हिंदी भाषा और संप्रेषण/व्यावसायिक पत्र लेखन

व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में संप्रेषण या सूचना देने के लिए प्रायः व्यावसायिक पत्र का प्रयोग किया जाता है। व्यवसायिक पत्र व्यवसायिक संदेश को आकर्षक तथा प्रभावी स्वरूप में प्रस्तुत करने का माध्यम होते हैं। ये प्रायः आंतरिक कार्यों के लिए नहीं बल्कि बाहरी कंपनियों, कर्मचारियों या शोयरधारकों से संपर्क के लिए लिखे जाते हैं। इसलिए ये सही संरचना वाले औपचारिक पत्र होते हैं। व्यावसायिक पत्र कई उद्देस्यों के लिए लिखे जाते हैं इसलिए वे कई प्रकार के होते हैं। जैसे-

  1. औपचारिक अनुरोध के पत्र
  2. घोषणा के पत्र
  3. आवरण पत्र

विशेषताएं

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व्यावसायिक पत्र लेखन की विशेषताएं निम्नलिखित हैं-

  1. औपचारिक भाषा- इन पत्रों में औपचारिक भाषा का प्रयोग किया जाता है। निजि भावों को अभिव्यक्त करने वाले शब्दों का इनमें प्रयोग नहीं किया जाता है।
  2. मित्रवत भाषा- औपचारिक होने के बावजूद इसमें भाषा का लहजा मित्रवत बनाए रखा जाता है। खासकर मुख्य बात तक पहुँचने से पहले लिखे गए परिचयात्मक संदेशों में भाषा तथ्यात्मक होने के बजाय मित्रवत होती है।।
  3. स्पष्टता- भाषा का लहजा मित्रवत होने के साथ ही उसका स्पष्ट होना जरूरी होता है। जिस उद्देश्य के लिए व्यावसायिक पत्र लिखा जा रहा हो उससे संबंधित स्पष्ट जानकारी पत्देर में ना जरूरी है। दुरूह भाषा या अस्पष्ट जानकारी व्यवसायिक पत्र के उद्देस्य को असफल बना सकती है। पत्र इस तरह लिखा होना चाहिए कि उसे आसानी से पढ़ा जा सके। बहुत छोटे अक्षरों या कई तरह के रंगों के अक्षरों में लिखे गए पत्र व्यवसायिक लेखन के उपयुक्त नहीं होते हैं।

संरचना

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अच्छे व्यवसायिक पत्र लिखने के लिए वह निम्न संरचना के अनुरूप लिखना चाहिए-

  1. आरंभ- पत्र के आरंभ में अपना पता तथा पूरी तिथि (उदाहरण के लिए- १७ जून २०२१) जरूर शामिल करें। इसके साथ ही प्राप्तकर्ता का नाम, कंपनी तथा पता, भी शामिल करें। नाम, कंपनी नाम तथा पता आदि सूचनाओं के बीच एक खाली पंक्ति रखें। यदि आप लेटरहेड का प्रयोग कर रहे हों तो अपना पता न जोड़ें क्योंकि यह लेटरहेड में स्वतः होता है।
  2. संवोधन- प्राप्तकर्ता को प्रिय से संबोधित करें। उनका शीर्षनाम तथा उपनाम लिखें उदाहरण के लिए - प्तरिय ८िमान्था कुमार। यदि प्राप्तकर्ता के स्त्री या पुरुष होने का पता न हो तो उसका पूरा नाम लिखना चाहिए जैसे प्रिय सुमन सिंह। अंत में कोलन (:) जरूर लगाएं।
  3. मध्य- संबोधन के बाद पहले परिच्छेद में अपना परिचय देते हुए पत्र का मुख्य बिंदु बताएं। इसके बाद के परिच्छेद में मुख्य बिंदु का विस्तृत विवरण दें। यह एक या अधिक परिच्छेदों में हो सकता है। अंतिम परिच्छेद में पत्र का आशय दुबारा बताएं और किए जाने योग्य कार्यों के बारे में लिखें।
  4. समाप्ति- पत्र को आपका विश्वासी से लिखकर समाप्त करें। थोड़ा निजि रूप देने के लिए आपका सुभाकांक्षी आदि लिख सकते हैं। इसके बाद कॉमा जरूर लगाएं।
  5. हस्ताक्षर- समाप्ती के बाद चार खाली पंक्तियाँ छोड़कर अपना नाम लिखें। एक पंक्ति और छोड़कर अपना पदनाम तथा कंपनी का नाम लिखें। यदि आप कागजी पत्र भेज रहे हों तो खाली जगह में काले या नीले रंग की कलम से अपना नाम का हस्ताक्षर करें।
  6. संग्लग्नक- यदि आप पत्र के साथ कुछ दस्तावेज भेज रहे हों तो उन्हें यहाँ सूचीबद्ध करें।