सिविल सेवा मुख्य परीक्षा विषयवार अध्ययन/रोबोटिक्स और नैनो टेक्नोलॉजी

‘वैश्विक कृत्रिम बुद्धिमत्ता शिखर सम्मेलन’का आयोजन ऑल इंडिया काउंसिल फॉर रोबोटिक्स एंड ऑटोमेशन (AICRA) द्वारा किया जाता है। AICRA एक प्रमुख वैश्विक और गैर-लाभकारी संगठन है, जिसका उद्देश्य व्यावसायिक लाभ प्राप्त करने वाले संस्थानों को उच्च गुणवत्ता के सृजन हेतु उत्प्रेरित करके रोबोटिक्स, ऑटोमेशन तथा अन्य नई तकनीकों में कौशल विकास को बढ़ावा देना है। AICRA सीधे तौर पर या भागीदारी के माध्यम से संस्थानों को गुणवत्ता आश्वासन, सूचना प्रणाली तथा ट्रेन द ट्रेनर (Train The Trainer- TTT) अकादमियों जैसी तकनीकी सहायता प्रणाली प्रदान करता है।

  • इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स (IOT) इंटरनेट के माध्यम से सुलभ भौतिक वस्तुओं का एक तंत्र होता है।

IOT में 'थिंग्स' हार्ट मॉनीटर वाला एक व्यक्ति या अंतर्निहित सेंसर वाला ऑटोमोबाइल हो सकता है, यानी वैसे ऑब्जेक्ट जिन्हें आईपी एड्रेस (IP address) सौंपा गया है और मैन्युअल सहायता (manual assistance) या हस्तक्षेप के बिना नेटवर्क पर डेटा एकत्र तथा स्थानांतरित करने की क्षमता रखते हैं। वस्तुओं में एम्बेडेड तकनीक (embedded technology) जोकि हार्डवेयर और सॉफ़्टवेयर का संयोजन होती है,आंतरिक अथवा बाह्य स्थितियों में मदद करती है, जो लिये गए निर्णयों को प्रभावित करती है। इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स का लक्ष्य उन उपकरणों को प्राप्त करना है जो वास्तविक समय में स्वयं रिपोर्टिंग करते हैं, दक्षता में सुधार करते हैं और मानव हस्तक्षेप के आधार पर एक प्रणाली की तुलना में महत्त्वपूर्ण जानकारी को सामने लाते हैं। इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स के उपयोग: स्वास्थ्य देखभाल : चिकित्सा के क्षेत्र में एक कनेक्टेड डिवाइस न केवल अस्पताल के अंदर बल्कि बाहरी रोगियों की निगरानी करने में भी चिकित्सकों की मदद कर सकती है। कंप्यूटर्स रोगियों का सटीक उपचार करने तथा सही परिणामों के विषय में डेटा का मूल्यांकन कर चिकित्सकों की सहायता कर सकते हैं। व्यवसाय: किसी स्टोर के अंदर उपभोक्ता के व्यवहार को ट्रैक करके, एक खुदरा विक्रेता उसी के अनुरूप उत्पाद अनुशंसाएँ कर सकता है जो समग्र रूप से उसकी बिक्री में वृद्धि करेंगी। शहरी नियोजन: IOT प्रौद्योगिकी, बुनियादी ढाँचे वाले भवनों को ऊर्जा संरक्षण और उनकी स्थायित्व में सुधार के कार्य को आसान बना सकती है।


वर्तमान में कई कंपनियों द्वारा विकसित किया जा रहा हाइपर लूप ज़मीनी यातायात का एक नया रूप है, जिसमें कम दबाव वाले ट्यूबों के भीतर हवा में तैरती हुई बोगी में 700 मील प्रति घंटे की रफ़्तार से यात्रा करने वाले यात्रियों को देखा जा सकेगा। इस विचार की कल्पना सबसे पहले स्पेस एक्स के इलोन मस्क द्वारा की गई थी। इसे “यातायात के पाँचवें माध्यम” के रूप में जाना जाता है और न केवल इसकी तीव्र गति होगी बल्कि यह शून्य-उत्सर्जन के साथ-साथ पर्यावरण के अनुकूल भी होगा। इसके लिये कम ऊर्जा की आवश्यकता होगी और खराब मौसम के साथ-साथ टक्कर से बचने के लिये इसमें प्रतिरक्षा प्रणाली भी होगी। इसे कॉनकॉर्ड, रेल गन तथा एयर हॉकी टेबल के मिश्रण के रूप में माना जाता है। हाइपर लूप चुंबकीय ढंग से हवा में तैरते हुए बहुत तीव्र गति से संचालित होता है। ये कैप्सूल यात्रियों को ट्यूब या सुरंगों के माध्यम से ले जाते हैं, जिनमें से अधिकांश वायु को घर्षण कम करने के लिये हटा दिया जाता है जिससे दबाव कम हो जाता है।