलिखित छह सार्वजनिक पुस्तकालय हैं -

  1. राष्ट्रीय पुस्तकालय- कोलकाता (National Library, Kolkata)
  2. केंद्रीय संदर्भ पुस्तकालय कोलकाता (Central Reference Library- Kolkata)
  3. केंद्रीय सचिवालय पुस्तकालय- नई दिल्ली (Central Secretariat Library- New Delhi)
  4. दिल्ली सार्वजनिक पुस्तकालय- दिल्ली (Delhi Public Library- Delhi)
  5. खुदा बख्श ओरिएंटल पब्लिक लाइब्रेरी- पटना (Khuda Bakhsh Oriental Public Library- Patna)
  6. रामपुर रज़ा लाइब्रेरी- रामपुर (Rampur Raza Library- Rampur)

पुस्तकालय राज्य सूची का विषय है, इसलिये देश के सार्वजनिक पुस्तकालयों का प्रबंधन केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के बजाय राज्य सरकार द्वारा किया जाता है। राष्ट्रीय पुस्तकालय मिशन की स्थापना वर्ष 2012 में राष्ट्रीय ज्ञान आयोग की सिफारिश पर संस्कृति मंत्रालय द्वारा की गई थी। राष्ट्रीय ज्ञान आयोग (National knowledge commission)की स्थापना 13 जून, 2005 को हुई थी। यह प्रधानमंत्री को शिक्षा, विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी, कृषि, उद्योग और ई-प्रशासन जैसे महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर सलाह देता है। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।

भाषा संबंधित सरकारी प्रयास

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  • किलिकी भाषा को विकसित करने एवं जन-जन तक पहुँचाने के लिये www.kiliki.in वेबसाइट शुरू की गई है।

राजामौली के निर्देशन में बनी सुपरहिट फिल्म ‘बाहुबली’ में कालकेय जनजाति (Kaalakeya Tribe) की भाषा ‘किलिकी’ (Kiliki)है। इस वेबसाइट में लगभग 3,000 शब्दों से युक्त अंग्रेज़ी-किलिकी-अंग्रेज़ी शब्दकोश, इस भाषा में परिवर्तित करने से संबंधित टूल, वीडियो और शब्दावली गेम इत्यादि सुविधाएँ हैं। यह एक काल्पनिक भाषा के रूप में शुरू हुई थी किंतु वर्तमान समय में यह भाषा व्याकरण के साथ विकसित हुई है और इसमें वार्तालाप के लिये 3000 से अधिक शब्द उपयोग किये गए हैं।

इस भाषा को बाहुबली फिल्म में गीतकार एवं फिल्म संवाद लेखक ‘मधन कार्की’ ने लगभग 750 शब्दों और 40 व्याकरण के नियमों द्वारा विकसित किया था।

मधन कार्की ने अंक और अक्षरों को मिलाकर कुल 22 प्रतीक बनाए हैं। जिनको आसानी से रिकॉल किया जा सकता है।

कार्की रिसर्च फाउंडेशन (Karky Research Foundation) किलिकी भाषा सीखने वालों के लिये नौकरी के अवसर पैदा करने की दिशा में काम कर रहा है और उसका यह प्रयास है कि किलिकी भाषा जाति, धर्म, नस्ल या देश की बाधाओं से परे दुनिया को जोड़ने में महत्त्वपूर्ण साबित होगी।

कालकेय जनजाति (Kaalakeya Tribe)हिंदू पौराणिक कथाओं में असुरों का एक वर्ग है। यह दानवों का एक शक्तिशाली,क्रूर एवं हिंसक कबीला था। कालकेय वैश्वानर (दानू का पुत्र) की पुत्री ‘कालका’ के वंशज थे। दानू एक आदिम देवी थी जिसका उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है,जो कि असुरों की माँ थी।

बौद्ध धर्म में इन्हें कालकांजक (Kalakanjaka) कहा जाता है। इनका उल्लेख बौद्ध ग्रंथ महासमय सुत्त (Mahasamaya Sutta) में किया गया है।
  • 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा पूरे देश में मनाया जाता है।

वर्ष2020 की मातृभाषा दिवस की थीम है:-‘हमारी बहुभाषी विरासत का उत्सव मनाना’। यह थीम एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना को दर्शाती है।

  1. भारत की भाषायी विविधता को चिंहित करना।
  2. न केवल संबंधित मातृभाषा बल्कि अन्य भारतीय भाषाओं के भी उपयोग को प्रोत्साहित करना।
  3. भारत में संस्कृतियों की विविधता और साहित्य, शिल्प, प्रदर्शन कला, लिपियों एवं रचनात्मक अभिव्यक्ति के अन्य रूपों को समझना तथा ध्यान आकर्षित करना।
  4. अपनी मातृभाषा के अलावा अन्य भाषाओं को सीखने के लिये प्रोत्साहित करना।

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय शिक्षण संस्थानों और भाषा संस्थानों के साथ मिलकर पिछले तीन वर्षों से(वर्ष 2017 से) मातृभाषा दिवस मना रहा है। इस वर्ष भी शैक्षणिक संस्थान वक्तृत्व,वाद-विवाद प्रतियोगिताओं,गायन,निबंध लेखन प्रतियोगिताओं,चित्रकला प्रतियोगिताओं,संगीत एवं नाट्य मंचनों,प्रदर्शनियों,ऑनलाइन संसाधन एवं क्रियाकलापों जैसी गतिविधियों के साथ-साथ संज्ञानात्मक,आर्थिक,सामाजिक एवं बहुभाषी सांस्कृतिक क्रियाकलापों और कम-से-कम दो या अधिक भाषाओं में भारत की भाषायी एवं विविध संपदा को दर्शाने वाली प्रदर्शनियों का आयोजन करेगा।

21 फरवरी-अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस भाषायी एवं सांस्कृतिक विविधता और बहुभाषावाद के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने के लिये प्रतिवर्ष मनाया जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस यूनेस्को के कैलेंडर कार्यक्रमों का एक हिस्सा है।

इसकी घोषणा यूनेस्को द्वारा 17 नवंबर,1999 को की गई थी जिसे औपचारिक रूप से वर्ष 2008 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly- UNGA) ने मान्यता दी। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अपने सदस्य राष्ट्रों से विश्व भर के लोगों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली सभी भाषाओं के संरक्षण को बढ़ावा देने का आह्वान किया।

  • 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस (World Hindi Day) मनाया जाता हैै।

इसका उद्देश्य विश्व में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिये उपयुक्त वातावरण तैयार करना और हिंदी को अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में स्थापित करना है। इस अवसर पर भारत के विदेश मंत्रालय द्वारा विदेशों में स्थित भारतीय दूतावासों में कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

पहला विश्व हिंदी सम्मेलन (First World Hindi Conference) 10 जनवरी,1975 को नागपुर में आयोजित किया गया था,जहाँ 30 देशों के 122 प्रतिनिधियों ने कार्यक्रम में भाग लिया।

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने वर्ष 2006 में हर साल 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाने की घोषणा की। हिंदी भाषा पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, न्यूज़ीलैंड, संयुक्त अरब अमीरात, युगांडा, गुयाना, सूरीनाम, त्रिनिडाड, मॉरीशस और दक्षिण अफ्रीका सहित कई देशों में बोली जाती है। विश्व में लगभग 43 करोड़ लोगों द्वारा हिंदी बोली जाती है। वर्ष 2017 में ऑक्‍सफोर्ड डिक्‍शनरी में पहली बार 'अच्छा', 'बड़ा दिन', 'बच्चा' और 'सूर्य नमस्कार' जैसे हिंदी शब्‍दों को शामिल किया गया। हिंदी की उत्पत्ति:-माना जाता है कि 'हिंदी' शब्द को मूल संस्कृत शब्द 'सिंधु' से रूपांतरित किया गया है। सिंध नदी के आसपास के क्षेत्र को 'सिंधु' के नाम से जाना जाता था। ईरानियों के भारत में प्रवेश करने पर यह 'सिंधु' शब्द 'हिंदू' हो गया। बाद में यह 'हिंदी' बन गया और फिर 'हिंद' कहा जाने लगा। गौरतलब है कि 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस, जबकि 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस (National Hindi Day) मनाया जाता है।

  • सेके भाषा(Seke Language) की उत्पत्ति नेपाल के मस्टंग (Mustang) ज़िले में हुई थी। सेके का अर्थ ‘गोल्डन भाषा’ (Golden Language) है। यह एक अलिखित भाषा है।

यह नेपाल में तिब्बती सीमा से संबद्ध क्षेत्र के सिर्फ पाँच गाँवों चुक्संग (Chuksang),चैले (Chaile),ग्याकर (Gyakar),तांगबे (Tangbe) और तेतांग (Tetang) में बोली जाती है।

विश्व में सिर्फ 700 लोग ही सेके भाषा बोलते हैं।

सेके की तीन कथित बोलियाँ तांगबे (Tangbe), टेटांग (Tetang) और चुक्संग (Chuksang) हैं।

यह दुनिया में लुप्तप्राय भाषाओं (Endangered Languages) में से एक है।

लुप्तप्राय भाषाएँ (Endangered Languages) संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक,वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) द्वारा अपनाए गए मानदंडों के अनुसार,एक भाषा तब विलुप्त मानी जाती है जब कोई भी उस भाषा को नहीं बोलता या याद नहीं रखता। यूनेस्को ने भाषा की लुप्तता के खतरे के आधार पर भाषाओं को निम्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया है:-

  1. संवेदनशील (Vulnerable)
  2. निश्चित रूप से लुप्तप्राय (Definitely Endangered)
  3. गंभीर रूप से लुप्तप्राय (Severely Endangered)
  4. अति संकटग्रस्त (Critically Endangered)
  5. अति संकटग्रस्त भाषाएँ

यूनेस्को ने 42 भारतीय भाषाओं को अति संकटग्रस्त (Critically Endangered) माना है।

  1. खतरे का स्तर (Degree of Endangerment)-अंतर-पीढ़ी भाषा संचरण (Intergenerational Language Transmission)
  2. सुरक्षित (Safe)-इस स्तर में भाषा सभी पीढ़ियों द्वारा बोली जाती है और अंतर-पीढ़ी संचरण निर्बाध रुप से होता है।
  3. संवेदनशील (Vulnerable)-इस स्तर में भाषा अधिकांश बच्चों द्वारा बोली जाती है किंतु यह भाषा कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित हो सकती है।
  4. निश्चित रुप से लुप्तप्राय (Definitely Endangered)-इस स्तर में भाषा को बच्चे घर में मातृभाषा के रूप में नहीं सीखते हैं।
  5. गंभीर रुप से लुप्तप्राय (Severely Endangered)-इस स्तर में भाषा दादा-दादी और पुरानी पीढ़ियों द्वारा बोली जाती है। इस भाषा को मूल पीढ़ी समझ सकती है किंतु वे इस भाषा को बच्चों से या आपस में नहीं बोलते हैं।
  6. अति संकटग्रस्त (Critically Endangered)-इस स्तर में भाषा दादा-दादी और बूढ़ों द्वारा आंशिक रूप से या कभी -कभी बोली जाती है।
  7. विलुप्त (Extinct)-इस स्तर में भाषा बोलने वाला कोई भी नहीं बचा है।