हिंदी भाषा 'ख'/संयुक्त परिवार
राजेश जोशी
मेरे घर आने से पहले ही कोई लौटकर चला गया है
घर के ताले में उसकी पर्ची खुसी है
आया होगा न जाने किस काम से वह
न जाने कितनी बातें रही होंगी मुझसे कहने को
चली गई हैं सारी बातें भी लौटकर उसी के साथ
रास्ते में हो सकता है कहीं उसने पानी तक न पिया हो
सोचा होगा शायद उसने कि यहीं मेरे साथ पिएगा चाय
कैसा लगता है इस तरह किसी का घर से लौट जाना
इस तरह कभी कोई नहीं लौटा होगा
बचपन के उस पैतृक घर से
वहाँ बाबा थे,दादी थीं,माँ और पिता थे
लड़ते-झगड़ते भी साथ-साथ रहते थे सारे भाई-बहन
कोई न कोई हर वक्त बना ही रहता था घर में
पल दो पल को बिठा ही लिया जाता था हर आने वाले को
पूछ लिया जाता था गुड़ और पानी को
ख़बर मिल जाती थी बाहर गए आदमी की
टूटने के क्रम में टूट चुकाहै बहुत कुछ, बहुत कुछ
अब इस घर में रहते हैं ईन मीन तीन जन
निकलना हो कहीं तो सब निकलते हैं एक साथ
घर सूना छोड़ कर
यह छोटा सा एकल परिवार
कोई एक बार चला जाए तो दूसरों को
काटने को दौड़ता है घर
नए चलन ने बहुत सहूलियत बख्श़ी है
चोरों को
कम हो रहा है मिलना-जुलना
कम हो रही है लोगों की जान-पहचान
सुख-दुःख में भी पहले की तरह इकट्ठे नहीं होते लोग
तार से आ जाती है बधाई और शोक-सन्देश
बाबा को जानता था सारा शहर
पिता को भी चार मोहल्ले के लोग जानते थे
मुझे नहीं जानता मेरा पड़ोसी मेरे नामसे
अब सिर्फ एलबम में रहते हैं
परिवार के सारे लोग एक साथ
टूटने की इस प्रक्रिया में क्या-क्या टूटा है
कोई नहीं सोचता
कोई ताला देखकर मेरे घर से लौट गया है!