हिंदी पत्रकारिता/समाचार लेखन
समाचार लेखन
सम्पादनसमाचार लेखन एक विशिष्ट कला है। श्रेष्ठ समाचार वही है, जो सूचनात्मक हो और उसमें तथ्यों को इस प्रकार संकलित किया गया हो कि पाठक घटित घटना का विवरण सही परिप्रेक्ष्य में समझ सके। समाचार लेखन में निम्नलिखित प्रक्रियाएँ पूरी की जाती है -
- समग्र तथ्यों को संकलित करना।
- कथा (News Story) की काया की योजना वनाना एंव लिखना।
- आमुख लिखना।
- परिच्छेदों का निर्धारण करना.
- वक्ता के कथन को अविकल रूप नें प्रस्तुत करना।
- सूत्रों के संकेत को उद्धृत करना।
समाचार लेखन की प्रक्रिया तीन चरणों में पूर्ण होती है – आमुख (Introduction),समाचार की शेष रचना (Body of the Story), शीर्षक (Headline).
आमुख(Intro)
सम्पादनअंग्रेजी के Introduction का लघु रूप Intro है। जिसे अमेरिका पत्रकारिता में लीड कहा जाता है। उल्टा पिरामिड शैली में समाचार लेखन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू आमुख लेखन या इंट्रो या लीड लेखन है। आमुख समाचार का पहला पैराग्राफ होता है, जहां से कोई समाचार शुरु होता है। आमुख के आधार पर ही समाचार की गुणवत्ता का निर्धारण होता है। एक आदर्श आमुख में किसी समाचार की सबसे महत्वपूर्ण सूचना आ जानी चाहिये और उसे किसी भी हालत में 35 से 50 शब्दों से अधिक नहीं होना चाहिये। समाचार का पहला अनुच्छेद जिसमें संवाद का सार-सर्वस्व निहित हो, आमुख होता है। क्या, कहाँ, कब, किसने, क्यो, और कैसे की तुलना सीधे-सपाट और छोटे वाक्यों में पाने के लिए आमुख दिया जाता है। यह पूरे समाचार का प्रदर्शन प्रारूप है। कहा जाता है कि Well begun is half done – शुरूआत ठीक हो गई तो समझो आधा काम हो गया। यह बात समाचार के इंट्रो पर शब्दशः लागू होती है। एक आदर्श इंट्रो लिखना आसान काम नहीं है, किन्तु अच्छा इंट्रो लिखने की योग्यता को अभ्यास तथा सजगता के गुणों से हासिल किया जा सकता है। एक अच्छे इंट्रो में निम्नलिखित विशेषताएँ होनी चाहिए जैसे- संक्षिप्तता, अनुरूपता, सहजता, रोचकता और दार्शनिकता।
समाचार की शेष रचना(Body of the story)
सम्पादनइंट्रो के बाद समाचार की शेष रचना लिखी जाती है। इसे प्रायः (Body of the story) कहा जाता है। यह हिस्सा क्रमबद्ध ढंग से घटना तथ्यों को संजोये हुए रहता है। एक आकर्षक तथा रूचिपूर्ण इंट्रो पाठक को पूरा समाचार पढ़ने के लिए प्रेरित करता है, इसलिए समाचार लेखन द्वितीय चरण भी उतने सजगतापूर्वक लिखा जाना चाहिए। समाचार लेखन के इस द्वितीय चरण में आमुख में उल्लेखित तथ्यों की व्याख्या और विश्लेषण होता है।
समाचार तथा पत्र-पत्रिकाओं को कम से कम जगह में अधिक से अधिक साम्रगी का समायोजन करना होता है। इसलिए सार्थक, संक्षिप्त और समाचार लिखना सर्वोत्तम है, जिन्हें साधारण जन भी रूचिपूर्वक कम समय देकर पढ़ सके। किसी घटना के विषय में (क्या, कब, कहाँ, कैसे, क्यों और कौन) जैसे मूल प्रश्नों का उत्तर विस्तारपूर्वक मिलना चाहिए।समाचार का समापन करते समय यह ध्यान रखना चाहिये कि न सिर्फ उस समाचार के प्रमुख तथ्य आ गये हैं बल्कि समाचार के आमुख और समापन के बीच एक तारतम्यता भी होनी चाहिए। समाचार में उल्लेखित तथ्यों और उसके विभिन्न पहलुओं को इस तरह से पेश करना चाहिए कि उससे पाठक को किसी निर्णय या निष्कर्ष पर पहुंँचने में मदद मिले।
शीर्षक(Headline)
सम्पादनशीर्षक समाचार-सार, घटना-परिणाम तथा स्थिति संकेत का सूचक होता है। शीर्षक बनाना एक कला है जिसके द्वारा पाठकों के मन और मस्तिष्क पर सत्ता स्थापित की जाती है। समाचार के शीर्षक लिखने वालों को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना पड़ता है-
- शीर्षक में समाचार का मूल-भाव निहित हो।
- शीर्षक भूतकाल में ना लिखा जाए।
- अकर्मक क्रिया का यथासंभव कम प्रयोग हो।
- शीर्षक के द्वारा ही पृष्ठ-सज्जा को प्रभावपूर्ण बनाना।
शीर्षक लेखन के बाद यह बताया जाता है कि खबर किस से प्राप्त हुई है। वह खबर अखबार के अपने संवाददाता ने भेजी है या फिर किस एजेंसी से प्राप्त हुई है। इसका उल्लेख शीर्षक के ठीक नीचे इस प्रकार करते हैं- जनसत्ता संवादाता द्वारा, विशेष संवाददाता द्वारा, कार्यालय संवाददाता द्वारा आदि। समाचार लिखते समय सबसे पहले बाई ओर सर्वप्रथम समाचार से जुड़े स्थान तथा तिथि का उल्लेख करते हैं। यथा- नई दिल्ली, 15 जुलाई।