हिंदी व्याकरण/प्रत्यय
प्रत्यय (suffix) उन शब्दों को कहते हैं जो किसी अन्य शब्द के अन्त में लगाये जाते हैं। इनके लगाने से शब्द के अर्थ में भिन्नता या वैशिष्ट्य आ जाता है। उदाहरण
वान
यह किसी व्यक्ति की विशेषता दर्शाते समय उपयोग होता है। जैसे यह पहलवान बहुत बलवान है।
धन + वान = धनवान विद्या + वान = विद्वानh बल + वान = बलवान
ता
उदार + ता = उदारता सफल + ता = सफलता
ई
पण्डित + ई = पण्डिताई चालाक + ई = चालाकी ज्ञान + ई - ज्ञानी
ओं
इसका उपयोग एक वचन शब्दों को बहुवचन शब्द बनाने के लिए किया जाता है।
भाषा + ओं = भाषाओं शब्द + ओं = शब्दों वाक्य + ओं = वाक्यों कार्य + ओं = कार्यों
याँ
नदी + याँ = नदियाँ प्रति + याँ = प्रतियाँ
- अक लेख्, पाठ्, कृ, गै लेखक, पाठक, कारक, गायक
- अन पाल्, सह्, ने, चर् पालन, सहन, नयन, चरण
- अना घट्, तुल्, वंद्, विद् घटना, तुलना, वन्दना, वेदना
- अनीय मान्, रम्, दृश्, पूज्, श्रु माननीय, रमणीय, दर्शनीय, पूजनीय, श्रवणीय
- आ सूख, भूल, जाग, पूज, इष्, भिक्ष् सूखा, भूला, जागा, पूजा, इच्छा, भिक्षा
- आई लड़, सिल, पढ़, चढ़ लड़ाई, सिलाई, पढ़ाई, चढ़ाई
- आन उड़, मिल, दौड़ उड़ान, मिलान, दौड़ान
- इ हर, गिर, दशरथ, माला हरि, गिरि, दाशरथि, माली
- इया छल, जड़, बढ़, घट छलिया, जड़िया, बढ़िया, घटिया
- इत पठ, व्यथा, फल, पुष्प पठित, व्यथित, फलित, पुष्पित
- इत्र चर्, पो, खन् चरित्र, पवित्र, खनित्र
- इयल अड़, मर, सड़ अड़ियल, मरियल, सड़ियल
- ई हँस, बोल, त्यज्, रेत हँसी, बोली, त्यागी, रेती
- उक इच्छ्, भिक्ष् इच्छुक, भिक्षुक
- तव्य कृ, वच् कर्तव्य, वक्तव्य
- ता आ, जा, बह, मर, गा आता, जाता, बहता, मरता, गाता
- ति अ, प्री, शक्, भज अति, प्रीति, शक्ति, भक्ति
- ते जा, खा जाते, खाते
- त्र अन्य, सर्व, अस् अन्यत्र, सर्वत्र, अस्त्र
- न क्रंद, वंद, मंद, खिद्, बेल, ले क्रंदन, वंदन, मंदन, खिन्न, बेलन, लेन
- ना पढ़, लिख, बेल, गा पढ़ना, लिखना, बेलना, गाना
- म दा, धा दाम, धाम
- य गद्, पद्, कृ, पंडित, पश्चात्, दंत्, ओष्ठ् गद्य, पद्य, कृत्य, पाण्डित्य, पाश्चात्य, दंत्य, ओष्ठ्य
- या मृग, विद् मृगया, विद्या
- वाला देना, आना, पढ़ना देनेवाला, आनेवाला, पढ़नेवाला
- हार होना, रखना, खेवना होनहार, रखनहार, खेवनहार