हिंदी कविता (आधुनिक काल छायावाद तक) सहायिका/अनोखा दान
संदर्भ
अनोखा दान कविता प्रसिद्ध कवियित्री सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित हैं। वह स्वच्छंद व्यक्तित्व की नारी है।
प्रसंग
कवियित्री ने कविता में श्री कृष्ण से मिलने जा रहे सुदामा के में के भावों को व्यक्त कर है।
व्याख्या
कवियित्री कहती हैं अपने मन के भावो का हार बना के में श्री कृष्ण को चढाने आया हूं। सुदामा को इस बात का डर है कि उनका बहुमूल्य समय को कहीं वह व्यर्थ ही ना गवा दे। जब उनके आंगन में सुदामा पहुंचते है बहुत व्याकुल हो गए। परंतु सुदामा श्री कृष्ण के व्यवहार को देख चकित रह जाते है। प्रथम मिलन में ही उन्होंने इतना करुणा, आदर सम्मान देख कर चकित हो गए। सुदामा कहते है श्री कृष्ण के इस पर प्रेम को में केसे संभालूंगा। वह बहुत ज्यादा कि करुण प्रेम दे रहे है परन्तु मेरे लिए केवल थोड़ी सी करुणा की बहुत थी।
विशेष
1) भाषा सरल है।
2) तत्सम शब्दों का प्रयोग किया गया है।
3)भावो को प्रकट किया गया है।