राजेश जोशी, जुलाई २०१७

कुछ लोगों के नामों का उल्लेख किया गया था, जिनके ओहदे थे
बाकी सब इत्यादि थे
इत्यादि तादाद में हमेशा ही ज्यादा होते थे।
इत्यादि भाव ताव करके सब्जी खरीदते थे औऱ खाना वाना खाकर
खास लोगों के भाषण सुनने जाते थे
इत्यादि हर गोष्ठि में उपस्थिति बढ़ाते थे,
इत्यादि जुलूस में जाते थे, तख्तियाँ उठाते थे, नारे लगाते थे
इत्यायदि लंबी लाइनों में लगकर मतदान करते थे
उन्हें लगातार ऐसा भ्रम दिया गया था कि वे ही
इस लोकतंत्र में सरकार बनाते हैं
इत्यादि हमेशा ही आंदोलनों में शामिल होते थे
इसलिए कभी कभी पुलिस की गोली से मार दिए जाते थे।
जब वे पुलिस की गोली से मार दिए जाते थे
तब उनके वो नाम भी हमें बतलाए जाते थे
जो स्कूल में भर्ती समय रखे गए थे
या जिससे उनमें से कुछ पगार पाते थे
कुछ तो ऐसी दुर्घटना में भी इत्यादि ही रह जाते थे
इत्यादि यूँ तो हर जोखिम से डरते थे,
लेकिन कभी कभी जब वो डरना छोड़ देते थे
तो बाकी सब उनसे डरने लगते थे
इत्यादि ही करने को वे वो सारे काम करते थे
जिनसे देश और दुनिया चलती थी
हालांकि उन्हें ऐसा लगता था कि वो ये सारे काम
सिर्फ अपना परिवार चलाने को करते हैं
इत्यादि हर जगह शामिल थे पर उनके नाम कहीं भी
शामिल नहीं हो पाते थे।
इत्यादि बस कुछ सिरफिरे कवियों की कविता में
अकसर दिख जाते थे।