हिंदी कविता (आदिकालीन एवं भक्तिकालीन)/हेरी म्हा तो दरद दिवाणाँ

हिंदी कविता (आदिकालीन एवं भक्तिकालीन)
 ← पग बांधा घुंघर्यां हेरी म्हा तो दरद दिवाणाँ तुलसी कृत रामचरितमानस का अयोध्याकांड → 
हेरी म्हा तो दरद दिवाणाँ


'हेरी म्हा दरद दिवाणा म्हारा दरद ना जाण्याँ कोय।

घायल रो गत घायल जाण्याँ,हिबडो अगण संजोय।

जौहर की गत जौहरी जाणै,क्या जाण्याँ जण खोय।

दरद को मारया दर दर डोल्या वैद मिल्य णा कोय।

मीरा री प्रभु पीर मिटाँगाजब वैद साँवरो होय।।