हिंदी कविता (आदिकालीन एवं भक्तिकालीन)/दोहे
(1)
गोरी सोवे सेज पर, मुख पर डारे केस।
चल ख़ुसरो घर आपने रैन भई चहुं देस।।
(2)
खुसरो रैन सुहाग की, जागी पी के संग।
तन मेरो मन पियो को, दोउ भए एक रंग॥
(3)
देख मैं अपने हाल को राऊ, ज़ार - ओ - ज़ार।
वै गुनवन्ता बहुत है, हम है औेगुन हार।।
(4)
चकवा चकवी दो जने उन मारे न कोय।
ओह मारे करतार के रैन बिछौही होय।।
(5)
सेज सूनी देख के रोऊँ दिन रैन।
पिया पिया कहती मैं पल भर सुख न चैन।।