मैं अकेला; देखता हूं, आ रही
पके आधे बाल मेरे, हुए निष्प्रभ गाल मेरे, चाल मेरी मन्द होती आ रही,
जानता हूं, नदी-झरने, जो मुझे थे पार करने, कर चुका हूं, हंस रहा यह देख,