सामान्य अध्ययन २०१९/शिक्षा
- दिल्ली मंत्रिमंडल ने राज्य में ‘भारत का पहला राजकीय खेल विश्वविद्यालय स्थापित करने के लिये एक विधेयक को मंज़ूरी दी है। यह विधेयक खेल विश्वविद्यालय को खेल स्कूलों और कॉलेजों की स्थापना का अधिकार देता है। खेल विश्वविद्यालय अन्य खेलों के साथ क्रिकेट, फुटबॉल और हॉकी में स्नातक, स्नातकोत्तर तथा डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान करेगा।
- भारतीय इतिहास काॅन्ग्रेस का 80वाँ सत्र 28-30 दिसंबर, 2019 तक कन्नूर (केरल) में आयोजित किया गया
इस सत्र में राजनीतिक और प्रशासनिक अधिकारियों से सभी संस्कृतियों को बढ़ावा देने के संवैधानिक कर्त्तव्य को निभाने का आह्वान किया गया, जो भारत की क्षेत्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिये महत्वपूर्ण है।
- सर्वप्रथम वर्ष 1935 में भारत इतिहास संशोधक मंडल (Bharata Itihasa Samshodhaka Mandala-BISM) द्वारा रजत जयंती के अवसर पर एक अखिल भारतीय काॅन्ग्रेस का आयोजन किया गया था।
इतिहास पर होने वाले शोधकार्यों के मानकों को विनियमित करना। निष्पक्ष एवं मौलिक इतिहास को बढ़ावा देना। पूर्वाग्रह और राजनीति से रहित निष्पक्ष एवं वैज्ञानिक इतिहास को बढ़ावा देना। भारतीय इतिहास काॅन्ग्रेस ने सरकार से शोधकर्त्ताओं को अभिलेखागार तक पहुँचने की अनुमति देने के लिये वर्ष 1946 में याचिका दायर की थी। वर्ष 1948 से भारतीय इतिहास काॅन्ग्रेस देश भर के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के पाठ्यक्रम में इतिहास के योगदान को बढ़ावा दे रही है।
- QS RANKINGS:- क्वैकेरेली साइमंड्स(Quacquarelli Symonds- QS) द्वारा एशिया के विश्वविद्यालयों के लिये रैंकिंग (QS World University Rankings for Asia) जारी की गई है।
एशिया महाद्वीप के 550 विश्वविद्यालयों में भारत के शामिल 96 भारतीय विश्वविद्यालय में 20 नए विश्वविद्यालय शामिल हैं।
- चीन के सबसे अधिक विश्वविद्यालय (118) शामिल हैं जिनमें से 4 शीर्ष 10 में शामिल हैं
- भारत के विश्वविद्यालयों में कोई भी शीर्ष 30 में शामिल नहीं हैं। शीर्ष 100 में भारत के 8 विश्वविद्यालय, और शीर्ष 250 में 31 विश्वविद्यालय शामिल हैं।भारत का सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला संस्थान IIT बॉम्बे है,जो एक स्थान नीचे गिरकर 34 वें स्थान पर है।
इसके बाद आईआईटी दिल्ली 43 वें स्थान पर और आईआईटी मद्रास 50 वें स्थान पर है।
- भारत सरकार ने कॉर्पोरेट इंडिया को सार्वजनिक रूप से वित्तपोषित इनक्यूबेटरों में निवेश के लिये अपने अनिवार्य कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी फंड्स के उपयोग हेतु अनुमति देने का फैसला किया है।
भारत में अनुसंधान और विकास (Research and development- R&D) गतिविधियों पर सार्वजनिक व्यय जीडीपी के 1% के हिस्से से भी कम रहा है। उल्लेखनीय है कि इसमें निजी क्षेत्र का योगदान आधे से कम रहा है।
- चाइल्ड राइट्स एंड यू (Child Rights and You-CRY) नामक गैर-सरकारी संगठन द्वारा किये गए एक हालिया अध्ययन में उच्च माध्यमिक स्तर पर लड़कियों के पढ़ाई छोड़ने के पीछे के कारणों पर प्रकाश डाला गया है। यह अध्ययन चार राज्यों आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात और हरियाणा में लिये गए 3,000 साक्षात्कारों पर आधारित है।
लड़कियों द्वारा पढ़ाई छोड़ने के मुख्य कारण
- अधिकतर अभिभावकों को लड़कियों की सुरक्षा संबंधी चिंता होती है।
- स्कूल में महिला शिक्षक न होने के कारण भी कुछ माता-पिता लड़कियों को स्कूल भेजने से कतराते हैं।
- कभी-कभी घरेलू काम भी लड़कियों को स्कूल जाने से हतोत्साहित करते हैं।
- कुछ राज्यों में खराब सड़कें और परिवहन सुविधाओं की कमी भी एक प्रमुख कारण है।
- देश के कई स्कूलों में पानी जैसी बुनियादी सुविधाएँ तक उपलब्ध नहीं हैं।
- वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग, 2020(THE’s World University Rankings 2020 का 16वां संस्करण टाइम्स हायर एजुकेशन (TIMES Higher Education-THE)द्वारा जारी किया गया।
इसमें 92 देशों के 1,300 से अधिक विश्वविद्यालयों को शामिल किया गया। इस वर्ष 56 भारतीय संस्थानों (पिछले वर्ष 49) ने इस तालिका में अपना स्थान बनाया, इसके चलते भारत सूची में पाँचवां और एशिया में तीसरा (जापान और चीन के बाद) सबसे अधिक प्रतिनिधित्व वाला देश बन गया। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने लगातार चौथे वर्ष शीर्ष स्थान बरकरार रखा।
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IISc) बंगलूरू ने भारतीय विश्वविद्यालयों की सूची में शीर्ष स्थान प्राप्त किया, हालाँकि 2019 के संस्करण (251-300 समूह) की तुलना में 2020 (301-350) में इसकी रैंकिंग में गिरावट आई है। यह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) रोपड़ के साथ इस स्थिति को साझा कर रहा है, जिसने इस सूची में पहली बार प्रवेश किया है।
वर्ष 2012 के बाद यह पहली बार है, जब किसी भारतीय विश्वविद्यालय ने शीर्ष 300 में प्रवेश नहीं किया है।
- कॉलेज और विश्वविद्यालय के छात्रों के लिये हैकथॉन:-टेक्नोपार्क फर्म UST ग्लोबल (UST Global) द्वारा ‘D3 Code’ का पहला संस्करण लॉन्च किया जा रहा है, जो पूरे देश में कॉलेज और विश्वविद्यालय के छात्रों के लिये एक हैकथॉन है।
हैकथॉन या स्मार्ट इंडिया हैकथॉन नई तकनीक, नई खोज एवं नवाचार का मंच है। इस दौरान देश भर में कॉलेज एवं विश्वविद्यालय के छात्रों के बीच प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी तथा विजेताओं को पुरस्कृत एवं सम्मानित किया जाएगा। शीर्ष 20 टीमों के प्रत्येक सदस्य, जो अंतिम 24-घंटों के दौरान हैकथॉन में भाग लेते हैं, को UST ग्लोबल, इंडस्ट्रीज़ में शामिल होने के लिये सशर्त नौकरी की पेशकश (नियम और शर्तों के अधीन) प्राप्त होगी। हैकथॉन का एनुअल डेवलपर कॉन्फ्रेंस D 3 कोड (Dream, Develop and Disrupt) दिसंबर में आयोजित किया जाएगा। ‘D3 code’ छात्रों के दैनिक जीवन में आने वाली कुछ समस्याओं को हल करने के लिये एक राष्ट्रव्यापी पहल है जिसका उद्देश्य छात्रों को टेक्नोलॉजी संबंधी समस्याओं को हल करने के लिये एक मंच प्रदान करना है। इसके तहत देश भर के सभी कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों के छात्रों को प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिये आमंत्रित किया जाएगा। चयनित अभ्यर्थियों को D 3 सम्मेलन में भाग लेने का मौका दिया जाएगा। स्मार्ट इंडिया हैकथॉन यह देश के समक्ष आ रही चुनौतियों का समाधान करने के लिये नवीन एवं परिवर्तनकारी डिजिटल टेक्नोलॉजी संबंधी नवाचारों की पहचान करने की एक अनूठी पहल है। यह एक नॉन-स्टॉप डिजिटल उत्पाद विकास प्रतिस्पर्द्धा है, जहाँ नवोन्मेषी समाधानों के लिये टेक्नोलॉजी के छात्रों के समक्ष समस्याएँ रखी जाती हैं। यह मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया है । UST ग्लोबल (UST Global) यह डिजिटल, IT सेवाओं एवं समाधानों के लिये एक अमेरिकी बहुराष्ट्रीय प्रदाता है इसका मुख्यालय संयुक्त राज्य अमेरिका में कैलिफोर्निया के एलिसो वीजो में स्थित है। इसकी स्थापना स्टीफन रॉस (Stephen Ross) ने वर्ष 1998 में की थी। कंपनी के कार्यालय अमेरिका, भारत, मेक्सिको, यूके, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, स्पेन और पोलैंड में हैं।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, भारत के सभी विश्वविद्यालयों को 1 सितंबर, 2019 से स्वीडिश साहित्यिक चोरी रोधी (Anti-Plagiarism) सॉफ्टवेयर 'उरकुंड' (Urkund) की सदस्यता मिलेगी।[१] प्रमुख बिंदु: इस सॉफ्टवेयर का चुनाव वैश्विक टेंडर प्रक्रिया (Global Tender Process) के माध्यम से किया गया है। हालाँकि वैश्विक संस्थानों द्वारा ‘टर्नटिन’ (अमेरिकी साहित्यिक चोरी रोधी सॉफ़्टवेयर) का प्रयोग किया जाता है, परंतु इसे बिना किसी अतिरिक्त सुविधा के भी 10 गुना महँगा पाया गया। साहित्यिक चोरी को रोकने के लिये केंद्र सरकार दोहरा रुख अख्तियार कर रही है: इस प्रक्रिया के पहले हिस्से के रूप में आने वाले वर्षों में यह सॉफ्टवेयर सभी 900 विश्वविद्यालयों में मुफ्त उपलब्ध होगा, जिसमें शिक्षक, छात्र और शोधकर्त्ता आदि शामिल हैं। दूसरे चरण में केंद्र ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (उच्च शैक्षणिक संस्थानों में शैक्षणिक अखंडता और साहित्यिक चोरी के रोकथाम) अधिनियम, 2018 को साहित्यिक चोरी के लिये वर्गीकृत सज़ा को निर्धारित करने के लिये अधिसूचित किया है। नोट: साहित्यिक चोरी का आशय किसी और के साहित्यिक विचारों को खुद के साहित्यिक कार्य के रूप में प्रस्तुत करने से है।
शोध संस्कृति में सुधार के लिये गठित यूजीसी पैनल: पी. बालाराम की अध्यक्षता में शोध संस्कृति में सुधार के लिये गठित यूजीसी पैनल ने उल्लेख किया था कि भारतीय शिक्षाविदों ने वर्ष 2010 और वर्ष 2014 के बीच लगभग 11,000 फर्जी पत्रिकाओं में प्रकाशित सभी लेखों में 35% का योगदान दिया था। पैनल ने अपने शोध में यह पाया कि उपरोक्त अधिकांश लेख फर्जी इंजीनियरिंग पत्रिकाओं में थे, इसके बाद जैव-चिकित्सा/बायोमेडिसिन और सामाजिक विज्ञान की फर्जी पत्रिकाओं का स्थान था। पैनल की रिपोर्ट के अनुसार, शैक्षिक अनुसंधान के उच्च मानकों को सुनिश्चित करने के लिये प्राथमिक ज़िम्मेदारी स्वयं संस्थानों को लेनी होगी। केंद्र के नियम और कानून मात्र संस्थाओं के नियमों में इज़ाफा कर सकते हैं।
- उत्कृष्ट संस्थान के लिये 20 संस्थानों की अनुशंसा:-श्री एन गोपालस्वामी की अध्यक्षता में UGC की 542वीं बैठक का आयोजन किया गया।
इस दौरान सरकार द्वारा नियुक्त उच्चाधिकार प्राप्त विशेषज्ञ समिति (Empowered Expert Committee- EEC) की रिपोर्ट पर विचार किया गया जिसमें 15 सरकारी संस्थानों और 15 निजी संस्थानों को उत्कृष्ट संस्थान का दर्जा दिये जाने की बात कही गई थी। इस योजना के तहत अब तक केवल 10 सार्वजनिक एवं 10 निजी संस्थानों को उच्च संस्थानों का दर्जा प्रदान करने की व्यवस्था थी। UGC ने पारदर्शी एवं उचित मानदंडों के आधार पर 15 सार्वजनिक एवं 15 निजी संस्थानों की सूची की जाँच की है। 10 सार्वजनिक एवं निजी संस्थानों की सूची की पहचान के लिये इस्तेमाल किये गए सिद्धांत निम्नलिखित थे: इस योजना का लक्ष्य वैश्विक श्रेणी के लिये संस्थानों को तैयार करना है, इसलिये किसी भी मौजूदा संस्थान जिसे वैश्विक/राष्ट्रीय श्रेणी/रैंकिंग में शामिल नहीं किया गया हैं को उत्कृष्ट संस्थान के दर्जे के लिये अनुशंसित नहीं किया जाएगा। उपरोक्त मानदंड को ध्यान में रखने के बाद यदि कोई रिक्ति शेष रहती है, तो भविष्य में स्थापित होने वाले संस्थान (ग्रीनफील्ड) के प्रस्तावों पर विचार किया जाएगा। उपरोक्त सिद्धांतों के अनुसार, UGC ने QS-2020 की वैश्विक रैंकिंग के आधार पर 15 अनुशंसाओं की सूची को रैंकिंग दी है। जहाँ एक ही स्थान पर दो संस्थान हैं वहां QS-2019 के आधार पर निर्णय लिया गया है। उल्लेखनीय है कि निजी संस्थानों को प्रख्यात/उच्च संस्थानों के रूप में प्रस्तावित करने के मामले में कोई वित्तीय सहायता नहीं दी जायेगी लेकिन इन्हें विशेष श्रेणी डीम्ड विश्वविद्यालय के रूप में अधिक स्वायत्तता प्रदान कि जायेगी।
शिक्षा के क्षेत्र में राज्य सरकार की पहल
सम्पादन- मिज़ोरम के लॉंग्टलाई (Lawngtlai) ज़िला प्रशासन की परियोजना ‘कान सिकुल, कान हुआन (माय स्कूल, माय होम)’ को राज्य के सभी स्कूलों एवं कॉलेजों के लिये मॉडल के रूप में स्थापित किया गया है।
यह परियोजना स्कूलों को पोषण उद्यान में परिवर्तित करने के लिये शुरु की गई है। इसका उद्देश्य स्कूलों में शिक्षकों, अभिभावकों तथा समुदाय के सदस्यों की मदद से बच्चों में कुपोषण की समस्या का समाधान करना है। इस परियोजना के अंतर्गत प्रत्येक स्कूल में पोषण उद्यान स्थापित करके फल एवं सब्जियाँ उगाई जाती हैं ताकि पोषण की कमी की समस्या को दूर किया जा सके। इस परियोजना के माध्यम से स्थानीय स्कूलों में शिक्षकों, अभिभावकों और समुदाय के सदस्यों की मदद से विभिन्न प्रकार के फलों एवं सब्जियों का उत्पादन करके लोगों को स्वावलंबी बनाने और बच्चों के बीच कुपोषण से लड़ने के लिये (मार्च 2020 तक) प्रत्येक स्कूल, आंगनवाड़ी, चाइल्ड केयर संस्थानों और हॉस्टल में अपने स्वयं के फलों एवं सब्जियों को उगाने की अनुमति दी गई है।
- ‘उत्कृष्टता के साथ कॉलेजों के लिये संसाधन सहायता’ (Resource Assistance for Colleges with Excellence- RACE)-राजस्थानमें ज़िला स्तर पर सरकारी कॉलेजों के बीच संसाधनों की उपलब्धता को तर्कसंगत बनाने (प्राध्यापकों और चल संपत्ति का उचित वितरण) के उद्देश्य से प्रारंभ नया उच्च शिक्षा मॉडल शुरू किया गया है।
यह मॉडल छोटे शहरों में स्थित उन कॉलेजों की मदद करेगा जो प्राध्यापकों और बुनियादी ढाँचे की कमी का सामना कर रहे हैं। नया मॉडल कॉलेजों की निर्णय लेने की शक्ति को प्रभावी रूप से विकेंद्रीकृत करेगा और उन्हें ज़िले के भीतर भौतिक एवं मानव संसाधनों को साझा करने के लिये प्रोत्साहित करेगा।
- उत्तर प्रदेश विधानसभा ने निजी विश्वविद्यालय विधेयक, 2019 पारित किया जिसका उद्देश्य राज्य के 27 निजी विश्वविद्यालयों को एक ही कानून के अंतर्गत लाना है।
- राष्ट्रीय एकीकरण, धर्मनिरपेक्षता, सामाजिक सद्भाव, अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना, नैतिक उन्नति और देशभक्ति को उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय विधेयक के तहत विश्वविद्यालयों के उद्देश्यों में शामिल किया गया है।
- नई प्रणाली में शुल्क संरचना, शिक्षा की गुणवत्ता तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission- UGC) के दिशा-निर्देशों को लागू कराने में एकरूपता लाई जाएगी।
- शहर में किसी विश्वविद्यालय के निर्माण के लिये न्यूनतम 20 एकड़ भूमि का होना आवश्यक होगा जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में विश्वविद्यालय निर्माण के लिये 50 एकड़ भूमि की आवश्यकता होगी। मौजूदा 27 विश्वविद्यालयों को इस स्थिति में आने के लिये एक वर्ष का समय दिया जाएगा।
- विश्वविद्यालय में न्यूनतम 75 प्रतिशत स्थाई शिक्षकों का होना आवश्यक होगा तथा शिक्षकों गुणवत्ता की ऑनलाइन निगरानी की जाएगी।
- आंध्र प्रदेश में केंद्रीय विश्वविद्यालय और जनजातीय विश्वविद्यालय की स्थापना के लिये राज्यसभा ने केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2019 पारित किया।लोकसभा ने इस विधेयक को पहले ही मंज़ूरी दे दी है। इस विधेयक में आंध्र प्रदेश में केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिये 450 करोड़ रुपए तथा जनजातीय विश्वविद्यालय के लिये 420 करोड़ रुपए का प्रावधान है। वर्तमान में आंध्र प्रदेश राज्य में कोई केंद्रीय विश्वविद्यालय नहीं है जबकि गोवा के सिवाय सभी राज्यों में एक या एक से अधिक केंद्रीय विश्वविद्यालय हैं।
- राष्ट्रीय अनुवाद मिशन( National Translation Mission- NTM) को मैसूर स्थित केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान (Central Institute of Indian Languages- CIIL) के माध्यम से कार्यान्वित किया जा रहा है।
विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में निर्धारित विभिन्न विषयों की ज़्यादातर पाठ्य पुस्तकों का भारत के संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल सभी 22 भाषाओं में अनुवाद किया जा रहा है।
- सर्व शिक्षा अभियान (Sarva Shiksha Abhiyan- SSA) का कार्यान्वयन वर्ष 2000-2001 से किया जा रहा है।यह एक निश्चित समयावधि के भीतर प्रारंभिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु भारत सरकार का एक महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम है।
इस अभियान को देश भर में राज्य सरकारों की सहभागिता से चलाया जा रहा है। 86वें संविधान संशोधन, 2002 द्वारा 6-14 वर्ष की आयु वाले सभी बच्चों के लिये प्राथमिक शिक्षा को एक मौलिक अधिकार के रूप में निःशुल्क और अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराना आवश्यक बना दिया गया है।
- समग्र शिक्षा-जल सुरक्षा’ (Samagra Shiksha-Jal Suraksha) अभियान मानव संसाधन विकास मंत्रालय के स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा शुरू किया गया है।
अभियान के उद्देश्य
- विद्यार्थियों को जल संरक्षण के बारे में शिक्षित करना।
- विद्यार्थियों को पानी की कमी के बारे में जागरूक करना।
- प्राकृतिक जल संसाधनों की रक्षा करने के लिये विद्यार्थियों को सशक्त बनाना।
- प्रत्येक विद्यार्थी को प्रतिदिन एक लीटर पानी बचाने में सहायता करना।
- विद्यार्थियों को अपने घर और विद्यालय में पानी की न्यूनतम बर्बादी और उचित मात्रा में प्रयोग करने के लिये प्रोत्साहित करना।
‘स्कूल शिक्षा- समग्र शिक्षा योजना स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग द्वारा प्रारंभ इस योजना का उद्येश्य सभी स्तरों पर समावेशी,न्यायसंगत एवं गुणवत्तापरक शिक्षा सुनिश्चित करना। इस एकीकृत योजना में सर्व शिक्षा अभियान (Sarva Shiksha Abhiyan- SSA),राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (Rashtriya Madhyamik Shiksha Abhiyan- RMSA) और शिक्षक शिक्षा (Teacher Education- TE) तीनों को शामिल किया गया है। बच्चों के संपूर्ण विकास को ध्यान में रखते हुए स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग द्वारा खेल, शारीरिक गतिविधियों, योग सह-पाठयक्रम गतिविधियों आदि को प्रोत्साहित करने हेतु पहली बार समग्र शिक्षा के तहत खेल एवं शारीरिक शिक्षा के घटकों को प्रारंभ किया गया है।
राष्ट्रीय रक्षा निधि प्रधानमंत्री ने इस निधि के तहत मृत रक्षाकर्मियों के आश्रितों के लिये प्रधानमंत्री छात्रवृत्ति योजना में परिवर्तन को मंज़ूरी दे दी है। छात्रवृत्ति की दरें बालकों के लिये प्रतिमाह 2000 रुपए से बढ़ाकर 2500 रुपए और बालिकाओं के लिये प्रतिमाह 2250 रुपए से बढ़ाकर 3000 रुपए कर दी गई हैं। छात्रवृत्ति योजना के दायरे में अब ऐसे राज्य पुलिसकर्मियों के बच्चों को भी लाया गया है, जो आतंकी/नक्सल हमलों के दौरान शहीद हो गए। राज्य पुलिसकर्मियों के बच्चों के लिये नई छात्रवृत्तियों का कोटा एक साल में 500 होगा। गृह मंत्रालय ही इस संबंध में प्रमुख मंत्रालय होगा।
- राष्ट्रीय रक्षा से जुड़े प्रयासों को बढ़ावा देने के लिये नकदी या वस्तु के रूप में प्राप्त होने वाले स्वैच्छिक दान को संभाल कर रखने और उनके उपयोग के लिये वर्ष 1962 में राष्ट्रीय रक्षा निधि बनाई गई थी।
- वर्तमान में इस निधि का उपयोग सशस्त्र बलों, अर्द्ध-सैन्य बलों और रेलवे सुरक्षा बल के सदस्यों तथा उनके आश्रितों के कल्याण के लिये किया जाता है।
- इस निधि का संचालन एक कार्यकारी समिति द्वारा किया जाता है। प्रधानमंत्री इस समिति के अध्यक्ष हैं और रक्षा, वित्त एवं गृह मंत्री इसके सदस्य हैं।
- इस निधि के तहत ‘प्रधानमंत्री छात्रवृत्ति योजना’ (Prime Minister’s Scholarship Scheme- PMSS) नामक प्रमुख स्कीम कार्यान्वित की जा रही है, जिसका उद्देश्य सशस्त्र बलों, अर्द्ध-सैन्य बलों और रेलवे सुरक्षा बल के मृतक/पूर्व कर्मचारियों के आश्रितों की तकनीकी और स्नातकोत्तर शिक्षा को बढ़ावा देना है।
- छात्रवृत्तियाँ तकनीकी संस्थानों (चिकित्सा, दंत चिकित्सा, पशु चिकित्सा, इंजीनियरिंग, एमबीए, एमसीए और एआईसीटीई/यूजीसी से समुचित अनुमोदन प्राप्त अन्य समतुल्य तकनीकी पेशा) में शिक्षा के लिये उपलब्ध हैं।
- प्रधानमंत्री छात्रवृत्ति योजना के तहत प्रत्येक वर्ष रक्षा मंत्रालय द्वारा नियंत्रित सशस्त्र बलों के 5500 बच्चों (वार्ड) के लिये, गृह मंत्रालय द्वारा नियंत्रित अर्द्ध-सैन्य बलों के 2000 बच्चों के लिये और रेल मंत्रालय द्वारा नियंत्रित बलों के 150 बच्चों के लिये नई छात्रवृत्तियाँ दी जाती हैं।
- शिक्षकों की निगरानी हेतु कॉल सेंटर की स्थापना गुजरात सरकार ने रियल टाइम प्रोद्यौगिकी का प्रयोग करते हुए विद्यालयों में शिक्षकों की निगरानी हेतु एक नई योजना बनाई है जो जून में शुरू होने वाले नए शैक्षिक-सत्र से लागू हो जाएगी।
- इसका उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने का प्रयास करना है,जिसके अंतर्गत यह पता लगाना होगा कि विद्यालय परिसर में शिक्षक अपने कर्त्तव्यों का वहन उचित ढंग से कर रहे हैं या नहीं।
इस प्रक्रिया के संचालन हेतु एक कमान एवं नियंत्रण केंद्र (Command and Control Centre) की स्थापना की गई है जो गांधीनगर में स्थित है। केवल शिक्षक ही नहीं, शिक्षकों की निगरानी करने वाले कर्मियों को भी निगरानी हेतु जीपीएस-सक्षम टैबलेट (GPS-enabled Tablets) सौंपे जाएंगे और जियोफेंसिंग (Geofencing) के माध्यम से शिक्षकों की ट्रैकिंग की जा सकेगी तथा मोबाइल डिवाइस में एक निर्दिष्ट क्षेत्र में प्रवेश करने या उस क्षेत्र को छोड़ने पर अलर्ट प्राप्त होगा। इस कॉल सेंटर के अधिकारी किसी भी शिक्षक से सवाल कर सकते हैं; ये प्रश्न उनके प्रतिदिन के कार्य या असाइनमेंट से संबंधित हो सकते हैं। छुट्टी पर रहने की स्थिति में उन्हें छुट्टी का विवरण प्रदान करना होगा, जिसमें दिनों की संख्या और अनुमोदन प्राधिकारी जैसी जानकारी शामिल होगी। अधिकारियों के अनुसार, इस नए ट्रैकिंग सिस्टम का शिक्षकों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उनकी उपस्थिति और असाइनमेंट के अलावा, नई पठन-पाठन प्रणाली तथा नवाचार से संबंधित सुझाव भी मांगे जाएंगे और उन्हें रिकॉर्ड किया जाएगा।
- सीएससी के ई-गवर्नेंस सर्विसेज़ इंडिया लिमिटेड ने उन्नत भारत अभियान की प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिये IIT-कानपुर के साथ करार किया है।सउन्नत भारत अभियान के तहत IIT-कानपुर ने उत्तर प्रदेश के 15 उच्च शिक्षा संस्थानों को एक साथ जोड़ा है।[३]
इन संस्थानों ने अभियान के तहत गाँवों के विकास के लिये सीएससी (Common Service Centre) के साथ काम करने पर सहमति व्यक्त की है। ये संस्थान ग्राम स्तरीय उद्यमियों (Village Level Entrepreneurs- VLE) को प्रशिक्षित करेंगे जो कि ग्राम विकास योजना के हिस्से के रूप में सीएससी चलाते हैं। ग्राम स्तरीय उद्यमियों को IIT-कानपुर के द्वारा सौर ऊर्जा के उपयोग, स्वच्छता और आधुनिक प्रौद्योगिकियों के उपयोग के बारे में भी कौशल प्रशिक्षण दिया जाएगा। IIT-कानपुर ने समग्र विकास के लिये कानपुर के बाहरी इलाके में स्थित पाँच गाँवों को चुना है।
- उन्नत भारत अभियान की शुरुआत 11 नवंबर, 2014 को भारत मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा की गई।भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) दिल्ली के समर्पित संकाय सदस्यों के समूह की पहल के साथ तब अस्तित्त्व में आई जब ये सदस्य लंबे समय से ग्रामीण विकास और उपयुक्त प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कार्य कर रहे थे।
- मिशन शत-प्रतिशत (Mission Shat Pratishat) की शुरुआत पंजाब सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा सितंबर 2019 में सरकारी स्कूलों की कक्षा 5,8,10 और 12 में 100% परिणाम प्राप्त करने के लिये की गई थी।
इस मिशन को “असंभव नु संभव बनाइये,शत प्रतिशत नतीजा लाइए” नारा दिया गया है। इस मिशन का लक्ष्य 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में सरकारी स्कूलों के परिणामों में पास प्रतिशत के आँकड़ों में सुधार करना है।
- विभिन्न विषयों के शिक्षकों द्वारा अच्छी प्रथाओं को साझा करने और उनका उचित समन्वय सुनिश्चित करने हेतु शिक्षकों,विद्यार्थियों तथा अभिभावकों का एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया है।
- शिक्षकों और छात्रों को एडुसैट (शिक्षा उपग्रह) के माध्यम से प्रश्नपत्र की संरचना के बारे में जागरूक किया जा रहा है।
- छात्रों के लिये हल करने हेतु प्रत्येक विषय के मॉडल प्रश्न पत्र तैयार करना है।
- सरकारी स्कूल के शिक्षक स्वेच्छा से न केवल काम के दिनों में बल्कि रविवार और छुट्टियों के दौरान भी अतिरिक्त कक्षाएँ ले रहे हैं।
संबंधित मुद्दे: सैकड़ों प्राथमिक और माध्यमिक सरकारी स्कूल ज़्यादातर ऐसे हैं जिनमें पर्याप्त शिक्षक नहीं हैं।
- नवंबर में हुए एक अध्ययन के अनुसार तेलंगाना के संगारेड्डी ज़िले की महिला साक्षरता दर में वृद्धि हुई है।
जिला प्रशासन ने “अम्माकु अक्षर माला” (माँ के लिये वर्णमाला ‘माला’) विकसित कर कक्षा 7 से 10 तक के छात्रों को इसमें शामिल किया था। इन बच्चों को घर पर अपनी माताओं (अधिकतर स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को, जो साक्षर नहीं हैं) को तेलुगु वर्णमाला को पढ़ने और लिखने में सक्षम बनाने के लिये कहा गया। यह प्रयास साक्षर भारत मिशन के सहायतार्थ किया गया क्योंकि साक्षर भारत कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन के लिये पर्याप्त संख्या में समन्वयकों की कमी थी।
- ‘साक्षर भारत’कार्यकम की शुरुआत अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस 8 सितंबर,2009 को की गई थी।
इसके अंतर्गत 15 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के निरक्षरों को आच्छादित किया जा रहा है। इसका विज़न राष्ट्रीय स्तर पर 80 प्रतिशत साक्षरता दर प्राप्त करना है। इसके अलावा साक्षरता दर में वर्तमान लैंगिक अंतर को कम करते हुए 10 प्रतिशत तक लाने का प्रयास किया जा रहा है। लक्ष्य:-इस कार्यक्रम के केंद्र में महिलाएँ हैं। इसका लक्ष्य प्रौढ़ शिक्षा,विशेष रूप से प्रौढ़ महिलाओं की शिक्षा को समुन्नत और सुदृढ़ करना है। उद्देश्य:-निरक्षर वयस्कों को कार्यात्मक साक्षरता और गणित की जानकारी देना। नवसाक्षर वयस्कों को उनकी बुनियादी साक्षरता से आगे की शिक्षा जारी रखने तथा औपचारिक शिक्षा व्यवस्था के समतुल्य शिक्षा ग्रहण करने योग्य बनाना। जीवन स्तर तथा आर्थिक स्थिति में सुधार लाने हेतु नवसाक्षरों और निरक्षरों में आवश्यक कौशल विकसित करना। नवसाक्षर वयस्कों के साथ-साथ पंचायत की पूरी आबादी को सतत् शिक्षा के लिये अवसर प्रदान करते हुए समाज को अध्ययन की दिशा में अग्रसर करना।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) की पहल
सम्पादन- इंडिया रैंकिंग्स- 2019 राष्ट्रपति द्वारा नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में जारी की गई।साथ ही संस्थानों की उनके नवाचार उपलब्धियों पर अटल रैंकिंग (Atal Ranking of Institutions on Innovation Achievements- ARIIA) भी जारी की गई।
यह रैंकिंग मानव संसाधन विकास मंत्रालय के नेशनल इंस्टिट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF)के तहत जारी की गई। इसके तहत विभिन्न वर्गों में सर्वोच्च आठ संस्थानों को पुरस्कार प्रदान किया गया।
- नवाचार उपलब्धियों संबंधी अटल रैंकिंग के तहत सर्वोच्च दो संस्थानों को पुरस्कार प्रदान किया गया।
- रैंकिंग की घोषणा कई श्रेणियों जैसे- ओवरऑल, यूनिवर्सिटी, इंजीनियरिंग, कॉलेज, मैनजमेंट, फार्मेसी, मेडिकल, आर्किटेक्चर और लॉ में की गई।
- NIRF कई मानकों के आधार पर रैंकिंग प्रदान करता है। जैसे पढ़ने-पढ़ाने का माहौल, अनुसंधान और विकास के लिये सुविधाएँ आदि।
- MHRD ने एक नई पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) योजना, प्रौद्योगिकी के लिये राष्ट्रीय शैक्षिक गठबंधन (NEAT) की घोषणा की है। इस योजना का उद्देश्य कृत्रिम बुद्धिमत्ता की सहायता से, सीखने वाले की व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुरूप एक अनुकूलित प्रणाली को विकसित करना है। इस योजना के तहत उच्च शिक्षा में बेहतर शिक्षण परिणामों के लिये प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा।
MHRD द्वारा पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (Public-Private Partnership-PPP) मॉडल के तहत प्रौद्योगिकी को विकसित करने वाली एडटेक कंपनियों (Educational Technology Companies) के साथ एक राष्ट्रीय सहयोग स्थापित जाएगा। एडटेक कंपनियाँ समाधान विकसित करने के साथ-साथ NEAT पोर्टल के माध्यम से शिक्षार्थियों के पंजीकरण के प्रबंधन के लिये ज़िम्मेदार होंगी तथा वे अपनी सुविधानुसार शुल्क निर्धारित करने के लिये स्वतंत्र होंगी। एडटेक कंपनियों को NEAT पोर्टल के माध्यम से उनके समाधान के लिये हुए कुल पंजीकरण के 25% की सीमा तक मुफ्त कूपन देनी होगी।
- अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद(AICTE) NEAT कार्यक्रम के लिये कार्यान्वयन एजेंसी होगी।
- स्वयम (swayam) एक प्रकार का मैसिव ओपन ऑनलाइन कोर्सेज़ (MOOC) प्लेटफ़ॉर्म है जिसका विकास मानव संसाधन विकास मंत्रालय और एनपीटीईएल, आईआईटी मद्रास ने अमेरिका के माइक्रोसॉफ़्ट कार्पोरेशन की एक सहायक संस्था के तकनीकी सहयोग से किया है।
स्टडी वेब्स ऑफ एक्टिव - लर्निंग फॉर यंग अस्पाइरिंग माइंड्स (SWAYAM),शिक्षा नीति के तीन आधारभूत सिद्धांतों को प्राप्त करने के लिये डिज़ाइन किया गया है जैसे- पहुँच, न्यायसंगतता और गुणवत्ता। स्वयम प्लेटफ़ॉर्म पर कोर्स निम्नलिखित रूप से हैं:-
- वीडियो लेक्चर
- विशेष रूप से तैयार पठन सामग्री जिसे डाउनलोड/प्रिंट किया जा सकता है।
- टेस्ट और क्विज द्वारा स्वमूल्यांकन परीक्षण।
- संदेह निवारण के लिये एक ऑनलाइन चर्चा फोरम।
- यह सीखने का एक द्विमार्गी प्लेटफॉर्म है। अपने अन्य पूर्ववर्ती संस्करणों जैसे ई-पीजी पाठशाला पोर्टल के विपरीत इसमें अध्यापक और छात्रों के बीच बेहतर संवाद होता है।
- निष्ठा (National Initiative for School Heads and Teachers Holistic Advancement-NISHTHA) पहल केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने प्राथमिक स्तर पर शिक्षा को सशक्त बनाने के लिये एक राष्ट्रीय मिशन 'नेशनल इनीसिएटिव फॉर स्कूल हेड्स एंड टीचर्स होलीस्टिक एडवांसमेंट’ अर्थात् शुरू की है। इसके साथ-साथ निष्ठा की वेबसाइट, प्रशिक्षण मॉड्यूल, प्राइमर बुकलेट और एक मोबाइल एप भी लॉन्च की गई है। इसका उद्देश्य छात्रों में महत्त्वपूर्ण सोच को प्रोत्साहित करने और बढ़ावा देने के लिये शिक्षकों को प्रेरित एवं प्रशिक्षित करना है।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने प्राथमिक स्तर पर शिक्षा को सशक्त बनाने के लिये एक राष्ट्रीय मिशन 'नेशनल इनीसिएटिव फॉर स्कूल हेड्स एंड टीचर्स होलीस्टिक एडवांसमेंट’ अर्थात् निष्ठा (National Initiative for School Heads and Teachers Holistic Advancement-NISHTHA) पहल शुरू की है। इसके साथ-साथ निष्ठा की वेबसाइट, प्रशिक्षण मॉड्यूल, प्राइमर बुकलेट और एक मोबाइल एप भी लॉन्च की गई है। इसका उद्देश्य छात्रों में महत्त्वपूर्ण सोच को प्रोत्साहित करने और बढ़ावा देने के लिये शिक्षकों को प्रेरित एवं प्रशिक्षित करना है।
- 21 सितंबर, 2109 को MHRD ने "शोध शुद्धि" (Shodh Shuddhi) सॉफ्टवेयर लॉन्च किया। यह साहित्यिक चोरी निरोधी सॉफ्टवेयर (Plagiarism Detention Software- PDS) है। यह सेवा UGC के एक अंतर विश्वविद्यालय केंद्र (Inter University Centre- IUC),सूचना और पुस्तकालय नेटवर्क (Information and Library Network- INFLIBNET)[वर्ष 1991 में गांधीनगर (गुजरात) में स्थापित यह एक स्वायत अंतर विश्वविद्यालय केंद्र] द्वारा उपलब्ध करवाई जा रही है। यह सॉफ्टवेयर शोधार्थियों के मूल विचारों एवं लेखों की मौलिकता को सुनिश्चित करते हुए अनुसंधान परिणामों की गुणवत्ता में सुधार लाने में मदद करेगा।
- केंद्रीय कैबिनेट ने लेह में नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर सोवा-रिग्पा (National Institute of Sowa Rigpa- NISR) की स्थापना को मंज़ूरी प्रदान कर दी।
सोवा रिग्पा राष्ट्रीय संस्थान आयुष मंत्रालय के तहत एक स्वायत्तशासी संस्थान होगा। 47.25 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित यह संस्था अनुसंधान और शिक्षा को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
- सोवा-रिग्पा भारत में हिमालयी क्षेत्र की एक पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली है। यह सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, दार्जिलिंग (पश्चिम बंगाल), हिमाचल प्रदेश, केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के साथ-साथ पूरे भारत में प्रचलित हो रहा है।
- राष्ट्रीय शैक्षिक गठबंधन (NEAT) योजना का उद्देश्य कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) की सहायता से,सीखने वाले की व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुरूप एक अनुकूलित प्रणाली को विकसित करना है।
इस योजना के तहत उच्च शिक्षा में बेहतर शिक्षण परिणामों के लिये प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा। MHRD द्वारा एक राष्ट्रीय NEAT प्लेटफ़ॉर्म का विकास किया जाएगा, जो इन तकनीकी समाधानों के लिये वन-स्टॉप एक्सेस प्रदान करेगा। MHRD द्वारा पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (Public-Private Partnership-PPP) मॉडल के तहत प्रौद्योगिकी को विकसित करने वाली एडटेक कंपनियों (Educational Technology Companies) के साथ एक राष्ट्रीय सहयोग स्थापित जाएगा।
- केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट ऑल इंडिया सर्वे ऑन हायर एजुकेशन (All India Survey on Higher Education-AISHE)के अनुसार 2017-18 में कुल नामांकन में महिला नामांकन का हिस्सा 47.6% से बढ़कर 2018-19 में 48.6% हो गया है।
स्नातक (Undergraduate-UG) स्तर पर कुल नामांकन में से 35.9% ने कला/मानविकी/ सामाजिक विज्ञान जैसे विषयों को प्राथमिकता दी। 16.5% विद्यार्थियों ने विज्ञान संकाय और 14.1% विद्यार्थियों ने वाणिज्य संकाय में नामांकन कराया हैं। अभियांत्रिकी अर्थात् इंजीनियरिंग चौथे स्थान पर है।
- मार्गदर्शन’(Margadarshan)योजना के तहत अच्छी ख्याति प्राप्त या उच्च प्रदर्शन करने वाले कुछ संस्थानों का चुनाव किया गया है, ताकि वे अपेक्षाकृत नए संस्थानों या ऐसे संस्थानों जिनका प्रदर्शन मापदंडों के अनुरूप नहीं रहा है,को परामर्श दे सकें अथवा उनका मार्गदर्शन कर सकें।
- मार्गदर्शक(Margdarshak) योजना के तहत उन शिक्षकों या मार्गदर्शकों की पहचान की जाएगी जिन्हें अपने क्षेत्र का अच्छा अनुभव है एवं जो शिक्षण हेतु अपना पर्याप्त समय देने के लिये अभिप्रेरित हैं। इन शिक्षकों को नए संस्थानों में मार्गदर्शक के रूप में भेजा जाएगा।
- ‘स्कूल एजुकेशन शगुन’ (SE ShaGun) की शुरुआत 28 अगस्त,2019 को मानव संसाधन मंत्रालय ने स्कूली शिक्षा को सुदृढ़ता प्रदान करने के उद्देश्य से की। शगूुन विश्व के सबसे बड़े ऑनलाइन जंक्शनों में शामिल एक एकीकृत ऑनलाइन जंक्शन है।
- इसके ज़रिये शिक्षा की नींव को मज़बूती मिलेगी। ‘शगुन’ में ‘श’ शब्द का आशय ‘शाला’ से है, जिसका अर्थ स्कूल से है और ‘गुन’ का तात्पर्य गुणवत्ता से है।
- इसके ज़रिये विद्यार्थियों को ऑनलाइन पढ़ने के लिये सामग्री मिलेगी,साथ ही उन्हें वीडियो आधारित शिक्षा का अवसर भी मिलेगा। वेबसाइट के ज़रिये यह भी जाना जा सकता है कि आपके क्षेत्र में कौन-कौन से स्कूल हैं और वे क्या-क्या सेवाएँ उपलब्ध करा रहे हैं।
- पंडित मदन मोहन मालवीय राष्ट्रीय मिशन (Pandit Madan Mohan Malaviya Nationa।Mission on Teachers and Teaching- PMMMNMTT) नामक एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा शुरु।
- शिक्षक एवं शिक्षा पर आधारित इस योजना का उद्देश्य व्यावसायिक विकास के लिये शीर्ष श्रेणी की संस्थागत सुविधाओं का निर्माण करके शिक्षकों के एक मज़बूत पेशेवर कैडर का निर्माण करना है।
अर्पित (एनुअल रिफ्रेशर प्रोग्राम इन टीचिंग) एक ऑनलाइन पहल है जिसके द्वारा MOOCs (Massive Open Online Courses) प्लेटफॉर्म स्वयं (SWAYAM) का उपयोग करके 15 लाख उच्च शिक्षा के शिक्षक ऑनलाइन प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं।
- वाणी एंड्रॉइड एप केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा लॉन्च। इसका उद्देश्य सभी हितधारकों को समान रूप से सूचना प्रसारित करना। बोर्ड ने इस एप पर 2019 की बोर्ड परीक्षा की कॉपियों की जाँच के लिये दिशा-निर्देश भी अपलोड किये हैं।[४]
इस एप में सूचना का आकलन संबंधित व्यक्तियों द्वारा ही किया जा सकता है तथा इसमें बोर्ड परीक्षा के परिणाम की तैयारी के बारे में भी जानकारी दी गई है।
- बोलो’ एप गूगल भारत द्वारा लॉन्च यह एप प्राथमिक कक्षा के बच्चों को हिंदी और अंग्रेज़ी भाषा सीखने में मदद करता है।
यह आवाज पहचानने की तकनीक तथा टेक्स्ट-टू-स्पीच तकनीक पर आधारित है। इसमें एक एनिमेटेड कैरेक्टर ‘दीया’ है जो बच्चों को कहानियाँ पढ़ने के लिये प्रोत्साहित करती है साथ ही शब्दों के उच्चारण में भी मदद करती है[५]
- उच्च शिक्षा प्राप्त युवाओं के प्रशिक्षण एवं कौशल विकास के लिये श्रेयस (Scheme for Higher Education Youth in Apprenticeship and Skills-SHREYAS) कार्यक्रम की शुरुआत मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने की। इस योजना से युवाओं को रोज़गार प्राप्त करने और देश की प्रगति में योगदान करने में सहायता मिलेगी।[६]
- मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय शिक्षुता प्रोत्साहन योजना (National Apprenticeship Promotional Scheme-NAPS) के माध्यम से आने वाले सत्र के सामान्य स्नातकों को उद्योग शिक्षुता अवसर प्रदान करने के लिये उच्च शिक्षा के युवाओं के लिये प्रशिक्षण और कौशल (SHREYAS) की योजना शुरू की गई है।
- SHREYAS कार्यक्रम में तीन केंद्रीय मंत्रालयों की पहल शामिल है - मानव संसाधन विकास मंत्रालय, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय और श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय। साथ ही इस कार्यक्रम में सभी राज्यों से सहयोग की भी अपेक्षा की गई है।
इस दौरान मानव संसाधन विकास मंत्रालय और कौशल विकास के लिये विज्ञान और उद्यमिता के क्षेत्र में 7 अन्य अपरेंटिसशिप पाठ्यक्रम को BBA (Bachelor of Business Administration) और BVoc (Bachelor of Vocation) पाठ्यक्रम के साथ संलग्न किया गया है।[७] 6 क्षेत्रीय कौशल परिषदों – सूचना प्रौद्योगिकी (IT), रिटेल (Retail), लॉजिस्टिक्स (Logistics), टूरिज़्म (Tourism), BFSI (Banking, Financial Services and Insurance), फूड प्रोसेसिंग (Food Processing) ने कौशल विकास के क्षेत्र में बढ़त बना ली है। वर्तमान में चल रहे अधिकतर पाठ्यक्रमों में हेल्थकेयर (Healthcare), इलेक्ट्रॉनिक्स (Electronics) और मीडिया क्षेत्र (Media Sectors) शामिल हैं।
शिक्षा से संबंधित वैश्विक पहल
सम्पादन- न्यूयार्क टाइम्स में प्रकाशित “भारत और विश्व को क्यों है गांधी की ज़रुरत” शीर्षक वाले भारत सरकार के एक आलेख के अनुसार- भावी पीढियांँ महात्मा गांधी के उद्देश्यों को कैसे याद रख सकें, इसके लिये आइंस्टीन चुनौती की पेशकश की गई,जिसका मुख्य उद्देश्य महात्मा गांधी के आदर्शों को अमर बनाना है।
इसके लिये विचारकों,उद्यमियों और तकनीकी विशेषज्ञों से अपील की गई कि वे आगे आएँ और नवाचार के माध्यम से महात्मा गांधीके विचारों को प्रसारित करें।
- जनरेशन अनलिमिटेड एक नई वैश्विक पहल है, जिसे वर्तमान में यूनिसेफ द्वारा होस्ट किया जा रहा है।
जनरेशन अनलिमिटेड प्रमुख उद्देश्य:- 10-24 वर्ष की आयु के प्रत्येक युवा की वर्ष 2030 तक स्कूल,शिक्षण,प्रशिक्षण,स्वरोजगार या आयु-उपयुक्त रोज़गार के किसी-न-किसी रूप से संबद्धता सुनिश्चित करना है।
- बालिकाओं पर विशेष ध्यान देते हुए माध्यमिक आयु-शिक्षा (Secondary Age-Education),कौशल,रोज़गार और सशक्तीकरण से संबंधित प्रामाणिक समाधानों का सह-सृजन एवं इसके लिये मानक तैयार करना है।
'द गांधियन चैलेंज' को महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर अटल नवाचार मिशन (Atal Innovation Mission- AIM), अटल टिंकरिंग लैब्स (Atal Tinkering Labs- ATL) और यूनिसेफ इंडिया (UNICEF India) के तत्त्वावधान में जनरेशन अनलिमिटेड (Generation Unlimited) द्वारा सम्मिलित रूप से प्रारंभ किया गया।
- अंतर्राष्ट्रीय छात्र मूल्यांकन कार्यक्रम(PISA), 2021
एक दशक से अधिक के अंतराल के बाद भारत अंतर्राष्ट्रीय छात्र मूल्यांकन कार्यक्रम, 2021 में भाग लेने के लिये पूरी तरह से तैयार है। आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) द्वारा वर्ष 2021 में आयोजित होने वाले अंतर्राष्ट्रीय छात्र मूल्यांकन कार्यक्रम में भारत की तरफ से केंद्रीय विद्यालय संगठन, नवोदय विद्यालय समिति द्वारा संचालित विद्यालय तथा केंद्रशासित क्षेत्र चंडीगढ़ के विद्यालय भाग लेंगे। इस कार्यक्रम के अंतर्गत मूल्यांकन हेतु किसी देश (बड़े देशों के मामले में विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र) के 15 वर्ष की आयु वाले छात्रों को सम्मिलित किया जाएगा जो स्कूली शिक्षा के सभी रूपों जैसे- सार्वजनिक, निजी, निजी सहायता प्राप्त स्कूलों का प्रतिनिधित्व करते हैं। अंतर्राष्ट्रीय छात्र मूल्यांकन कार्यक्रम (Programme for International Student Assessment- PISA) 73 देशों में शिक्षा प्रणाली का एक अंतर्राष्ट्रीय मूल्यांकन कार्यक्रम है। पिछली बार भारत ने वर्ष 2009 में PISA में भाग लिया था उस समय 73 देशों में भारत को 72वाँ स्थान प्राप्त हुआ था।
- अंतर्राष्ट्रीय छात्र मूल्यांकन कार्यक्रम(Programme for International Student Assessment-PISA)
सर्वप्रथम वर्ष 2000 में आयोजित यह कार्यक्रम आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) द्वारा समन्वित एक त्रैवार्षिक अंतर्राष्ट्रीय सर्वेक्षण है। इसके अंतर्गत वैश्विक स्तर पर छात्रों का मूल्यांकन दुनिया भर की शैक्षिक प्रणाली की गुणवत्ता,विज्ञान,गणित तथा पठन संबंधी क्षेत्रों को ध्यान में रखते हुए किया जाता है। PISA गणित,विज्ञान एवं पढ़ने में 15 वर्षीय छात्रों के शैक्षिक प्रदर्शन को मापता है।
- क्यूएस बेस्ट स्टूडेंट सिटीज़ रैंकिंग-ग्लोबल कंसल्टेंसी फर्म क्यू एस क्वाक्वैरेली साइमंड्स ( QS Quacquarelli Symonds) द्वारा जारी की गई।
शामिल किए गए कुल 120 शहरों को लंदन को लगातार दूसरे वर्ष दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शहर के रूप में नामित किया गया है,जबकि दूसरे नंबर पर जापान का टोक्यो तथा तीसरे नंबर पर ऑस्ट्रेलिया का मेलबर्न है। भारत में छात्रों के लिये सबसे अच्छा शहर बेंगलुरु (81) है, इसके बाद मुंबई (85),दिल्ली (113) तथा चेन्नई (115) का स्थान है। यह रैंकिंग किसी शहर में विश्वविद्यालयों की संख्या,उनके प्रदर्शन,रोज़गार अवसर,शहर में जीवन की गुणवत्ता एवं अनुकूलता के आधार पर निर्धारित की गई। लंदन में भारतीय छात्रों की संख्या में वर्ष 2017-18 में 20% की वृद्धि दर्ज की गई है, जो 2016-17 में 4,545 से बढ़कर 2017-18 में 5,455 हो गई। हालाँकि यह संख्या अभी भी बहुत कम है। 120 देशों की इस सूची में अमेरिका और UK के 14-14 शहर शामिल हैं। QS टॉप-120 रैंकिंग में एशिया के दो शहरों को टॉप-10 में जगह मिली है- टोक्यो दूसरे और सियोल 10वें स्थान पर है। हॉन्गकॉन्ग 14वें, बीजिंग 32वें और शंघाई लिस्ट में 33वें स्थान पर है। रैंकिंग में ऑस्ट्रेलिया के 7 शहरों को जगह मिली है। इनमें मेलबर्न (3) और सिडनी (9) टॉप-10 में शामिल हैं।
- केन्या के विज्ञान शिक्षक पीटर तबीची को ग्लोबल टीचर प्राइज़ दिया गया है। इस पुरस्कार को पाने वाले इस पहले अफ्रीकी को दुबई में हुए समारोह में लगभग सात करोड़ रुपए बतौर पुरस्कार दिये गए।10 हज़ार अन्य आवेदक शिक्षकों में से चुने गये ये शख्स अपनी आय का 80 % हिस्सा केन्या के गाँव पिवानी के अनाथ औैर गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिये देते हैं। पिवानी केन्या का ऐसा इलाका है, जहाँ का हर तीसरा बच्चा अनाथ है या उसके माता-पिता में से कोई एक जीवित नहीं है। यह इलाका प्रायः सूखाग्रस्त रहता है। पीटर तबीची जिस स्कूल में पढ़ाते हैं, उसमें संसाधन के नाम पर एक कंप्यूटर औैर बीच-बीच में कट जाने वाला इंटरनेट कनेक्शन और कुछ मेज़-कुर्सियाँ ही हैं। इसके बावजूद वे 11 से 16 वर्ष तक के बच्चों को पढ़ाते हैं।हर साल शैक्षणिक संस्थान वर्के फाउंडेशन (Verkey Foundation) द्वारा दिया जानेवाला,ग्लोबल टीचर प्राइज़ शिक्षकों को दिये जाने वाले दुनिया के बड़े अवॉर्ड में से एक है।
- करेन उलेनबेक को 2019 का एबेल पुरस्कार (Abel Prize) ज्यामितीय विश्लेषण और गेज सिद्धांत (Geometric Analysis and Gauge Theory) में उनके द्वारा किये गए मौलिक काम के लिये प्रदान किया गया है।
एबेल पुरस्कार नॉर्वे सरकार द्वारा एक या एक से अधिक गणितज्ञों को दिया जाने वाला पुरस्कार है। यह पुरस्कार नॉर्वे के सबसे प्रसिद्ध गणितज्ञ 'नील्स हेनरिक एबेल' को समर्पित है।[८]
महत्वपूर्ण समिति
सम्पादन- नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लिये गठित के. कस्तूरीरंगन समिति की रिपोर्ट MHRD को सौंपी
- इसरो के पूर्व प्रमुख के. कस्तूरीरंगन के अलावा आठ सदस्य समिति में शामिल थे।
- इस रिपोर्ट में पाठ्यक्रम में भारतीय शिक्षा प्रणाली को शामिल करने,राष्ट्रीय शिक्षा आयोग का गठन और निजी स्कूलों द्वारा मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने पर रोक लगाने जैसी सिफारिशें की हैं।
- इस समिति ने पूर्व कैबिनेट सचिव टी.एस.आर. सुब्रमण्यम की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट का भी संज्ञान लिया। इस नीति के प्रारूप में कहा गया है कि ज्ञान में भारतीय योगदान और ऐतिहासिक संदर्भ को जहां भी प्रासंगिक होगा, उनको मौजूदा स्कूली पाठ्यक्रम और पाठ्य-पुस्तकों में शामिल किया जाएगा।
- इसके तहत गणित,खगोल शास्त्र, दर्शन, मनोविज्ञान, योग, वास्तुकला, औषधि के साथ ही शासन,शासन विधि,समाज में भारत का योगदान को शामिल किया जाए।
- निरंतर और नियमित आधार पर देश में शिक्षा के दृष्टिकोण को विकसित करने,मूल्यांकन करने और संशोधन करने के लिये एक नई शीर्ष संस्था राष्ट्रीय शिक्षा आयोग का गठन किया जाए।
- शिक्षा और पठन-पाठन पर ध्यान केंद्रित करने के लिये मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम शिक्षा मंत्रालय किया जाना चाहिये ।
- निजी स्कूलों को अपने शुल्क को तय करने के लिये मुक्त किया जाए, लेकिन वे इसमें मनमाने तरीके से इजाफा नहीं कर सकें, इसके लिये कई सुझाव दिये गये हैं।
- वर्तमान में चल रही शिक्षा नीति 1986 में तैयार हुई थी और 1992 में इसमें संशोधन किया गया था।
- बी.वी.आर. मोहन रेड्डी समिति को इंजीनियरिंग शिक्षा के लिये संक्षिप्त और मध्यम अवधि की योजना तैयार करने के लिये स्थापित किया गया था।
- इसकी मुख्य सिफारिशों में से एक यह है कि 2020 के बाद किसी इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट की स्थापना को अनुमति नहीं दी जाए।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा नई शिक्षा नीति के पुनर्गठन हेतु मसौदा नीति प्रस्तुत वैज्ञानिक के. कस्तूरीरंगन के नेतृत्व वाली समिति द्वारा तैयार की गई है। इसके तहत शिक्षा के अधिकार अधिनियम (Right To Education- RTE Act) के दायरे को विस्तृत करने का प्रयास किया गया है, साथ ही स्नातक पाठ्यक्रमों को भी संशोधित किया गया है। इस मसौदा नीति में लिबरल आर्ट्स साइंस एजुकेशन (Liberal Arts Science Education- LASE) के चार वर्षीय कार्यक्रम को फिर से शुरू करने तथा कई कार्यक्रमों के हटाने के विकल्प (exit options) के साथ-साथ एम. फिल. प्रोग्राम को रद्द करने का भी प्रस्ताव किया गया है। इसके अनुसार, पी.एच.डी. करने के लिये या तो मास्टर डिग्री या चार साल की स्नातक डिग्री को अनिवार्य किया गया है। नए पाठ्यक्रम में 3 से 18 वर्ष तक के बच्चों को कवर करने के लिये 5+3+3+4 डिज़ाइन (आयु वर्ग 3-8 वर्ष, 8-11 वर्ष, 11-14 वर्ष और 14-18 वर्ष) तैयार किया गया है जिसमें प्रारंभिक शिक्षा से लेकर स्कूली पाठ्यक्रम तक शिक्षण शास्त्र के पुनर्गठन के भाग के रूप में समावेशन के लिये नीति तैयार की गई है। यह मसौदा नीति धारा 12 (1) (सी) (निजी स्कूलों में आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के छात्रों के लिये अनिवार्य 25 प्रतिशत आरक्षण का दुरुपयोग किया जाना) की भी समीक्षा करती है, जो सबसे ज़्यादा महत्त्वपूर्ण है। नई शिक्षा नीति का मसौदा तैयार करने का एनडीए सरकार का यह दूसरा प्रयास है। पहली बार TSR सुब्रमण्यम के नेतृत्व में एक समिति गठित की गई थी जिसने वर्ष 2016 में रिपोर्ट प्रस्तुत की थी।
- 70 पॉइंट ग्रेडिंग इंडेक्सकेंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा राज्यों में स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने हेतु लॉन्च किया गया।
- इसके तहत स्कूलों की शिक्षा प्रणाली के मूल्यांकन के लिये 70 संकेतकों का इस्तेमाल किया जाएगा।
- इसकी सहायता से राज्यों की स्कूली शिक्षा प्रणाली में व्याप्त खामियों अथवा कमज़ोर पक्षों का आकलन किया जाएगा ताकि प्रत्येक स्तर पर शिक्षा को बेहतर बनाने के लिये आवश्यक कदम उठाए जा सकें।
- इस ग्रेडिंग इंडेक्स के कुछ महत्त्वपूर्ण संकेतकों में अध्यापकों की रिक्तियाँ, नेतृत्त्व के स्तर (Leadership Position) पर सीधी नियुक्ति, स्कूल की आधारिक संरचना आदि शामिल हैं।
शिक्षा के क्षेत्र के प्रमुख पुरस्कार
सम्पादनविज़िटर्स अवार्ड 2019(VISITOR’S AWARDS, 2019) 9 सितंबर, 2019 को राष्ट्रपति सचिवालय द्वारा विज़िटर्स अवार्ड 2019 के विजेताओं की घोषणा की गई।
इस वर्ष ये अवार्ड मानविकी (Humanities), कला (Arts) और सामाजिक विज्ञान (Social Sciences), भौतिक विज्ञान (Physical Sciences), जीव विज्ञान (Biological Sciences) एवं प्रौद्योगिकी विकास (Technology Development) में अनुसंधान के लिये प्रदान किये जाएंगे। मानविकी, कला और सामाजिक विज्ञान: इस क्षेत्र में अनुसंधान के लिये पुद्दुचेरी विश्वविद्यालय के एप्लाइड साइकोलॉजी विभाग के प्रोफेसर शिबनाथ देब को अवार्ड प्रदान किया जाएगा। उन्हें यह अवार्ड बाल संरक्षण विशेष रूप से बाल शोषण और उपेक्षा, छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और HIV/AIDS के क्षेत्र में अनुसंधान के लिये दिया जा रहा है।
भौतिक विज्ञान, जीव विज्ञान: इस क्षेत्र में अनुसंधान के लिये यह अवार्ड जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान स्कूल के प्रोफेसर संजय पुरी को दिया जाएगा। जीव विज्ञान में अनुसंधान के लिये यह अवार्ड अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अंतर-विषयी जैव-प्रौद्योगिकी इकाई के प्रोफेसर असद उल्ला खान को भारत में एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) और AMR के फैलने एवं नियंत्रण की कार्यप्रणाली के लिये तथा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के नैनोसाइंस के विशेष केंद्र में कार्यरत डॉ. प्रतिमा को संयुक्त रूप से प्रदान किया जाएगा। डॉ. प्रतिमा ने नैनो-बायोसेंसर (Nano Biosensor) और नैनो-बायोइन्ट्रेक्शन (Nano Biointeraction) में उल्लेखनीय अनुसंधान किया है।
प्रौद्योगिकी विकास: इसके लिये त्रिपुरा विश्वविद्यालय के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में कार्यरत डॉ. शॉन रे चौधुरी को अवार्ड प्रदान किया जाएगा। डॉ. चौधुरी को यह अवार्ड बायोफर्टिलाइज़र में डेयरी अपशिष्ट जल के रूपांतरण के लिये माइक्रोबियल बॉयोफिल्म रिएक्टर (Microbial Biofilm Reactor) विकसित करने के लिये दिया जा रहा है।
पृष्ठभूमि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में स्वस्थ प्रतियोगिताओं और उन्हें पूरे विश्व की श्रेष्ठ प्रक्रियाओं को अपनाने के लिये प्रेरित करने हेतु वर्ष 2014 में ये अवार्ड स्थापित किये गए थे। तब से प्रत्येक वर्ष विभिन्न श्रेणियों में ये अवार्ड प्रदान किये जाते हैं।
महर्षि बादरायण व्यास सम्मान 2019 राष्ट्रपति ने वर्ष 2019 के लिये चयनित विद्वानों को महर्षि बादरायण व्यास सम्मान से सम्मानित किया है।
इस सम्मान की स्थापना भारत सरकार द्वारा की गई थी। इस सम्मान का उद्देश्य 30-45 वर्ष की आयु वर्ग के विद्वानों को फारसी, अरबी, पाली, प्राकृत और शास्त्रीय भारतीय भाषाओं के क्षेत्र में उनके महत्त्वपूर्ण योगदान हेतु सम्मानित करना है। वर्तमान में छह भाषाओं यानी तमिल, संस्कृत, तेलुगू, कन्नड़, मलयालम और ओडिया को शास्त्रीय भाषाओं का दर्जा दिया जा चुका है। किसी भाषा को शास्त्रीय भाषाका दर्जा दिये जाने के संबंध में सरकार द्वारा निर्धारित मानदंड निम्नानुसार है: उस भाषा का प्रारंभिक साहित्य अति-प्राचीन हो। उस भाषा का अभिलिखित इतिहास 1500-2000 साल पुराना हो। उस भाषा को बोलने वाली कई पीढ़ियाँ उसके प्राचीन साहित्य को मूल्यवान विरासत मानती हों। उस भाषा की साहित्यिक परंपरा स्वयं उसी भाषा की हो, न कि किसी अन्य भाषा से उधार ली गई हो। किसी शास्त्रीय भाषा और साहित्य का रूप उस भाषा के आधुनिक रूप से अलग होते हैं, इसलिये शास्त्रीय भाषा और उसके परवर्ती रूप एवं प्रशाखाओं के बीच में अंतराल हो सकता है।
हिंदी के जाने-माने साहित्यकार लीलाधर जगूड़ी को उनके 2013 में प्रकाशित काव्य संग्रह ‘जितने लोग उतने प्रेम’ के लिये 2018 का व्यास सम्मान देने का एलान किया गया है। आपको बता दें कि के.के. बिरला फाउंडेशन द्वारा व्यास सम्मान के तहत चार लाख रुपए और प्रशस्ति-पत्र दिया जाता है। यह पुरस्कार 1991 में शुरू किया गया था और डॉ. रामविलास शर्मा, डॉ. धर्मवीर भारती, श्रीलाल शुक्ल, केदारनाथ सिंह, मन्नू भंडारी, विश्वनाथ त्रिपाठी सहित कई प्रमुख साहित्यकार इससे सम्मानित हो चुके हैं। 2017 का व्यास सम्मान ममता कालिया को उनके उपन्यास ‘दुक्खम सुक्खम’ के लिये दिया गया था। लीलाधर जगूड़ी को 2004 में पद्मश्री से नवाजा जा चुका है। उनकी प्रमुख कृतियों में ‘शंखमुखी शिखरों पर, नाटक जारी है, रात अब भी मौजूद है, भय भी शक्ति देता है, अनुभव के आकाश में चाँद और खबर का मुँह विज्ञापन से ढंका है’ शामिल हैं।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने नई शिक्षा नीति के पुनर्गठन हेतु मसौदा नीति प्रस्तुत की
सम्पादन- वैज्ञानिक के. कस्तूरीरंगन के नेतृत्व वाली समिति द्वारा तैयार इस नीते के तहत शिक्षा के अधिकार अधिनियम के दायरे को विस्तृत करने का प्रयास किया गया है, साथ ही स्नातक पाठ्यक्रमों को भी संशोधित किया गया है।
- इसमें लिबरल आर्ट्स साइंस एजुकेशन (Liberal Arts Science Education- LASE) के चार वर्षीय कार्यक्रम को फिर से शुरू करने तथा कई कार्यक्रमों के हटाने के विकल्प (exit options) के साथ-साथ एम. फिल. प्रोग्राम को रद्द करने का भी प्रस्ताव किया गया है।
- इसके अनुसार,पी.एच.डी. करने के लिये या तो मास्टर डिग्री या चार साल की स्नातक डिग्री को अनिवार्य किया गया है।
- नए पाठ्यक्रम में 3 से 18 वर्ष तक के बच्चों को कवर करने के लिये 5+3+3+4 डिज़ाइन (आयु वर्ग 3-8 वर्ष, 8-11 वर्ष, 11-14 वर्ष और 14-18 वर्ष) तैयार किया गया है जिसमें प्रारंभिक शिक्षा से लेकर स्कूली पाठ्यक्रम तक शिक्षण शास्त्र के पुनर्गठन के भाग के रूप में समावेशन के लिये नीति तैयार की गई है।
- धारा 12 (1) (सी) (निजी स्कूलों में आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के छात्रों के लिये अनिवार्य 25 प्रतिशत आरक्षण का दुरुपयोग किया जाना) की भी समीक्षा करती है, जो सबसे ज़्यादा महत्त्वपूर्ण है।
नई शिक्षा नीति का मसौदा तैयार करने का एनडीए सरकार का यह दूसरा प्रयास है।पहली बार TSR सुब्रमण्यम के नेतृत्व में गठित एक समिति ने वर्ष 2016 में रिपोर्ट प्रस्तुत की थी।
रिपोर्ट की अन्य प्रमुख सिफारिशें
- विदेशों में भारतीय संस्थानों की संख्या में वृद्धि करने के साथ-साथ दुनिया के शीर्ष 200 विश्वविद्यालयों को भारत में अपनी शाखाएँ स्थापित करने की अनुमति देना। इसका मुख्य उद्देश्य उच्च शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीयकरण करना है।
- स्कूली शिक्षा के लिये एक एकल स्वतंत्र नियामक ‘राज्य विद्यालय नियामक प्राधिकरण’और उच्च शिक्षा के लिये राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा नियामक प्राधिकरण स्थापित किया जाएगा।
- निजी स्कूल अपनी फीस निर्धारित करने के लिये स्वतंत्र हैं, लेकिन वे मनमाने तरीके से स्कूल की फीस में वृद्धि नहीं करेंगे। ‘राज्य विद्यालय नियामक प्राधिकरण’ द्वारा प्रत्येक तीन साल की अवधि के लिये इसका निर्धारण किया जाएगा।
- प्रधानमंत्री के नेतृत्व में एक नए शीर्ष निकाय ‘राष्ट्रीय शिक्षा आयोग’ की स्थापना की जाएगी जो सतत् आधार पर शिक्षा के विकास, कार्यान्वयन, मूल्यांकन और शिक्षा के उपयुक्त दृष्टिकोण को लागू करने के लिये उत्तरदायी होगा।
- स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल होने के लिये गणित, खगोल विज्ञान, दर्शन, चिकित्सा के लिये प्राचीन भारतीय ज्ञान प्रणालियों के योगदान को सुनिश्चित किया जाएगा।
- सभी उच्च शिक्षा संस्थानों को तीन श्रेणियों में पुनर्गठित किया गया है-
- टाइप 1: विश्व स्तरीय अनुसंधान और उच्च गुणवत्ता वाले शिक्षण पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
- टाइप 2: अनुसंधान में महत्त्वपूर्ण योगदान के साथ विषयों में उच्च गुणवत्ता वाले शिक्षण पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
- टाइप 3: उच्च गुणवत्ता वाला शिक्षण स्नातक शिक्षा पर केंद्रित है।
- इसका संचालन दो मिशनों के तहत किया जाएगा - मिशन नालंदा और मिशन तक्षशिला।
संदर्भ
सम्पादन- ↑ https://www.jagran.com/uttarakhand/nainital-plagiarism-will-stop-with-urkund-software-19472285.html
- ↑ https://navbharattimes.indiatimes.com/metro/lucknow/politics/up-assembly-approves-bill-to-regulate-27-private-universities/articleshow/70384632.cms
- ↑ https://www.thehindubusinessline.com/info-tech/e-governance-services-india-ties-up-with-iit-kanpur-to-upscale-unnat-bharat-abhiyan/article27023528.ece
- ↑ https://navbharattimes.indiatimes.com/education/education-news/new-app-of-cbse-shiksha-vani-to-podcast-latest-updates/articleshow/68560593.cms
- ↑ https://timesofindia.indiatimes.com/gadgets-news/google-india-launches-bolo-app-to-help-kids-read-in-english-and-hindi-better/articleshow/68289983.cms
- ↑ https://mhrd.gov.in/union-hrd-minister-launches-scheme-higher-education-youth-apprenticeship-and-skills-shreyas
- ↑ https://pib.gov.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=188989
- ↑ https://www.abelprize.no/c53671/artikkel/vis.html?tid=53702