हिंदी कविता (आदिकालीन एवं भक्तिकालीन)
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वंदना

राधा की वंदना


देख देख राधा रूप अपार।

अपुरूष के बिहि आनि मिलाओल

खिति तल लवनि सार।।

अंगही अंग अनंग मुरछयत।

हेरए पड़ए अथिर।।

मनमथ कोटि मथन करू जे जन,

से हेरी मही मधी गीर।।

कत कत लखिमी चरन तल नेओछाए।

रागिनी हेरी विभोरी।।

करू अभिलाख मनही पदपंकज

अहो निसी कोर अगोरी।।