सामान्य अध्ययन २०१९/भारत का अन्य देशों के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास

सामान्य अध्ययन २०१९
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  • चीन,रूस और ईरान का संयुक्त नौसेना अभ्यास 27-30 दिसंबर,2019 तक संयुक्त नौसैनिक अभ्यास आयोजित किया।

यह अभ्यास चाबहार के दक्षिण-पूर्वी बंदरगाह शहर के पास ओमान की खाड़ी में शुरू किया गया है और इसका उद्देश्य इस क्षेत्र के जलमार्गों की सुरक्षा को बढ़ावा देना है। उल्लेखनीय है कि चाबहार बंदरगाह को भारत, ईरान और अफगानिस्तान द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है। यह संयुक्त अभ्यास तीनों देशों के बीच "सामान्य सैन्य सहयोग" का एक हिस्सा है। इस अभ्यास के दौरान चीन ने अपने निर्देशित-मिसाइल विध्वंसक (Guided-Missile Destroyer)- कैरिअर किलर (Carrier Killer) और लैंड-अटैक क्रूज़ मिसाइलों का प्रदर्शन किया।

  • काकाडू अभ्यास 1993 में शुरू हुआ, एक बहुपक्षीय क्षेत्रीय समुद्री अभ्यास है जो रॉयल ऑस्ट्रेलियाई नौसेना (RAN) द्वारा आयोजित किया जाता है और इसे रॉयल ऑस्ट्रेलियाई वायु सेना (RAAF) द्वारा सहयोग प्राप्त है। इस अभ्यास को डार्विन और उत्तरी ऑस्ट्रेलियाई अभ्यास क्षेत्रों (NAXA) में द्विवार्षिक रूप से आयोजित किया जाता है। अतः कथन 1 सही है।

भारतीय नौसेना के जहाज सह्याद्रि ने काकाडू अभ्यास, 2018 में भाग लिया। भारतीय नौसेना की इस भागीदारी से देश को क्षेत्रीय भागीदारों के साथ जुड़ने और बहुराष्ट्रीय समुद्री गतिविधियों को नियंत्रित करने का एक शानदार अवसर मिलता है। जा सकता है।

  • भारत और रूस के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘इन्द्र’- 2019 (Exercise INDRA- 2019) का आयोजन 10- 19 दिसंबर 2019 तक बबीना (झाँसी), पुणे और गोवा में एक साथ किया जाएगा। वर्ष 2003 से प्रारंभ तथा वर्ष 2017 में रूस के व्लादिवोस्टोक में पहला संयुक्त सैन्य अभ्यास का आयोजन किया गया जिसमें दोनों देशों की थल,वायु एवं जल सेनाओं ने भाग लिया

उद्देश्य:-इस सैन्य अभ्यास का उद्देश्य दोनों देशों की सेनाओं के बीच सामरिक कौशल,अनुभव और सैन्य तकनीक को साझा करना है। रणनीतिक सहयोग को बढ़ावा देता है।

  • भारत वर्ष 2020 में आयोजित होने वाले नौसैनिक अभ्यास मिलन (MILAN) की मेज़बानी करेगा।

मिलन एक द्विवार्षिक बहुपक्षीय नौसेना अभ्‍यास की श्रृंखला है जिसकी शुरुआत वर्ष 1995 में की गई थी। वर्ष 2018 तक इसका आयोजन अंडमान एवं निकोबार कमान में किया जाता था। परंतु अभ्यास की बढ़ती संभावना और जटिलता के कारण पहली बार इसका आयोजन विशाखापत्‍तनम कमान में किया जा रहा है। मिलन- 2020 का उद्देश्य: इसका उद्देश्य मित्र राष्ट्रों की नौसेनाओं के बीच व्यावसायिक संपर्कों को बढ़ाना एवं सामुद्रिक क्षेत्र में एक-दूसरे की शक्तियों तथा सर्वश्रेष्‍ठ प्रचलनों से ज्ञान प्राप्त करना है। यह अभ्यास विदेशी नौसेनाओं के ऑपरेशनल कमांडरों के लिये आपसी हित के क्षेत्रों में एक-दूसरे से परस्‍पर संपर्क बनाए रखने के लिये भी एक उल्‍लेखनीय अवसर उपलब्‍ध कराएगा। अभ्यास में शामिल देश: इस अभ्यास में दक्षिण एशिया, दक्षिण-पूर्व एशिया, अफ्रीका और यूरोप के ऐसे 41 देशों को आमंत्रित किया गया है जिनके साथ भारत के सैन्य संबंध हैं।

  • मित्रशक्ति सैन्य अभ्यास-2019-भारत और बांग्लादेश के बीच 01-14 दिसंबर,तक के सातवें संस्करण का आयोजन किया जाएगा।

यह अभ्यास विदेशी प्रशिक्षण नोड (Foreign Training Node- FTN) पुणे में आयोजित किया जाएगा। इस अभ्यास के छठे संस्करण का आयोजन श्रीलंका में किया गया था

  • ज़ायर-अल-बह्र(Za’ir-Al-Bahr) नामक पाँच दिवसीय (17 से 21 नवंबर,2019 तक)द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास का आयोजन

भारत और कतर की नौसेनाओं के मध्य कतर की राजधानी दोहा में किया जा रहा है।

भारतीय नौसेना का युद्धक जहाज़ आईएनएस त्रिकंड और गश्ती हवाई जहाज पी8-I हिस्सा लेंगे। कतर की नौसेना में एंटी-शिप मिसाइल बरजान क्लास फास्ट अटैक क्राफ्ट और राफेल युद्धक विमान शामिल हैं।

यह अभ्यास तीन दिन बंदरगाह पर और दो दिन समुद्र में किया जाएगा। बंदरगाह पर होने वाले अभ्यास में विचार-गोष्ठी, पेशेवराना बातचीत, खेल, सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल हैं,जबकि समुद्र में किये जाने वाले अभ्यास में सतह पर की जाने वाली कार्रवाई,वायु सुरक्षा एवं समुद्री निगरानी,आतंकवाद विरोधी कार्रवाई,आदि शामिल हैं।

  • भारत और उज्बेकिस्तान के बीच प्रथम संयुक्त सैन्य अभ्यास‘दुस्त्लिक 2019’ का आयोजन ताशकंद के निकट चिर्चिक प्रशिक्षण क्षेत्र में किया जा रहा है। 4 नवम्बर को शुरू यह अभ्यास नौ दिन तक चलेगा।

यह अभ्यास शहरी परिदृश्य में आतंकवाद और आतंकवाद विरोधी अभियानों पर केंद्रित था। इसके अलावा हथियारों को चलाने की विशेषज्ञता और आतंकवाद से मुकाबला करने के लिये शूटिंग तथा अनुभव साझा करना इसका उद्देश्य है। इस अभ्यास ने सेनाओं को सभी देशों की सांस्कृतिक समझ, अनुभवों को साझा करने, आपसी विश्वास और सहयोग को मजबूत करने का अवसर

शंघाई देश
  • शंघाई सहयोग संगठन संयुक्त अभ्यास (SCOJtEx-2019) का आयोजन केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा शहरी भूकंप खोज और बचाव पर किया गया।

इस चार दिवसीय अभ्यास का आयोजन अंतर्राष्ट्रीय खोज एवं बचाव सलाहकार समूह (International Search & Rescue Advisory Group- INSARAG) की कार्यप्रणाली और दिशा निर्देशों के तहत किया गया है। भारत की ओर से SCOJtEx-2019 के नवीनतम संस्करण की मेज़बानी राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन बल द्वारा की गई।

शंघाई सहयोग संगठन के सभी 08 सदस्य देश- भारत,चीन,कज़ाखस्तान,किर्गिज़स्तान,पाकिस्तान,रूस,ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान प्रतिभागी के रुप में शामिल थे।

SCOJtEx का उद्देश्य भूकंप के संदर्भ में बहु-एजेंसी अभियानों को शामिल करते हुए समन्वय और सहयोग को बढ़ाने का अवसर प्रदान करना है। इसके अलावा प्रतिभागी देशों के आपसी समन्वय के लिये आपदा प्रतिक्रिया तंत्र का पूर्वाभ्यास,ज्ञान का आदान-प्रदान,अनुभव और तकनीक आदि साझा करना इसका उद्देश्य है।

  • टाइगर ट्रायम्फ (Tiger Triumph) भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच पहला त्रि-सेवा युद्ध अभ्यास है,जिसका आयोजन 13-21 नवंबर,2019 तक किया जाएगा। इसका मुख्य फोकस मानवीय सहायता एवं आपदा राहत ऑपरेशन पर होगा।
आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम और काकीनाडा तटों पर आयोजित इस युद्ध अभ्यास में भारत की ओर से लगभग 1200 तथा अमेरिका की ओर से 500 सैनिक हिस्सा लेंगे।

इसका आयोजन इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ (Integrated Defence Staff- IDS) के तहत किया जाएगा। यह ऐसा दूसरा अवसर होगा जब भारत थलसेना,नौसेना तथा वायुसेना सहित किसी दूसरे देश के साथ त्रि-सेवा युद्ध अभ्यास करेगा। इससे पहले भारत ने रूस के साथ त्रि-सेवा युद्ध अभ्यास ‘इंद्र’ में हिस्सा लिया था।

  • नौसैनिक अभ्यास ‘समुद्र शक्ति-भारतीय और इंडोनेशियाई नौसेनाके बीच बंगाल की खाड़ी में किया गया।

इसमें भारतीय नौसेना का पनडुब्बी रोधी युद्धक कॉरवेट- आईएनएस कमोर्ता (INS KAMORTA) और इंडोनेशियाई युद्धक जहाज़ केआरआई उस्मान हारून (KRI Usman Haroon) भाग ले रहे हैं।

12 नवंबर,2018 को भारत और इंडोनेशिया के बीच पहले द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास ‘समुद्र शक्ति’ का आयोजन किया गया था।

इस संयुक्त युद्धाभ्यास में आपसी तालमेल (Co-operation),युद्धाभ्यास,वायु रक्षा अभ्यास,फायरिंग ड्रिल, हेलिकॉप्टर संचालन एवं बोर्डिंग ऑपरेशन शामिल हैं।

  • भारतीय नौसेना और थाईलैंड की शाही नौसेना के बीच 5 सितंबर 2019 को भारत-थाईलैंड की 28वीं समन्वयन गश्त (28th Indo–Thai CORPAT) की शुरुआत हुई। इस गश्त का आयोजन 15 सितंबर तक किया किया जाएगा।

इसमें भारतीय नौसेना पोत केसरी (Kesari) और थाईलैंड की शाही नौसेना पोत क्राबुरी (Kraburi) भाग ले रहे हैं। इसके अलावा दोनों नौसेनाओं के समुद्री गश्ती हवाई जहाज भी शामिल होंगे।

अंडमान-निकोबार कमान के भारतीय नौसेना के पोत और हवाई जहाज वर्ष 2003 से थाईलैंड की शाही नौसेना के साथ दो वर्षों में एक बार कॉरपेट में हिस्सा लेते रहे हैं।

इसका उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र सामुद्रिक कानून समझौते का कारगर क्रियान्वयन है। इसके तहत प्राकृतिक संसाधनों और समुद्री पर्यावरण का संरक्षण,गैर-कानूनी रूप से मछली पकड़ने की गतिविधियों/मादक पदार्थों की तस्करी/समुद्री डाकुओं की गतिविधियों को रोकना,तस्करी, गैर-कानूनी आप्रवासन की रोकथाम तथा समुद्र में तलाशी और बचाव गतिविधियाँ आयोजित करना शामिल हैं।

  • शक्ति (SHAKTI)-भारत-फ्राँस के मध्य 31 अक्तूबर से 13 नवंबर 2019 तक आयोजित किया गया।
सर्वप्रथम वर्ष 2011 से आयोजित,इस द्विवार्षिक द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास,का आयोजन क्रमिक रूप से भारत तथा फ्राँस में किया जाता है।
महाजन फील्ड फायरिंग रेंज, राजस्थान में इस वर्ष आयोजित। इसमें भारतीय सेना का प्रतिनिधित्व सप्त शक्ति कमान की सिख रेजिमेंट की एक टुकड़ी करेगी।

उद्देश्य

दो सेनाओं के बीच समझ, सहयोग और पारस्पारिकता को बढ़ाना।
संयुक्त राष्ट्र जनादेश (United Nations Mandate) के तहत अर्ध-रेगिस्तानी क्षेत्रों में काउंटर टेरिरिज़्म ऑपरेशन (Counter Terrorism operations) पर ध्यान केंद्रित करना है।

भारत और फ्राँस के बीच अन्य सैन्य अभ्यास

  1. वरुण - नौसेना अभ्यास
  2. गरुड़ - वायुसेना अभ्यास
  3. शक्ति - थलसेना अभ्यास
अंडमान और निकोबार
  • अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह सैन्य अभ्यास 2019 (Danx-19)

अंडमान और निकोबार कमांड द्वारा इसके दूसरे संस्करण का आयोजन 14-18 अक्तूबर, 2019 के मध्य किया गया।

इसमें भारतीय सेना, नौसेना, वायुसेना और तटरक्षक बल के सैनिकों ने भाग लिया।
वर्ष 2017 में इसके पहले संस्करण का आयोजन किया गया था।
उद्देश्य:-अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह की क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित करना।

बंगाल की खाड़ी में स्थित इस द्वीपसमूह को 10° अक्षांश रेखा दो द्विपों में विभाजित करती है। अंडमान के द्वीप पर महा अंडमानी, ओंगे, जारवा और सेंटीनलीज़ जैसी नीग्रो जनजातियाँ निवास करती हैं, जबकि निकोबार द्वीप पर निकोबारी तथा शोम्पेन नामक मंगोलायड जनजातियाँ रहती हैं।

ओमान मानचित्र
  • एक्स ईस्टर्न ब्रिज- V (EX EASTERN BRIDGE-V)[भारत और ओमान]

17-26 अक्तूबर 2019 तक के बीच द्विपक्षीय संयुक्त वायुसेना सैन्य-अभ्यास का आयोजन किया गया। भारतीय वायु सेना रॉयल एयर फोर्स ओमान (Royal Air Force Oman- RAFO) के बीच यह सैन्य-अभ्यास ओमान के वायुसेना बेस मसिराह में हो रहा है। इस अभ्यास में IAF के मिग-29,सी-17 विमान और RAFO के यूरोफाइटर टाइफून, एफ -16 एवं हॉक जैसे विमान शामिल हो रहे हैं। भारतीय वायु सेना को अंतर्राष्टीय स्तर पर अभ्यास का एक अच्छा अवसर प्राप्त होगा।

भारत और ओमान की वायुसेना के बीच अंतिम सैन्य अभ्यास ब्रिज- 4 (BRIDGE- 4) वर्ष 2017 में गुजरात के जामनगर में आयोजित किया गया था।
ओमान,अरब प्रायद्वीप के दक्षिण-पूर्वी तट (जिसे मुसंडम प्रायद्वीप- Musandam Peninsula कहा जाता है) पर स्थित है। इसकी राजधानी मस्कट है।

अरब सागर और फारस की खाड़ी के संपर्क बिंदु पर स्थित होने के कारण ओमान भू-राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण है ।

  • धर्म गार्जियन 2019(DHARMA GUARDIAN – 2019)-भारत और जापान

19 अक्तूबर से 2 नवंबर,2019 तक काउंटर इनसर्जेंसी वारफेयर स्कूल- वैरेंटे (Counter Insurgency Warfare School- Vairengte) मिज़ोरम में किया जाएगा। भारतीय सेना और जापान ग्राउंड सेल्‍फ डिफेंस फोर्सेज़ (Japanese Ground Self Defence Forces- JGSDF) के 25-25 सैनिक, आतंकी गतिविधियों से निपटने हेतु अभ्यास करेंगे।

दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग सहित सामरिक संबंधों को और सुदृढ़ करने हेतु धर्म गार्जियन का आयोजन भारत में वर्ष 2018 में शुरू किया गया था।

अंतिम संयुक्त सैन्य अभ्यास भी भारत के मिज़ोरम राज्य में ही आयोजित किया गया था। दोनों ही देशों के विशेषज्ञ,युद्ध परिचालन से जुड़े विभिन्‍न पहलुओं पर अपनी विशेषज्ञता को साझा करते हैं। उद्देश्य: इस संयुक्त सैन्य अभ्यास के माध्यम से भारतीय सेना और जापानी ग्राउंड सेल्फ डिफेंस फोर्सेज़ के बीच रक्षा सहयोग एवं समन्वय बढ़ाना। भारत एवं जापान के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मज़बूती प्रदान करना। भारत और जापान के बीच अन्य संयुक्‍त सैन्‍य अभ्‍यास: द्विपक्षीय समुद्री संयुक्त सैन्य अभ्यास- जिमेक्स (JIMEX) द्विपक्षीय वायु सैनिक संयुक्त सैन्य अभ्यास- शिन्यु मैत्री (SHINYUU Maitri) त्रि-पक्षीय (भारत-जापान-अमेरिका) समुद्री संयुक्त सैन्य अभ्यास- मालाबार (Malabar)

  • एकुवेरिन सैन्य अभ्यास-भारत और मालदीव

इस अभ्यास के 10वें संस्करण का आयोजन 07-20 अक्तूबर 2019 तक महाराष्ट्र के पुणे जिले के औंध में किया गया।

धिवेही (Dhivehi) भाषा में एकुवेरिन (Ekuverin) शब्द का अर्थ- मित्र (Friend) होता है।

पिछला सैन्य अभ्यास वर्ष 2018 में मालदीव के माफिलाफुसी (Maafilaafushi) स्थित नार्दर्न एरिया हेडक्वार्टर में किया गया था। उद्देश्य: भारत और मालदीव के बीच घनिष्ठ जातीय, भाषाई, सांस्कृतिक, धार्मिक और वाणिज्यिक संबंध है। एकुवेरिन सैन्य अभ्यास का उद्देश्य दोनों देशों के बीच संबंधों को और मज़बूत करना है। इस सैन्य अभ्यास के दौरान आतंकवाद-रोधी अभियानों हेतु साझा सैन्य अभ्यास का आयोजन किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य दक्षिण एशिया में आतंकवादी गतिविधियों को रोकना है। मालदीव: मालदीव भारत के दक्षिण-पश्चिम में स्थित एक छोटा सा द्वीपीय देश है। यहाँ पर 99% जनसंख्या इस्लाम धर्म की अनुयायी है। मालदीव जलवायु परिवर्तन से सबसे अधिक प्रभावित होने वाले देशों में से एक है क्योंकि यहाँ की समुद्र से ऊँचाई अत्यधिक कम है। मालदीप की राजधानी माले है।

  • नोमाडिक एलीफैंट -भारत-मंगोलिया के मध्य।

इसके 14वें संस्करण का आयोजन 05 से 18 अक्तूबर के मध्य बकलोह (हिमाचल प्रदेश) में किया गया। इसमें मंगोलियाई सेना का प्रतिनिधित्व एलीट 084 एयर बोर्न स्पेशल टास्क बटालियनके सैनिकों द्वारा तथा भारतीय सेना का प्रतिनिधित्व राजपूताना रायफल्स की एक बटालियन टुकड़ी द्वारा किया गाया। इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य आतंकवाद विरोधी और काउंटर टेररिज़्म ऑपरेशन में सैनिकों को प्रशिक्षित करना है, साथ ही इससे दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग तथा सैन्य संबंधों में भी प्रगाढ़ता आएगी।

  • काज़िंद- 2019(KAZIND- 2019)भारत और कज़ाखस्तान

इसके चौथे संस्करण का आयोजन 2 से 15 अक्तूबर तक पिथौरागढ़ (उत्तराखंड) में किया गाया। प्रतिवर्ष दोनों देशों में बारी-बारी से आयोजित किये जानेवाला इस अभ्यास में भारतीय और कज़ाखस्तान दोनों सेनाओं के लगभग 100 सैनिक शामिल होंगे जो अतीत में विभिन्न आतंकवादरोधी अभियानों के संचालन के दौरान प्राप्त अपने अनुभव को साझा करेंगे। इस अभ्यास में वैश्विक आतंकवाद और हाइब्रिड युद्ध के उभरते पहलुओं को भी शामिल किया गया है। इस संयुक्त सैन्य अभ्यास से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के साथ ही रक्षा सहयोग में भी वृद्धि होगी। मालाबार युद्ध अभ्यास- 2019 23वें संस्करण का आयोजन जापान के तट पर 26 सितंबर से 4 अक्तूबर, 2019 तक किया गया। भारत की ओर से इसमें युद्धपोत सह्याद्रि (Sahyadri) तथा किल्टन (Kiltan) भाग लेंगे। सह्याद्रि एक बहु-उद्देश्यीय निर्देशित मिसाइल युद्धपोत है, जबकि किल्टन पनडुब्बी-रोधी युद्धपोत है। इस युद्ध अभ्यास में भारत की ओर से लंबी दूरी का सामुद्रिक गश्ती लड़ाकू विमान ‘P81’ भी शामिल होगा। भारत-जापान-अमेरीका के मध्य प्रतिवर्ष आयोजित किये जाने वाला यह त्रिपक्षीय नौसैनिक युद्धअभ्यास उनके सहयोग को और अधिक मज़बूती प्रदान करेगा तथा साझा मूल्यों एवं सिद्धांतों पर आधारित पारस्परिकता में वृद्धि करेगा।

वर्ष 1992 में भारतीय व अमेरिकी नौसेना के मध्य द्विपक्षीय युद्ध अभ्यास के रूप में इसकी शुरुआत हुई थी।
वर्ष 2015 में जापान इस युद्ध अभ्यास में शामिल हुआ

महत्त्वपूर्ण द्विपक्षीय और बहुपक्षीय रक्षा अभ्यास इंद्र (Indra) भारत-रूस नौसेना अभ्यास मालाबार (Malabar) भारत-जापान-अमेरिका नौसेना अभ्यास वरुण (Varuna) भारत और फ्राँस नौसेना अभ्यास इब्समार (Ibsamar) भारत, ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका नौसेना अभ्यास कोंकण (Konkan) भारत और ब्रिटेन नौसेना अभ्यास नसीम अल-बह्र (Naseem Al-Bahr) भारत और ओमान नौसेना अभ्यास ऑसिंडेक्स (Ausindex) भारत और ऑस्ट्रेलिया नौसेना अभ्यास

अभ्यास का नाम देश 2019 का आयोजन
सूर्य किरण नेपाल उदाहरण
शक्ति फ्राँस उदाहरण
युद्धाभ्यास अमेरिका उदाहरण
गरुड़ शक्ति इंडोनेशिया उदाहरण
एकुवेरिन मालदीव उदाहरण
हैंड-इन-हैंड चीन उदाहरण
कुरुक्षेत्र सिंगापुर उदाहरण
मित्र शक्ति श्रीलंका उदाहरण
सिम्बेक्स सिंगापुर उदाहरण
नोमेडिक एलिफेंट मंगोलिया बकलोह (हिमाचल प्रदेश)

भारत और एशियाई देशों के मध्य

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SITMEX-भारतीय नौसेना (IN),सिंगापुर गणराज्य नौसेना (RSN) और रॉयल थाईलैंड नौसेना (RTN)

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पहला त्रिपक्षीय अभ्यास 16 सितंबर, 2019 से पोर्टब्लेयर में शुरु हो गया है। पाँच दिवसीय इस अभ्यास का लक्ष्य सिंगापुर,थाईलैंड और भारत के बीच समुद्री अंतर-संबंध को मज़बूती प्रदान करना तथा क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा को बेहतर बनाना है। इस अभ्यास से तीनों देशों की नौसेनाओं के बीच आपसी विश्वास मज़बूत होगा। इस अभ्यास में भाग ले रहे हैं:- RSN टिनेसिएस (RSN Tenaciou), एक दुर्जेय श्रेणी का मिसाइल गाइडेड स्टील्थ युद्धपोत;थाईलैंड का शाही नौसैनिक पोत (His Majesty's Thailand Ship) क्राबुरी (Kraburi) भारतीय नौसेना का जहाज़ रणवीर-एक निर्देशित मिसाइल विध्वंसक (a guided-missile destroyer), कोरा, एक मिसाइल युद्धपोत (missile corvette),सुकन्या,एक अपतटीय गश्ती पोत (offshore patrol vessel) लंबी दूरी का समुद्री टोही एयरक्राफ्ट P8I

इस अभ्यास का आयोजन दो चरणों- बंदरगाह चरण और समुद्री चरण में किया जाएगा।

बंदरगाह चरण में पेशेवर बातचीत, आधिकारिक वार्ता, सामाजिक कार्यक्रम और विभिन्‍न खेल गतिविधियाँ आयोजित करने जैसे कार्यक्रम शामिल होंगे। समुद्री चरण में सभी के लिये समुद्रों को शांतिपूर्ण और सुरक्षित बनाने हेतु दोनों नौसेनाओं के बीच अंतर-सक्रियता बढ़ाने और अपने कौशल का विकास करने जैसे कार्यक्रम शामिल होंगे। इस अभ्यास का उद्देश्य सिंगापुर,थाईलैंड और भारत के बीच समुद्री अंतर-संबंध (अंतर-संचालन के मामले में) को मज़बूत करना है और इस क्षेत्र में समग्र समुद्री सुरक्षा को बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण योगदान देना है। तीनों देशों के बीच इस तरह के पहले अभ्यास से सहकारिता को सुदृढ़ करने के अलावा मज़बूत संबंधों के पोषण के लिये नौसेनाओं को एक साथ आने का अवसर मिलेगा।

समुद्र लक्ष्मण(Samudra Laksamana)

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मलेशिया क्षेत्रीय मानचित्र

12 से 15 सितंबर,2019 के बीच भारतीय नौसेना और मलेशिया की शाही नौसेनाके मध्य इस अभ्यास का आयोजन दो चरणों- बंदरगाह चरण और समुद्री चरण में किया गया। बंदरगाह चरण में पेशेवर बातचीत, आधिकारिक वार्ता, सामाजिक कार्यक्रम और विभिन्‍न खेल गतिविधियाँ आयोजित करने के कार्यक्रम शामिल थे। समुद्री चरण में सभी के लिये समुद्रों को शांतिपूर्ण और सुरक्षित बनाने के लिये दोनों नौसेनाओं के बीच अंतरसक्रियता बढ़ाने और अपने कौशल का विकास करने जैसे कार्यक्रम शामिल थे। भारत की तरफ से नौसेना के दो जहाज़ों- INS सह्याद्रि (Sahyadri) और INS किलटन (Kiltan) ने इसमें भाग लिया।

  • मैत्री,2019(Maitree, 2019)
     
    थाइलैंड

भारत और थाइलैंड के मध्य 16 सिंतबर से 29 सितंबर,2019 तक मेघालय के उमरोई में आयोजित इस अभ्यास का उद्देश्य-अपने-अपने देशों में आतंकवाद विरोधी कार्रवाइयों के दौरान प्राप्त अनुभवों को साझा करना है।

इस वार्षिक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन वर्ष 2006 से थाइलैंड और भारत में बारी-बारी से किया जाता है।
यद्यपि भारत अनेक देशों के साथ सैन्य प्रशिक्षण अभ्यासों का संचालन करता है। किंतु, वैश्विक आतंकवाद के बदलते परिदृश्य में थाइलैंड के साथ अभ्यास मैत्री दोनों देशों की सुरक्षा संबंधी चुनौतियों को देखते हुए अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है।
इस अभ्यास में वनों और शहरी परिदृश्य में आतंकवाद विरोधी कार्रवाई पर आधारित कंपनी स्तर के संयुक्त प्रशिक्षण को भी शामिल किया गया है।
रॉयल थाईलैंड नौसेना और भारतीय नौसेना वर्ष 2005 से हिंद महासागर क्षेत्र में कॉर्पैट (Coordinated Patrols-CORPATs) में भाग ले रहे हैं।

संयुक्त सैन्य अभ्यास से भारतीय सेना और रॉयल थाइलैंड आर्मी के बीच रक्षा सहयोग बढ़ेगा। इससे दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग बढ़ाने के साथ ही द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करने में मदद मिलेगी।

  • 'सूर्य-किरण-XIV'सैन्य अभ्यास का आयोजन भारत और नेपाल के मध्य नेपाल के रूपन्देही ज़िले में स्थित सलझंडी गाँव में 3 से 16 दिसंबर 2019 तक किया गया

इस वार्षिक अभ्यास का उद्देश्य भारत और नेपाल दोनों देशों की सेनाओं के मध्य बटालियन स्तर के संयुक्त प्रशिक्षण का आयोजन करना है। इससे वन और पहाड़ी क्षेत्रों में आतंकवाद निरोधी परिचालनों,मानवीय सहायता तथा आपदा राहत,चिकित्सा,पर्यावरण संरक्षण और विमानन के क्षेत्रों में अंतर-सक्रियता बढ़ाई जा सकेगी। इस संयुक्त सैन्य अभ्यास से रक्षा सहयोग के स्तर में बढ़ोत्‍तरी होगी, जिससे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा मिलेगा। नेपाल और भारत में इसका आयोजन बारी-बारी से किया जाता है।

  • मित्रशक्ति सैन्य अभ्यास-2019[भारत-श्रीलंका] के 7वें संस्करण का आयोजन 01 - 14 दिसंबर,2019 को विदेशी प्रशिक्षण नोड (Foreign Training Node-FTN) पुणे में आयोजित किया जाएगा। इस अभ्यास के छठे संस्करण का आयोजन श्रीलंका में किया गया था।

इसका उद्देश्य भारत और श्रीलंका की सेनाओं के बीच सकारात्मक संबंधों का निर्माण और संवर्द्धन करना है। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र के जनादेश के तहत शहरी और ग्रामीण परिवेश में जवाबी कार्रवाई तथा आतंकी कार्रवाईयों के मुकाबले के लिये उप इकाई स्तर के प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित करना है।

  • भारत,अमेरिका,जापान और फिलीपींस के युद्धपोतों ने दक्षिण चीन सागर में छह दिवसीय नौसैनिक अभ्यास ‘ग्रुप सेल’ (Group Sail) में हिस्सा लिया।3-9 मई के मध्य आयोजित इस अभ्यास में भारत की तरफ से आईएनएस कोलकाता और आईएनएस शक्ति शमिल हुए।

इसका उद्देश्य देशों के बीच साझेदारी बढ़ाने के साथ ही भाग लेने वाली नौसेनाओं के बीच आपसी समझ को बढ़ावा देना था। इस अभ्यास में भाग लेने से सुरक्षित समुद्री वातावरण सुनिश्चित करने के लिये समान विचारधारा वाले देशों के साथ भारत के सहयोग करने की प्रतिबद्धता प्रदर्शित होती है। इस दौरान दक्षिण चीन सागर में चीन के आक्रामक और विस्तारवादी व्यवहार को ध्यान में रखते हुए भारत ने अंतर्राष्ट्रीय जल क्षेत्र में नेविगेशन की स्वतंत्रता का सम्मान करने और 1982 के संयुक्त राष्ट्र समुद्री क़ानून संधि (UNCLOS) सहित अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार चलने की सभी देशों की आवश्यकता को दोहराया है। यह अभ्यास ऐसे समय में हुआ है जब भारत उत्तरी हिंद महासागर में बढ़ती चीनी गतिविधियों पर नज़र रख रहा है जहाँ चीनी जहाज़ों और पनडुब्बियों की उपस्थिति बढ़ रही है।