हिंदी कविता (आदिकालीन एवं भक्तिकालीन)/अधर वर्णन


हिंदी कविता (आदिकालीन एवं भक्तिकालीन)
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अधर वर्णन


अधर अमित रस भरे सोहाए। पेम बरे हुत रगत तिसाए।

अति सुरंग कोवल रा भरे। जानहु बिंब मयंकम धरे।

पटतर लाई न जाहि बखाने। जनू ससि अमी गारि विधि साने।

अधर अमीरस भरे अपिऊ। कुंवर जान मोर डोलही जीऊ।

वह सो घरीबिधी कब दरसाईहि। जब यह जीउ मोर घट आइहि।

अनल बरण दुई अधर सोहागिनि जगत सुधनिधी जान।

अचिजु जो अंब्रित अमिनी सेऊ देखत जरही परान।