सिविल सेवा मुख्य परीक्षा विषयवार अध्ययन/महत्वपूर्ण भौगोलिक विशेषताएँ,वनस्पति एवं जंतु

सूर्य और चंद्रमा के आकर्षण के कारण दिन में एक या दो बार समुद्री जल स्तर के आवधिक उत्थान और पतन को ज्वार-भाटा (tides) कहा जाता है। वृहत् प्रभाव तक चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण खिंचाव और निम्न प्रभाव तक सूर्य का गुरुत्वाकर्षण खिंचाव ज्वार-भाटा के प्रमुख कारण हैं। जब चंद्रमा का कक्ष पृथ्वी के निकटतम होता है, तब इस स्थिति को भू-समीपक (Perigee) कहा जाता है। इसके परिणामस्वरूप अधिकतम गुरुत्वाकर्षण खिंचाव के कारण ज्वार-भाटा सामान्य से अधिक ऊँचाई के होते है। प्रत्येक वर्ष 3 जनवरी के आसपास जब पृथ्वी सूर्य के निकटतम होती है (Perihelion या सूर्य-समीपक स्थिति), सूर्य के गुरुत्वाकर्षण खिंचाव के कारण ज्वार-भाटा की ऊँचाई अधिक होती है।

भारत में जून से सितंबर के महीनों में दक्षिण-पश्चिम मानसून से वर्षा होती है। मई के अंत तक उत्तर भारत में उच्च तापमान के कारण कम दाब युक्त मानसून गर्त और अधिक मज़बूत हो जाता है। जून माह में हिंद महासागर के विषुवतीय क्षेत्र से हवाओं की सामान्य दिशा भारतीय उपमहाद्वीप में दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर होती है। मई के अंतिम सप्ताह में ये आर्द्र हवाएँ पहले अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में और जून के पहले सप्ताह में प्रचंड तूफान सहित केरल तट पर आती हैं। ये भारत में आने वाले दक्षिण-पश्चिम मानसूनी मौसम में एक बड़ा परिवर्तन लाते हैं। दक्षिण-पश्चिम मानसून की दो शाखाएँ उत्पन्न होती हैं:-

  1. अरब सागर शाखा: यह शाखा पश्चिमी घाट से टकराती है जिससे पश्चिमी घाट के पश्चिमी भाग में भारी वर्षा होती है। यह 10 जून तक मुंबई पहुँचती है। जब यह शाखा पश्चिमी घाटों को पार करती है और दक्कन के पठार तथा मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में पहुँचती है, तो यहाँ कम बारिश होती है क्योंकि यह एक वृष्टि छाया क्षेत्र है। यह शाखा 20 जून तक उत्तरी मैदान में पहुँच जाती है।
  2. बंगाल की खाड़ी की शाखा: बंगाल की खाड़ी से आने वाली मानसूनी हवाएँ अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह, उत्तर-पूर्वी राज्यों और पश्चिम बंगाल के तटीय क्षेत्रों से टकराती हैं और 15 जुलाई तक पूरे भारत को कवर कर लेती हैं। ये इस क्षेत्र में भारी वर्षा का कारण बनती हैं। हालाँकि उत्तरी मैदानों में पश्चिम की ओर जाने पर वर्षा की मात्रा उत्तरोत्तर कम होती जाती है।
  3. उदाहरण के लिये कोलकाता में 120 सेंटीमीटर, इलाहाबाद में 91 सेंटीमीटर तथा दिल्ली में 56 सेंटीमीटर वर्षा होती है।