सिविल सेवा मुख्य परीक्षा विषयवार अध्ययन/पर्यावरण प्रभाव का आकलन
पर्यावरण प्रभाव आकलन मूल्यांकन का लक्ष्य सीआईओबी में प्रस्तावित एफजीएम स्थल के चारों ओर तथा इसके आस पास पर्यावरणीय मापदंडों की अंतर ऋतुकालिक के साथ-साथ अंतर वार्षिक परिवर्तनीयता का मूल्यांकन करना है। तलछट, भू-तकनीकी, भू-रसायनिक, माइक्रोबियल और जैव रासायनिक मापदंडों के अध्ययन से पता चला है कि पर्यावरणीय स्थितियां एक विस्तृत श्रृंखला पर अलग अलग समय पैमाने (ऋतुकालिक और वार्षिक) पर भिन्न-भिन्न है और संभवता यह परिवर्तन अन्य गतिविधियों जैसे कि गहरा समुद्र संस्तर खनन द्वारा बनाई गई परिस्थितियों से आए परिवर्तनों को अच्छी तरह से सम्मिलित कर सकते है । क) उद्देश्य गहरे समुद्र खनिजों के साथ जुड़ी पर्यावरण स्थितियों का मूल्यांकन करना वितलीय क्षेत्रों में तलछट पारिस्थितिक तंत्र और जैव भूगोल का मूल्यांकन करना इन क्षेत्रों में भू-जैव रासायनिक प्रक्रियाओं के बीच परस्पर क्रिया को समझना गहरे समुद्र खनिज संसाधनों के खनन के लिए पर्यावरण डेटा को विकसित करना प्रथम पीढ़ी खनन (एफजीएम) स्थल के लिए ईएमपी तैयार करना ख) प्रतिभागी संस्थाएं: सीएसआईआर- राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान
ग) कार्यान्वयन योजना बारहवीं योजना के दौरान, अत्याधुनिक तकनीक के माध्यम से नमूना / डेटा संग्रह में संगठित प्रयासों के माध्यम से इन पर हमारी जानकारी में सुधार करने का प्रस्ताव है।
घ) वितरण योग्य : भौगोलिक रुप से अद्वितीय व्यवस्था में गहरे समुद्र पारिस्थितिकी तंत्र के बहु-विषयक डेटा का सृजन। समुद्री और बेंथिक वातावरणों के बीच संबंधों की स्थापना, गहरे समुद्र पारिस्थितिकी तंत्र की कार्य पद्धति में योगदान करने के लिए निर्यात फ्लक्स और रासायनिक बजट का अनुमान उपलब्ध कराना गहरे समुद्री संसाधनों का दोहन करने के लिए प्रौद्योगिकी के विकास हेतु पर्यावरणीय इनपुट प्रदान करना एफजीएम के लिए ईएमपी ङ) बजट की आवश्यकता : 82 करोड़ रुपए[१]
- नई मिसाइल परीक्षण सुविधा के लिये पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा पर्यावरण और तटीय नियामक क्षेत्र को मंज़ूरी प्रदान की गई है। आंध्र प्रदेश में बंगाल की खाड़ी के तट पर मिसाइल परीक्षण प्रक्षेपण एवं तकनीकी सुविधा स्थापित की जाएगी।
इससे पहले DRDO ने आंध्र प्रदेश के कृष्णा ज़िले में कृष्णा वन्यजीव अभ्यारण्य में इस परियोजना को स्थापित करने का प्रस्ताव दिया था। मिसाइल परीक्षण एवं प्रक्षेपण की यह परियोजना रणनीतिक आवश्यकता के साथ-साथ राष्ट्रीय महत्त्व की भी है, इसे कहीं और स्थापित नहीं किया जा सकता है। अतः इसे पर्यावरण प्रभाव आकलन (Environmental impact assessment) अधिसूचना 2016 के अनुसार सार्वजनिक सुनवाई से छूट दी गई है।
यूनिसेफ द्वारा जारी रिपोर्ट‘स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण,पानी,मिट्टी और खाद्य पर) के पर्यावरणीय प्रभाव’के अनुसार,भारत में स्वच्छ भारत मिशन से भूजल संदूषण/प्रदूषण में कमी
सम्पादन- यूनिसेफ द्वारा इसके तहत ओडिशा,बिहार और पश्चिम बंगाल के खुले में शौच से मुक्त (ODF)और गैर-खुले में शौच से मुक्त (Non-ODF) गाँवों से भूजल के नमूने एकत्र किये गए तथा उनका अध्ययन किया गया।
- रिपोर्ट के अनुसार,Non-ODF गाँव की तुलना में ओपन डेफिकेशन फ्री/खुले में शौच मुक्त (Open Defecation Free-ODF) गाँवों में भूजल 12.7 गुना कमदूषित पाया गया है।
- इसके अलावा ओपन डेफिकेशन फ्री गाँवों की अपेक्षा Non-ODF फ्री गाँवों की मिट्टी में 1.13%, खाने-पीने की वस्तुओं में 1.48% और पीने के पानी में 2.68% अधिक प्रदूषण के तत्त्व सामने आए हैं।
- अध्ययन के निष्कर्षों से यह स्पष्ट होता है कि स्वच्छ भारत मिशन के सफाई एवं स्वच्छता कार्यों को बढ़ावा देने, नियमित निगरानी और व्यवहार में परिवर्तन के लिये जागरूकता कार्यक्रमों के संचालन जैसे कार्यों से पर्यावरणीय प्रदूषण को कम करने में सफलता प्राप्त हुई है।
- स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन द्वारा समर्थित डालबर्ग द्वारा संचालित किया गया है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार,वर्ष 2018 में स्वच्छ भारत मिशन पर किये गए अध्ययन में पाया गया है कि 100% ODF हासिल करने के बाद सालाना लगभग 3 लाख लोगों की जान को बचाया जा सकता है।