1.भारत में विविधता मणिपुर में औरतों का फ़नैक पहनना,झारखंड के आदिवासियों का एक दूसरे को ‘जोहार’ कहकर अभिवादन करना। सूखा और अकाल,काम की तलाश तथा युद्ध घर छोड़ने के कारणों में से है। लोगों के नई जगह में बसने से भाषा,भोजन,संगीत,धर्म आदि में नए और पुराने के मिश्रण के परिणामस्वरूप मिश्रित यानी मिली-जुली संस्कृति उभरी।किसी क्षेत्र की विविधता पर उसके एतिहासिक और भौगोलिक कारकों का भी प्रभाव पड़ता है। उदाहरणस्वरूप यदि हम लद्दाख और केरल की विविधता का अध्ययन करें तो हम पाते हैं कि दोनों हीं क्षेत्रों को चीन और अरब के व्यापारियों ने प्रभावित किया। इन्हीं कारकों ने एक ओर केरला में मसालों की खेती संभव बनाई,वहीं लद्दाख के ऊन ने व्यापारियों को अपनी ओर खींचा। लद्दाख जम्मू और कश्मीर के पूर्वी हिस्से में पहाड़ियों में बसा एक रेगिस्तानी इलाका है,जहाँ बारिश बिल्कुल नहीं होती और यह इलाका हर वर्ष काफी लंबे समय तक बर्फ से ढ़ँका रहता है। इस क्षेत्र में नाममात्र के पेड़ उग पाते हैं।पीने के पानी के लिए लोग गर्मी के महीनों में पिघलने वाले बर्फ पर निर्भर रहते हैं। यहाँ के लोग पश्मीना ऊन कश्मीर के व्यापारियों को बेच ते हैं ।मध्य एशिया के काफिले इसी रास्ते से तिब्बत पहुँचकर मसाले ,कच्चा रेशम,दरियाँ आदि बेचते थे। लद्दाख के रास्ते ही बौद्ध धर्म तिब्बत पहुँचा।इसे छोटा तिब्बत भी कहते हैं।करीब चार सौ साल पहले यहाँ पर लोगों का इस्लाम धर्म से परिचय हुआ।गानों और कविताओं का प्रसिद्ध संग्रह तिब्बत का ग्रंथ केसर सागा लद्दाख में काफी प्रचलित है जिसे मुसलमान और बौद्ध दोनों ही लोग गाते और नाटक खेलते हैं।

केरल समुद्र और पहाड़ियों से घिरा दक्षिण भारत का राज्य है।यहाँ कालीमिर्च,लौंग,इलायची आदि उगाए जाते है। अरबी एवं यहूदी व्यापारी सर्वप्रथम यहाँ आए।एक मान्यता के अनुसार ईसा मसीह के धर्मदूत संत थॉमस लगभग दो हजार साल पहले यहाँ आए।भारत में ईसाई धर्म लाने का श्रेय उन्हीं को जाता है।सात सौ साल पहले यहाँ आनेवाले इब्न बतूता ने अपने यात्रा वृतांत रिह्ला में लिखा कि मुसलमानों की यहाँ बड़ी इज्जत थी।यहाँ यहूदी,इस्लाम,ईसाई,हिंदू एवं बौद्ध धर्म के लोग निवास करते है।चीनी व्यापारी भी केरल आए। केरला का मछली पकड़ने वाला जाल चीना-वाला तथा तलने के लिए प्रयूक्त बर्तन चीनाचट्टीहै।यहाँ की जमीन और जलवायु चावल की खेती के लिए उपयुक्त है।मछली,सब्जी और चावल मुख्य आहार।

दिन खून के हमारे, प्यारे न भूल जाना,
खुशियों में अपनी हम पर, आँसू बहा के जाना
यह गीत अमृतसार में हुए जलियाँवाला बाग हत्याकांड के बाद गाया जाता था।

जवाहर लाल नेहरु ने अपनी किताब “भारत की खोज” में विविधता का वर्णन करते हुए “अनेकता में एकता” का विचार हमें दिए। वे लिखते हैं कि भारतीय एकता कोई बाहर से थोपी हुई चीज नहीं है,बल्कि"यह बहुत ही गहरी है जिसके अंदर अलग-अलग तरह के विश्वास और प्रथाओं को स्वीकार करने की भावना है।इसमें विविथता को पहचाना और प्रोत्साहित किया जाता है।"

2.विविधता एवं भेदभाव संसार के आठ प्रमुख धर्मों में सभी के अनुयायी भारत में रहते हैं।यहाँ सोलह सौ से ज्यादा भाषाएँ बोली जाती हैं तथा सौ से ज्यादा तरह के नृत्य किए जाते हैं। पूर्वाग्रह-जब हम किसी के बारे में पहले से कोई राय बनाकर उसे दिमाग में बैठा लेते हैं।ज्यादातर यह राय नकारात्मक होती है।उदाहरण के लिए-यदि हम यह सोचें कि अंग्रेजी सबसे अच्छी भाषा है और दूसरी भाषाएँ महत्वपूर्ण नहीं हैं,तो हम अन्य भाषाओं को बहुत नकारात्मक रूप से देखेंगे तथा गैर अंग्रेजी भाषी लोगों को इज्जत नहीं कर पाएँगे। बचपन से हीं लड़कों को सीखाया जाता है कि लड़के बहादुर होते हैे,रोते नहीं हैं.'जैसे-जैसे वड़े होते हैं वे यह मान लेते हैं कि रोना-धोना लड़कियों की निशानी है। रूढ़िबद्ध धारणाएँ जब हम सभी लोगों को एक हीं छवि में बाँध देते हैं या उनके बारे में पक्की धारणा बना लेते हैं।-दाढ़ीवाले या मुस्लिम नाम वाले लोगों को कट्टर मानकर अमेरिका या भारत जैसे देशों में भी हवाई अड्डों पर उसकी सख्त निगरानी की जाती है। दूसरी धारणा के अनुसार मुसलमान लड़कियों को पढाने में रुचि नहीं लेते इसलिए उन्हें स्कूल नहीं भेजते।मुसलमानों में व्याप्त गरीबी इसका महत्वपूर्ण कारण है।केरल में स्कूल प्राय:घर के पास हैं।सरकारी बस की सुविधा बहुत अच्छी है जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों को स्कूल पहुँचने में मदद मिलती है।उनमें 60% से अधिक महिला शिक्षक हैं।इन सभी करकों ने गरीब तथा मुसलमान लड़कियों को शिक्षित करने में अहम भूमिका निभाई। जब हम पूर्वाग्रहों या रूढ़िबद्ध धारणाओं के आधार पर व्यवहार करते है,तब भेदभाव होता है।अपने से भिन्न धर्म, प्रथाओं और रिवाजों को निम्न कोटी का मानना भेदभाव है। कई जनजाति लोगों ,धार्मिक समूहों और खास क्षेत्र के लोगों को विविधता और असमानता पर आधारित दोनों हीं तरह के भेदभाव का सामना करना पड़ता है। सफाई करना,कपड़े धोेना ,बल काटना ,कचरा उठाना जैसे कामों को समाज में कम महत्व का माना जाने के कारण इन कार्यों से जुड़े लोगों को 'अछूत'कहकर जाति व्यवस्था के निचले पांवदान पर रख दिया गया। जाति व्यवस्था,ग़रीबी और अमीरी विविधता का रूप नहोकर असमानता है।संविधान के लेखकों ने यह कहा कि विविधता की इज्जत करना,उसे मूल्यवान मानना,समानता सुनिश्चित करने में बहुत ही महत्वपूर्ण कारक है।