• कहानी - कहानी को पश्चिम में 'शॉर्ट स्टोरी' कहा जाता है। एडगर एलन पो ने, जो कि आधुनिक कहानी के प्रणेताओं में प्रमुख माने जाते हैं, माना कि कहानी एक ऐसी विधा है जो इतनी छोटी है कि एक बैठक में पढ़ी जा सके और पाठक पर एक ही प्रभाव उत्पन्न करने के उद्देश्य से लिखी गई हो। वह स्वतः पूर्ण होती है। हडसन के अनुसार कहानी में केवल एक ही मूल भाव होता है। एलेरी ने कहानी की परिभाषा में सक्रियता पर बल दिया है। उनके अनुसार कहानी घुड़दौड़ के समान होती है। जैसे घुड़दौड़ में आरंभ और अंत महत्वपूर्ण होता है वैसे कहानी में भी आरंभ और अंत ही विशेष महत्व का होता है। हिंदी में प्रेमचंद कहानी की परिभाषा में कहते हैं कि यह एक ऐसी रचना है जिसमें जीवन के किसी एक अंग या मनोभाव को प्रदर्शित करना ही लेखक का उद्देश्य रहता है। उसके चरित्र, उसकी शैली तथा कथा-विन्यास सब उसी एक भाव को पुष्ट करते हैं।[१]
  1. हिंदी आलोचना की पारिभाषिक शब्दावली, अमरनाथ, राजकमल प्रकाशन, २०१६