हिंदी कविता (आदिकालीन एवं भक्तिकालीन)/दसन वर्णन
दसन जोती बरनी नहि जाई। चौंधे दिस्टी देखि चमकाई।
नेक बिगसाई नींद मह हंसी।जानहू सरग सेउ दामिनी खसी।
बिरहत अधर दसन चमकाने। त्रिभुवन मुनि गन चौंधी भुलाने
मंगर सुक गुरु सन्ही चारी। चौक दसन भय राजकुमारी।
नहि जानौ दहु कह दूरी जाई।रहे जाई ससि माहीं लुकाई।
जो कोई कहै कि बिध्धि पसारा तेहि कर सुनहु सुभाऊ।
बिधी गुपुत जग माहीं कहूं न देखा काऊ।