हिंदी कविता (आदिकालीन एवं भक्तिकालीन)/राधा का प्रेम

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राधा का प्रेम


राधा का प्रेम


ए सखि पेखलि एक अपरूप।

सुनइत मनबी सपन सरूप।।

कमल जुगल पर चांदक माला।

तापर उपजत तरुन तमाला।।

तापर बेढ़लि बीजुरी लता।

कालिंदी तट धीरे चलि जाता।।

सखा सिखर सुधाकर पाति।

ताहि नब पल्लव अरुनक भांति।।

बिमल बिंफल जुगल विकास।

तापर सापिनी झापल मोर।।

ए सखि रंगीनी कहल निसान

हेरइत पुनि मोर हरल गेआन।।

कवि विद्यापति एह रस भान।

सपुरुख मरम तोहे भल जान।।