कंदगी साड़ी- तमिलनाडु के शिवगंगा ज़िले के कराईकुडी तालुक में विनिर्मित इस साड़ी में धारियों अथवा चेक्स के पारंपरिक पैटर्न में चमकीले पीले,नारंगी,लाल आदि रंगों का प्रयोग होता है तथा इसकी बॉर्डर्स चौड़ी होती हैं। इसे मैन्युअल रूप से एक घुमावदार मशीन,करघा,शटल और बॉबिन का उपयोग करते हुए हाथ से बनाया जाता है।
ताव्लोहोपुआन- मिज़ोरम का एक भारी,अत्यंत मजबूत एवं उत्कृष्ट वस्त्र है,जो तने हुए धागे,बुनाई और जटिल डिज़ाइन के लिये जाना जाता है। हाथ से बुना जानेवाला यह एक ऐसी मज़बूत चीज़ होती है जिसे पीछे नहीं खींचा जा सकता उसे मिजो भाषा में ताव्लोह कहा जाता है।मिज़ो समाज में ताव्लोहोपुआन का विशेष महत्त्व है। आइज़ोल और थेनजॉल शहर इसके मुख्य उत्पादन केंद्र हैं।
तिरुर वेत्तिला- केरल के इस तिरुर के पान के पत्ते की खेती मुख्यत: तिरुर, तनूर, तिरुरांगडी, कुट्टिपुरम, मलप्पुरम और मलप्पुरम ज़िले के वेंगारा प्रखंड की पंचायतों में की जाती है। इसके ताज़े पत्तों में कुल क्लोरोफिल और प्रोटीन की मात्रा महत्त्वपूर्ण रूप से अधिक होती है।इसके पत्ते पौष्टिक होते हैं और इनमें कैंसर रोधी गुण पाए जाते हैं। इसमें अद्वितीय स्वाद और सुगंध जैसी कुछ विशेष जैव रासायनिक विशेषताएँ होती हैं।यूजेनॉल तिरुर सुपारी के पत्तों में पाया जाने वाला एक प्रमुख आवश्यक तत्त्व है जो इसकी तीक्ष्णता के लिये उत्तरदायी होता है।पत्ते पौष्टिक होते हैं और एंटीकार्सिनोजेन होते हैं, जो भविष्य में एंटीकैंसर दवाओं के निर्माण में उपयोगी साबित हो सकते हैं।इस सुपारी के बेल में प्रतिरक्षादमनकारी (immunosuppressive) और रोगाणुरोधी गुण भी देखे गए हैं।
पलानीपंचामृथम्- तमिलनाडु के डिंडीगुल ज़िले के पलानी शहर की पलानी पहाडि़यों में अवस्थित अरुल्मिगु धान्दयुथापनी स्वामी मंदिर के पीठासीन देवता भगवान धान्दयुथापनी स्वामी के अभिषेक से जुड़े प्रसाद को पलानीपंचामिर्थम् कहते हैं।इस प्रसाद को एक निश्चित अनुपात में पाँच प्राकृतिक पदार्थों-केले,गुड़-चीनी,गाय के घी,शहद और इलायची को मिलाकर बनाया जाता है।पहली बार तमिलनाडु के किसी मंदिर के प्रसादम् को जीआई टैग दिया गया है।
डिंडीगुल के ताले-तमिलनाडु में अवस्थित डिंडीगुल के ताले बेहतर गुणवत्ता और टिकाऊपन के लिये प्रसिद्ध हैं। डिंडीगुल को ‘तालों का शहर (Lock City)’ भी कहा जाता है।
मिज़ो पुआनचेई- मिज़ोरम के इस एक रंगीन मिजो शॉल/वस्त्र को मिज़ो वस्त्रों में सबसे रंगीन वस्र माना जाता है। मिज़ोरम की प्रत्येक महिला का यह एक अनिवार्य वस्त्र है और इस राज्य में एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण शादी की पोशाक है। मिज़ोरम में मनाए जाने वाले उत्सव के दौरान होने वाले नृत्य और औपचारिक समारोह में आमतौर पर इस पोशाक का ही उपयोग किया जाता है।