हिंदी कविता (आदिकालीन एवं भक्तिकालीन)/राधा कृष्ण
खेलत हरि निकसे ब्रज-खोरी। कटि कछनी पीतांबर बाँधे, हाथ लए भौंरा, चक, डोरी।।
मोर-मुकुट, कुंडल स्रवननि बर, दसन-दमक दामिनि-छबि छोरी।
गए स्याम रबि-तनया कैं तट, अंग लसति चंदन की खोरी।।
औचक ही देखो तहँ राधा, नैन बिसाल भाल दिए रोरी।
नील बसन फरिया कटि पहिरे, बेनी पीठि रुलति झकझोरी।।