हमारा पर्यावरण/शीतोष्ण घासस्थलों में जीवन

पेड़ की अधिकता वाले क्षेत्र 'वन' तथा घास की अधिकता वाले क्षेत्र 'घासस्थल' कहलाते हैं।पृथ्वी की सतह का लगभग एक-चौथाई हिस्सा घासस्थल है।विश्व के प्रमुख घासस्थल- शीतोष्ण प्रदेश के घासस्थल तथा उष्णकटिबंधीय प्रदेश के घासस्थल।

प्रेअरी-
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'प्रेअरी'शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के शब्द प्रिएटा से हुई है जिसका अर्थ है-शाद्वल यह उत्तरी अमरिका का शीतोष्ण घासस्थल है।ये समतल,मंद ढलान या पहाड़ियों वाले प्रदेश हैं,जहाँ पेड़ कम तथा घास अधिक होती है।अधिकांश भागों में प्रेअरी,वृक्ष रहित हैं,परंतु निचले मैदानों के निकट नदी घाटियों के साथ-साथ वहाँ वन भी पाए जाते हैं।दो मीटर तक ऊँची घास यहाँ के भूदृश्य की प्रधानता है। वास्तव में यह एक घास का सागर है। यह पश्चिम में रॉकी पर्वत एवं पूर्व में ग्रेट लेक से घिरा हुआ है।यह कनाडा एवं संयुक्त राज्य अमेरिका के कुछ भागों में फैला हुआ है।अमेरिका के प्रेअरी का अपवाहन मिसीसिपी की सहायक नदियाँ तथा कनाड़ा के प्रेअरी का अपवाहन सासकेच्वान नदी की साहयक नदियाँ करती हैं।


जलवायु महाद्वीप के मध्य स्थित होने के कारण यहाँ चरम तपमान वाली महाद्वीपीय जलवायु होती है।ग्रीष्म ऋतु में तापमान लगभग 20°सेल्सियस होता है।जबकि शीत ऋतु में कनाडा के विनीपेग मेें तापमान हिमांक से -20°सेल्सियस हो जाता है।शीत ऋतु में यह प्रदेश बर्फ की एक मोटी परत से ढ़क जाता है।यहाँ वार्षिक वर्षा सामान्य होती है,जो घास के विकास के लिए अनुकूल है।उत्तर-दक्षिण अवरोध की अनुपस्थिति में यहाँ 'चिनूक'नामक एक स्थानीय पवन बहती है।


वनस्पतिजात एवं प्राणजात प्रेअरी सामान्यत:पेड़विहीन होते हैं।जहाँ जल उपलब्थ होता है,वहाँ शरपत(विलो),आल्डर,पॉप्लर जैसै पेड़ उगते हैं।50सेंटीमीटर से अधिक वर्षा वाले प्रदेश कृषि के लिए उपयुक्त होते हैं,क्योंकि यहाँ की मिट्टी उपजाऊ होती है।मक्का यहाँ की मुख्य फसल जबकि आलू ,सोयाबीन,कपास एवं अल्फा-अल्फा यहाँ की अन्य प्रमुख फसल है।जिन क्षेत्रों में वर्षा काफी कम एवं अनिश्चित होती है।वहाँ पैदा होने वाली घास छोटी एवं नुकीली होती है।ये स्थान मवेशियों को पालने के लिए उपयुक्त होते हैं।विशाल मवेशी फार्म को रेैंच एवं उसकी देखभाल करने वाले को 'काओबॉय'कहते हैं।बाइसन या अमेरिकी भैंस इस प्रदेश का सबसे महत्वपूर्ण पशु है।निरंतर शिकार के कारण ये पशु लगभग लुप्त हो गए और अब इन्हें सुरक्षित प्रजातियों की श्रेणी में रखा जाता है।खरगोश,काइयोट,गोफर एवं प्रेअरी कुत्ता यहाँ के अन्य जीव हैं।


लोग यहाँ के लोग काफी परिश्रमी होते हैं,जिन्होंने अपने विपुल प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग के लिए प्रौद्योगिकी का सफलतापूर्वक विकास कर लिया है।विश्व के दो सबसे अधिक विकसित देश-संयुक्त राज्य अमेरिका एवं कनाड़ा में यह प्रदेश स्थित हैं।कृषि की वैज्ञानिक विधियों एवं ट्रैक्टर,हारवेस्टर तथा कंबाइन के उपयोग से उत्तरी अमेरिका सबसे बड़ा खाद्दान्न उत्पादक बन गया है। गेहूँ के अत्यधिक उत्पादन के कारण प्रेअरी को विश्व का धान्यगार भी कहते हैं। दुग्ध उत्पादन एक अन्य प्रमुख उद्योग है।डेयरी क्षेत्र ग्रेट लेक से पूर्व में अटलांटिक तट तक फैला हुआ है।दुग्ध उत्पादन एवं व्यापक स्तर पर कृषि,दोनों खाद्द प्रक्रमण उद्दोग को बढ़ावा दे रहे हैं। कोयला एवं लोहा जैसे खनिज पदार्थों के विशाल भंडार तथा सड़क,रेल एवं नहर की समुचित व्यवस्था के कारण यह क्षेत्र विश्व का सबसे बड़ा औद्दोगिक प्रदेश बन गया है।

महत्वपूर्ण तथ्य
प्रेअरी के घास के मैदान,अमेरिकी मूल निवासी "रेड इंडियन" का निवास स्थल है।यह आपाची,क्रो,क्री तथा पॉनी जैसे आदिवासियों के निवास स्थल रहे हैं।
'चनूक' एक गर्म पवन है,जो शीत ऋतु में बहती है तथा कम समय में ही तापमान बढ़ा देती है। तापमान में वृद्धि के कारण बर्फ़ पिघलने लगती है एवं पशुओं के चरने के लिए चारागाह उपलब्ध हो जाता है।
संयुक्त राज्य अमेरिका स्थित प्रेअरी प्रदेश के प्रमुख नगर शिकागो,मिनियापोलिस,इंड़ियानापोलिस,कनसास एवं डेनवर है।कनाडा के प्रअरी के प्रमुख नगर एडमोनटन,सैसकाटून,कैलगरी एवं विनीपेग है।
कंबाइन:संयंत्र एक मशीन जो बुआई,जुताई एवं थ्रेशर तीनों का कार्य कर सकती है।


दक्षिण अफ़ीका के शीतोष्ण घासस्थल को वेल्ड कहते हैं।यह600 से 1100 मीटर तक की विभिन्न ऊचाई वाले उर्मिल पठार होते हैं। यह ड्रैकेस्बर्ग पर्वतों से घिरा है। इसके पश्चिम में कालाहारी रेगिस्तान स्धित है। इसके उत्तरपूर्व में उच्च वेल्ड स्थित है,जिसकी ऊँचाई कुछ स्थानों पर 1600 मीटर से भी अधिक है।ऑरेंज एवं लिमपोपो नदी की सहायक नदियाँ इस प्रदेश को सिंचित करती हैं।

जलवायु हिंद महासागर के प्रभाव के कारण वेल्ड की जलवायु नम होती है।शीत ऋतु ठंडी एवं शुष्क होती है। इस दौरान तापमान 5°से 10°सेल्सियस के मध्य रहता है एवं जुलाई सबसे अधिक ठंडा महीना होता है। ग्रीष्म ऋतु में जोहांसबर्ग का तापमान लगभग 20°सेल्सियस दर्ज किया जाता है।वेल्ड के तटों पर गर्म महासागरीय जलधारा प्रवाहित होने के कारण इन क्षेत्रों में वर्षा नवंबर से फरवरी के बीच ग्रीष्मकालीन महीनों में होती है।यदि शीत ऋतु में जून से अगस्त तक के महीनों में वर्षा कम होती है,तो यह क्षेत्र सूखा ग्रस्त हो सकता है।

वनस्पतिजात एवं प्राणिजात वनस्पति विरल है एवं अधिकतर स्थल घास से ढ़के रहते हैं। लाल घास वेल्ड की झाड़यों में पैदा होती हैं।बबूल एवं मारोला ऊँचे हुए वेल्ड में उगते देखे गए हैं वेल्ड के प्रमुख जानवर शेर,तेंदुआ,चीता एवं कुडु हैं।

निवासी यह क्षेत्र पशुपालन एवं खनन के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ की मिट्टी अधिक उपजाऊ नहीं होती है। फिर भी जहाँ उपजाऊ भूमि है,वहाँ फसल उगाई जाती हैं। मक्का,गहूँ,ज्वार,अखरोट एवं आलू यहाँ की मुख्य फसलें हैं।तम्बाकू,गन्ना,एवं कपास जैसी नकदी फ़सलें भी यहाँ उगाई जाती हैं। भेड़ पालन मुख्य व्यवसाय है।इसी कारण यहाँ ऊनी उद्दोग विकसित हुआ।मेरिनो भेड़ की एक लोकप्रिय प्रजाति है।तथा दुग्ध उत्पादन यहाँ का दूसरा महत्वपूर्ण व्यवसाय है।पशुपालन का कार्य गर्म एवं नम प्रदेशों में संपन्न कर मक्खन,चीज जैसे दुग्ध पदार्थों का उत्पादन घरेलू उपयोग एवं निर्यात के लिए किया जाता है। खनिज संपन्न इस क्षेत्र में लोहे एवं कोयले की उपलब्धता वाले क्षेत्रों में लोहा एवं इस्पात उद्दोग विकसित हो गया है।यहाँ स्थित जोहांसबर्ग को विश्व की स्वर्ण राजधानी कहा जाता है। किंबरले हीरे की खान के लिए प्रसिद्ध है।हीरा एवं सोने के खनन के कारण दक्षिण अफ्रीका तथा ब्रिटेन का उपनिवेश बन गाया।