हमारा पर्यावरण/प्राकृतिक वनस्पति एवं अन्य जीवन

वनों के प्रकार उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन या उष्णकटिबंधीय वर्षा वन-भूमध्यरेखा एवं उष्णकटिबंध के पास पाए जाते हैं।ये क्षेत्र गर्म होते हैं एवं पूरे वर्ष यहाँ वर्षा होती है।चूँकि यहाँ का मौसम कभी शुष्क नहीं होता,इसलिए यहाँ के पेड़ों की पत्तियाँ पूरी तरह नहीं झड़ती।इसलिए इन्हें सदाबहार कहते हैं।काफी घने वृक्षों के मोटी वितान के कारण दिन के समय भी सूर्य का प्रकाश वन के अंदर तक नहीं पहुँच पाताहै। रोजवुड,आबनूस,महोगनी

उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन या मानसूनी वन:-भारत,उत्तरी आस्ट्रेलिया एवं मध्य अमेरिका में। इन क्षेत्रों में मौसमी परिवर्तन होते रहते हैं।जल संरक्षित रखने के लिए शुष्क मौसम में यहाँ के वृक्ष पत्तियाँ झाड़ देते हैं।इन वनों में पाए जाने वाले दृढ़ काष्ठ वृक्षों में साल,सागवान,नीम तथा शीशम प्रमुख हैं।

शीतोष्ण सदाबहार वन मध्य अक्षांश के तटीय प्रदेशों में स्थित हैं।।ये सामान्यत:महाद्वीपों के पूर्वी के पूर्वी किनारों पर पाए जाते हैं।-जैसे दक्षिण-पूर्व अमेरिका,दक्षिण चीन एवं दक्षिण-पूर्वी ब्राजील।यहाँ बांज,चीड़ एवं यूकेलिप्टस जैसे दृढ़ एवं मुलायम दोनों प्रकार के पेड़ पाए जाते हैं।


शीतोष्ण पर्णपाती वन-उच्च अक्षांश की ओर बढ़ने पर अधिक शीतोष्ण पर्णपाती वन मिलते है।ये उत्तर-पूर्वी अमेरिका,चीन,न्यूजीलैंड,चिली एवं पश्चिमी यूरोप के तटीय प्रदेशों में पाए जाते हैं।शुष्क मौसम ये अपनी पत्तियाँ झाड़ देते हैं।यहां पाए जानेवाले पेड़ हैं-बांज,ऐश,बीच आदि।हिरण ,लोमड़ी, भेड़िये,यहाँ आम जानवर हैं।फीजेंट तथा मोनाल जैसे पक्षी भी यहाँ पाए जाते हैं।


भूमध्यसागरीय वनस्पति-महाद्वीपों के पूर्व एवं उत्रर-पूर्वी किनारों के अधिकांश भाग शीतोष्ण सदाबहार एवं पर्णपाती पेड़ों से ढ़ँके हैं।महाद्वीपों के पश्चिमी एवं दक्षिण-पश्चमी किनारे भिन्न हैं।ये वनस्पतियाँ भूमध्यसागर के बाहरी प्रदेशों जैसे-संयुक्त राज्य अमेरिका के केलिफोर्निया,दक्षिण-पश्चिमी अफ्रीका,दक्षिण-पश्चमी दक्षिण अमेरिका एवं दक्षिण-पश्चिमी आस्ट्रेलिया में भी पाई जाती हैं। यहाँ ग्रीष्म गर्म-शुष्क एवं शीत वर्षा वाली मृदु होती हैं।संतरा,अजीर,जैतून एवं अंगूर जैसे खट्टे फल पैदा किए जाते हैं,क्योंकि लोगों ने अपनी इच्छानुसार कृषि करने के लिए यहाँ की प्राकृतिक वनस्पति को हटा दिया है।यहाँ वन्य जीवन कम है।

शंकुधारी वन-उत्तरी गोलार्द्ध के उच्च अक्षांशों (50-70) में भव्य शंकुधारी वन पाए जाते हैं।इन्हें 'टैगा' भी कहते हैं।ये वन अधिक ऊँचाइयों पर भी पाए जाते हैं। ये लंबे,नरम,काष्ठवाले सदबहार वृक्ष होते हैं, जिनका उपयोग लुग्दी बनाने के लिए किया जाता है,जो सामान्य तथा अखबारी कागज बनाने के काम आती है। नरम काष्ठ का उपयोग माचिस एवं पैकिंग के लिए बक्से बनाने के लिए भी किया जाता है।चीड़,देवदार आदि इन वनों के मुख्य पेड़ हैं। यहाँ सामान्यत:रजत लोमड़ी,मिंक,ध्रुवीय भालू जैसे जानवर पाए जाते हैं।

रूसी भाषा में 'टैगा' का अर्थ है शुद्ध या अनछुआ।

घासस्थल सम्पादन

  1. उष्णकटिबंधीय घासस्थल:-ये वन भूमध्यरेखा के किसी भी तरफ उग जाते हैं,और भूमध्य रेखा के दोनोें ओर से उष्णकटिबंध क्षेत्रों तक फैले हैं।यहाँ वनस्पति निम्न से मध्य वर्षा वाले क्षेत्रों में पैदा होती है।यह घास काफी ऊची लगभग 3 से 4 मीटर की ऊँचाई तक बढ़ सकती है।अफ्रीका सवाना घासस्थल इसी प्रकार का है।सामान्य रूप से इसमें हाथी,जेबरा,जिराफ,हिरण,तेंदुआ आदि जानवर पाए जाते हैं।
  2. शीतोष्ण घासस्थल:-ये मध्य अक्षांशीय क्षेत्रों और महाद्वीपों के भीतरी भागों में पाए जाते हैं।यहाँ की घास आमतौर पर छोटी एवं पौष्टिक होती है।यहाँ सामान्यत:जंगली भैंस,बाइसन,एंटीलोप पाए जाते हैं।
  3. कँटीली झाड़ियाँ:-शुष्क रेगिस्तान जैसे प्रदेशों में पाई जाती हैं।उष्णकटिबंधीय रेगिस्तान,महाद्वीपों के पश्चिमी किनारों पर पाए जाते हैं।गर्मी एवं बहुत कम वर्षा के कारण यहाँ वनस्पतियों की कमी रहती है।

ध्रुवीय प्रदेश में काई,लाइकेन एवं छोटी झाड़ियाँ जैसे टुंड्रा प्रकार की वनस्पति पाई जाती हैं।ये अल्पकालिक ग्रीष्म ऋतु के दौरान विकसित होती हैं।ये वनस्पतियाँ यूरोप,एशिया एवं उत्तरी अमेरिका के ध्रुवीय प्रदेशों में पाई जाती हैं।यहाँ के जानवरों के शरीर पर मोटा फ़र एवं मोटी चमड़ी होती है,जो उन्हें ठंड़ी जलवायु में सुरक्षित रखते हैं। यहाँ पाए जाने वाले कुछ जानवर हैं-सील,वालरस,कस्तूरी-बैल,ध्रूवीय उल्लू,ध्रुवीय भालू और बर्फीली लोमड़ी।

विभिन्न प्रदेशों में घासस्थलों के विभिन्न नाम उष्णकटिबंधीय घासस्थल पूर्वी अफ़ीका -सवाना ब्राजील-कंपोस वेनेजुएला-लानोस शीतोष्ण कटिबंधीय घासस्थल अर्जेन्टीना-पैंपास उत्तरी अमेरिका-प्रेअरी दक्षिण अफ़्रीका-वेल्ड मध्य एशिया-स्टेपी आस्ट्रेलिया-डान ब्राजील के उष्णकटिबंधीय सदाबहार वनों की विशालता के कारण इसे पृथ्वी का फेफड़ा भी कहा जाता है। ऐनाकोंडा-विश्व का सबसे बड़ा साँप,उष्णकटिबंधीय वर्षा वन में पाया जाता है।यह मगर जैसे बडे़ जानवर को मार सकता है। भूमध्यसागरीय वृक्ष ,शुष्क ग्रीष्म ऋतु में स्वंय को ढा़ल लेते हैं।उनकी मोटी छाल एवं पत्तियाँ वाष्पोत्सर्जन को रोकती हैं।फलों की कृषि के कारण इसे 'विश्न का फलोद्यान' भी कहा जाता है।