हिंदी उपन्यास/मन्नू भंडारी
परिचय - कथाकार मन्नू भण्डारी का जन्म 3 अप्रैल 1931 ई . में मध्यप्रदेश के भानपुरा में हुआ । अपने माता - पिता की पाँचवी संतान है । दो बड़े भाई और दो बहनों का स्नेह इन्हें मिलता रहा । इनका मूल नाम ' महेन्द्र कुमारी ' है । घर में सबसे छोटी होने के कारण सब लोग इन्हें प्यार से ' मन्नू ' पुकारते थे । विवाह के बाद भी और आज तक ' मन्नू ' के नाम से प्रसिद्ध हैं । इनके पिता श्री सुखसम्पतराय हिन्दी पारिभाषिक कोश के आदि निर्माता है । पिता की कीर्ति और गौरव - पूर्ण कृतित्व की छाया में मन्नू जी का बचपन बीता । मन्नू जी की प्रारम्भिक शिक्षा अजमेर में सावित्री गर्ल्स हाई स्कूल में हुई और वहीं उन्होंने सन् 1945 ई . में मैट्रिक की । फिर अजमेर के ही कॉलेज से इंटर की परीक्षा सन् 1947 ई . में उत्तीर्ण की । यही यह समय था जब उनके व्यक्तित्व का कुछ नये पहलुओं से साक्षात्कार हुआ जैसे- उनका राष्ट्र प्रेम , त्याग , साहस , निर्भिकता , वक्तृत्व कला आदि ।
प्रकाशित कृतियां
सम्पादनउपन्यास- एक इंच मुस्कान , आपका बंटी , महाभोज , स्वामी । कहानी संग्रह - मैं हार गई , तीन निगाहों की एक तस्वीर , यही सच है , एक प्लेट सैलाब , त्रिशंकु , नायक - खलनायक विदूषक । नाटक - बिना दीवारों का घर , महाभोज ( नाट्य रूपांतर ) , उजली नगरी चतुर राजा। बाल साहित्य - आँखों देखा झूठ ( कहानी संग्रह ) , कलवा ( उपन्यास ) । आत्मकथा - एक कहानी यह भी ।
' एक इंच मुस्कान ' उपन्यास मन्नूभण्डारी तथा राजेन्द्र यादव का प्रशंसनीय प्रयास है । यह उपन्यास 1962 में प्रकाशित हुआ । इससे पूर्व यह धारावाहिक रूप में ' ज्ञानोदय ' पत्रिका में छपा था । यह एक प्रेम त्रिकोण पर आधारित है । अमर , रंजना और अमला का प्रेम त्रिकोण है । अमर एक लेखक है । अमला उसके लेखन से प्रभावित होकर उसके अत्यंत करीब आ जाती है जिसका प्रभाव उसके विवाहित जीवन पर पड़ता है । अमर और रंजना का वैवाहिक जीवन नष्ट होने लगता है । अमर का अमला के प्रति झुकाव देखकर रंजना उससे अलग हो जाती है । रंजना के चले जाने से अमर टूट जाता है । यह न ही रंजना को विस्मृत कर पाता है और न ही अमला को अपनाने का साहस दिखा पाता है । इसी तनाव में नितांत एकाकी जीवन - व्यतीत करने के लिए मजबूर होता है ।