हमारा पर्यावरण/पर्यावरण और हमारी पृथ्वी


परितंत्र' वह तंत्र जिसमें समस्त जीवधारी आपस में एक-दूसरे के साथ तथा पर्यावरण के उन भौतिक एवं रासायनिक कारकों के साथ परस्पर क्रिया करतें है जिसमें वे निवास करते हैं।ये सब ऊर्जा और पदार्थ के स्थानांतरण द्वारा संबद्ध हैं।

महत्वपूर्ण तथ्य
  • 5 जून -विश्व पर्यावरण दिवस
  • विश्व की सबसे गहरी खान दक्षिण अफ्रीका में स्थित है तथा इसकी गहराई लगभग 4 किमी है।तेल की खोज में इंजीनियर 6 किमी गहराई तक खोद चुके हैं।
  • पृथ्वी के केंद्र तक पहुँचने के लिए समुद्र की सतह पर 6000किमी गहराई तक खोदना पड़ेगा।
  • पृथ्वी के आयतन का 1% हिस्सा पर्पटी,84% मैंटल एवं 15% हिस्सा क्रोड है।
  • पृथ्वी की त्रिज्या 6371 किमी है।
  • वेनेजुएला का एंजेल जलप्रपात,कनाडा तथा संयुक्त राज्य अमेरिका की सीमा पर स्थित नियाग्रा जलप्रपात
  • भूकंपलेखी पर यदि भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 2.0 या उससे कम होती है,उसका प्रभाव नहीं के बराबर होता है।

परंतु यदि तीव्रता 5.0 होती है,वह वस्तुओं के गिरने से क्षति पहुँचा सकता है। तीव्रता 6.0 या उससे अधिक होने पर वह बहुत शक्तिशाली और तीव्रता 7.0 अथवा अधिक होने पर सर्वाधिक शक्तिशाली समझा जाता है।

पृथ्वी का आंतरिक भाग
सम्पादन

सिलिका एवं एलुमिना से निर्मित पर्पटी सबसे ऊपरी और पतली परत ।यह महाद्वीपों पर 35 किमी एवं समुद्री सतह में केवल 5किमी तक है। महासागर की पर्पटी सिलिका एवं मैग्नीशियम निर्मित।पर्पटी के ठीक नीचे मैंटल 2900 किमी की गहराई तक होता है।क्रोड सबसे आंतरिक परत जिसकी त्रिज्या 3500 किमी है। आग्नेय(इग्नियस)या प्राथमिक शैल के दो प्रकार-अंतर्भेदी शैल एवं बहिर्भेदी शैल। अंतर्भेदी शैल-धीरे-धीरे ठंडा होने के कारण ये बडे दानों का रूप ले लेते हैे।ग्रेनाइट इसका उदाहरण है। बहिर्भेदी शैल-ये महीन दानों वाले होते हैं।बेसाल्ट इसका उदाहरण। लेई/मसालों तथा दानोों का चूर्ण बनाने के लिए जिन अपघर्षण पत्थरों का उपयोग होता है वे ग्रेनाइट के बने होते हैं। आवसादी शैल में जीवाश्म पाये जाते हैं। आग्नेय एवं अवसादी शैल उच्च ताप एवं दाब के कारण कायांतरित शैलों में रूपांतरित हो सकती है।चिकनी मिट्टी स्लेट में एवं चूना पत्थर संगमरमर में परिवर्तित हो जाता है। एक शैल से दूसरे शैल में परिवर्तन होने की इस प्रकिया को शैल चक्र कहते हैं।अत्यधिक ताप एवं दाब के कारण कायांतरित शैल पुन: पिघलकर द्रवित मैग्मा बन जाती है।यह द्रवित मैग्मा पुन: ठंडा होकर ठोस आग्नेय शैल में परिवर्तित हो जाता है।