हिस्टेरेक्टॉमी एक शल्यक्रिया है, जिसके माध्यम से किसी महिला के गर्भाशय को निकाला जाता है। गर्भाशय महिलाओं की प्रजनन प्रणाली का एक अंग है तथा यह मनुष्य की बंद मुट्ठी के आकार का होता है। आपका गर्भाशय निकाले जाने के बाद आप संतान पैदा नहीं कर सकती, तथा इसके बाद आपको मासिक धर्म भी नहीं होगा। यदि आपके अंडाशय (ओवरी) नहीं निकाले गए हैं, तो आप मादा हार्मोन पैदा करती रहेंगी। यदि आपके अंडाशय (ओवरी) निकाले गए हैं, तो मासिक धर्म रुक जाएगा।

हिस्टेरेक्टॉमी शल्य क्रिया की कई किस्में हैं। अपने चिकित्सक से पूछें कि आप किस प्रकार की शल्य क्रिया करा रहीं हैं तथा क्या आपकी गर्भग्रीवा (सर्विक्स), डिंबवाही नलियां तथा अंडाशय भी हटाए जा रहे हैं।

• योनीय (वेजाइनल) हिस्टेरेक्टॉमी - गर्भाशय को योनि मार्ग से हटाया जाता है, तथा पेट में कोई चीरफाड़ नहीं होती।

• उदरीय (एब्डॉमिनल) हिस्टेरेक्टॉमी - पेट में चीरा लगाकर, गर्भाशय को निकाला जाता है।

• लेप्रोस्कोपिक हिस्टेरेक्टॉमी - पेट में कई छोटे सुराख किए जाते हैं और डॉक्टर इन छोटे सुराखों के माध्यम से लेप्रोस्कोप का प्रयोग करते हुए काम करता है। यह यंत्र डॉक्टर को शल्य क्रिया के दौरान छोटे स्थानों को देख पाना आसान बनाता है। अन्य छोटे यंत्र गर्भाशय को अलग करने और निकालने के लिए प्रयोग किए जाते हैं।

  • रोबोटिक हिस्टेरेक्टॉमी - यह लेप्रोस्कोपिक हिस्टेरेक्टॉमी से बहुत मिलती जुलती है। यंत्र अधिक लचीले होते हैं और डॉक्टर द्वारा शल्य क्रिया के दौरान यंत्र की सहायता करने के लिए विशेष कैमरे का उपयोग किया जाता है।

तैयारी के लिए

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• आपके द्वारा ली जाने वाली सभी दवाओं के बारे में अपने डॉक्टर को बताएँ। किसी भी डॉक्टर द्वारा निर्धारित या काउंटर पर मिलने वाली दवाओं, विटामिन और जड़ी बूटियों के बारे में भी अवश्य बताएँ।

  • आपको अपनी सर्जरी से कुछ दिन पहले एस्पिरिन या आईबुप्रोफेन (एडविल, मोट्रिन) ना लेने के लिए कहा जा सकता है। यदि आप रोज़ाना एस्पिरिन लेती हैं, तो अपने डॉक्टर से पूछे बिना इसे लेना बंद ना करें।
  • यदि आप थक्कों को रोकने के लिए रक्त को पतला करने वाला पदार्थ या दवाएं लेती हैं, तो कृपया इस दवा को निर्धारित करने वाले डॉक्टर से परामर्श लें कि क्या शल्य क्रिया से पहले आपको यह दवाएं बंद कर देनी चाहिए।

• अपने चिकित्सक से पूछें कि क्या आपको अपनी शल्य क्रिया वाले दिन की सुबह अपनी दवाई लेनी चाहिए। यदि हाँ, तो पानी की छोटी-छोटी घूंट के साथ ही इन्हें लें।

• अपनी शल्य क्रिया से पहले की मध्य रात्रि के बाद से ही, कुछ खाएं-पिएं नहीं, इसमें पानी भी शामिल है।

• यदि आपको दवाओंए खाद्य पदार्थ या अन्य चीज़ों से कोई एलर्जी है, तो शल्य क्रिया से पहले इसके बारे में स्टाफ को बताएँ।

• जब आप अस्पताल से लौटती हैं, उस समय आपके परिवार का कोई वयस्क सदस्य अथवा मित्र/सहेली आपको घर लेकर जाएं। आपके लिए गाड़ी चलाना अथवा अकेले जाना, सुरक्षित नहीं है।

शल्य क्रिया के दौरान

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• आप अस्पताल का गाउन पहनेंगी।

• आपकी बांह की शिरा में एक अंतः शिरा (इंट्रावेनस) नली डाली जाएगी जिसके माध्यम से आपको दवाएं तथा द्रव दिए जाएंगे।

• आपको एक ट्राली पर शल्य क्रिया कक्ष में ले जाया जाएगा तथा वहां मेज पर लिटाया जाएगा।

• आपके अंतः शिरा (आई वी) में दवा डाली जाएगी, जिससे आप निद्राग्रस्त तथा दर्दमुक्त रहें।

• आपको एक कैथेटर लगाया जाएगा, जिससे होकर आपकी मूत्रनली से मूत्र निकलता रहेगा। यह नली सामान्यतः आपकी शल्य क्रिया के अगले दिन, प्रातः काल हटा दी जाती है।

• एक और नली आपकी नाक के माध्यम से डाली जा सकती है, जो आपके पेट तक पहुंचेगी तथा वहां से द्रवों को हटाएगी, जिससे आपको अपने पेट में तकलीफ का अनुभव न हो। यह नली सामान्यतः आपके स्वास्थ्य लाभ कक्ष (रिकवरी रूम) से निकलने से पूर्व हटा ली जाती है।

• शल्य क्रिया के क्षेत्र या उदर को साफ किया जाता है।

• आपके गर्भाशय को निकाल दिया जाता है। आपकी गर्भाशय ग्रीवा, नलियों तथा अंडकोशों को भी हटाया जा सकता है।

• काटे गए भागों को टांकों, स्टेपल्स अथवा विशेष प्रकार की टेप, जिन्हें ‘स्टेरी-स्ट्रिप’ कहा जाता है, द्वारा बंद किया जाता हैं।

• काटे गए भागों के ऊपर पट्टी बांध दी जाती है।

शल्य क्रिया बाद

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अस्पताल में

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• आपको पुनः रिकवरी रूम में ले जाया जाता है, जहां आपकी उस समय तक गहन देखभाल की जाती है, जब तक आप जाग जाएं तथा भली प्रकार हों।

• आपके श्वसन, रक्तचाप तथा नाड़ी की बार-बार जांच की जाती है।

• यदि आप अस्पताल में रह रही हैं, तो आपको आपके कक्ष में ले जाया जाएगा।

• आपकी टांगों के बीच में एक पैड रखा जाएगा क्योंकि हो सकता है आपकी योनि से रक्तस्राव हो।

• जब आप बिस्तर में रहती हैं तब रक्त जमने से रोकने के लिए आपको अपनी टांगों पर विशेष प्रकार की स्टॉकिंग्स पहनने की आवश्यकता हो सकती है।

• अस्पताल का स्टाफ आपको खांसने, गहरी सांस लेने तथा ‘इंसेटिव स्पिरोमीटर’ का प्रयोग करने के सही तरीके सिखा सकता हैं। ‘इंसेटिव स्पिरोमीटर’ वह यंत्र है जो आपको गहरी सांस लेने में सहायता करने हेतु प्रयोग में लाया जाता है। ये अभ्यास फेफड़ों के वायु मार्ग खोलने तथा निमोनिया से बचाव में सहायक होते हैं। यदि आपके पेट में चीरा लगाया गया है, तो अपने काटे गए स्थान के ऊपर तकिया अथवा तह किया गया कंबल, गहरी सांस लेते अथवा खांसते समय, सहारे के लिए रखें। जब आप जाग रही हों तब प्रत्येक 1 से 2 घंटों में, ये अभ्यास करें।

• आपका दर्द नियंत्रित करने के लिए, आपको दवाएं दी जाएंगी। यदि आपको दर्द होता है तो अपनी नर्स को बताएं।

• इंट्रावेनस (आई वी) का प्रयोग उस समय तक आपको दवाएं एवं द्रव प्रदान करने के लिए किया जाता है, जब तक आप भली प्रकार खाने-पीने में सक्षम नहीं हो जातीं। यदि आपके पेट में तकलीफ नहीं है तो आपको कुछ ‘आइस चिप’ भी दी जा सकती हैं।

• आपको प्रारंभ में स्वच्छ द्रव प्रदान किए जाएंगे तथा फिर धीरे-धीरे आप नियमित भोजन की ओर बढेंगी।

• आपकी पट्टी शल्य क्रिया के अगले दिन खोल दी जाएगी। आपको लगाए गए चीरे में ये हो सकते हैं:

* ऐसे टांके, जो स्वयं घुल जाते हैं।
* स्टेपल, जिन्हें सामान्यतः कुछ दिनों बाद निकाला जाता है।
* स्टेरी-स्ट्रिप जो 7 से 10 दिनों में स्वयं निकल जाते हैं।

• यदि आपकी योनीय (वेजाइनल) हिस्टेरेक्टामी हुई है तो, आपको चीरा नहीं लगाया जाएगा।

• आपकी सुरक्षा की दृष्टि से, जब आप अस्पताल छोड़ती हैं तब आपके साथ कोई वयस्क संबंधी अथवा मित्र, आपको घर ले जाने के लिए साथ होना/होनी चाहिए। घर में आपके कम से कम पहले 24 घंटों के दौरान कोई आपके साथ रहना चाहिए।

घर में

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• अपनी दवाएं निर्देशानुसार लें।

• अपने चिकित्सक के साथ एक अनुवर्तन मुलाकात निश्चित करें। आपको अपने चिकित्सक के साथ 4 से 6 सप्ताह में मुलाकात करने की आवश्यकता होगी।

• चीरा लगे स्थान को धीरे से साबुन एवं पानी द्वारा साफ करें तथा थपकी देकर सुखा लें। आप शावर अथवा स्पंज-स्नान कर सकती हैं, परंतु टब में स्नान न करें।

• शल्य क्रिया के बाद, योनि से 2 से 4 सप्ताह तक थोड़ी मात्रा में स्राव सामान्य है। प्रत्येक कुछ घंटों बाद पैड बदलती रहें। योनि क्षेत्र को साबुन और पानी से साफ करें तथा थपकी देकर सुखा लें।

• जब तक आपका चिकित्सक आपकी जांच न कर लें, अपनी योनि में कुछ न डालें।

* डूश न करें
* संभोग न करें
* फाहों का प्रयोग न करें

गतिविधि की सीमाएं

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• 4 से 6 सप्ताह तक अपनी गतिविधियां सीमित रखें।

• 2 सप्ताह तक 4-5 किलो ( 10 पौंड) से अधिक वजन न उठाएं।

• आप हल्के घरेलू कार्य जैसे बर्तन साफ करना, खाना बनाना आदि कर सकती हैं।

• कम से कम दो सप्ताह तक, मेहनत वाले कार्य जैसे वैक्यूम करना, व्यायाम आदि न करें।

• 2 सप्ताह तक वाहन न चलाएं, परंतु आप कार में छोटी यात्राएं कर सकती हैं।

• सीढ़ियों पर धीमी गति से, एक समय में एक कदम रखते हुए चढ़ें तथा उतरें।

• सैर करें, छोटी दूरी से प्रारंभ करें। जितनी दूरी तथा गति बढ़ा सकती हैं, धीरे-धीरे बढ़ाएं।

अन्य मामले

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• यदि आपके अंडाशय (ओवरी) निकाले गए हैं, तो आपको रजोनिवृत्ति के लक्षण हो सकते हैं, जैसे गुस्सा आना, योनि का सूखापन अथवा मूड बदलना।

• शल्य क्रिया के बाद अनेक प्रकार के भाव मन में आना सामान्य बात है। आप उदास, भयभीत, आशंकित अथवा क्रोधित हो सकती हैं। ये भावनाएं अपने प्रियजनों तथा मित्रों को बताएं, जिससे वे इनसे उबरने में आपकी सहायता कर सकें। यदि कुछ सप्ताह बाद भी उदासी दूर नहीं होती है तो अपने चिकित्सक से परामर्श प्राप्त करें।

• इस शल्य क्रिया से आपके रूप पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसमें कोई भौतिक परिवर्तन नहीं होता, हाँ केवल आपको जहां चीरा लगा था, वहां दाग का निशान हो सकता है।

• आपकी शल्य क्रिया से आपकी संभोग कुशलता अथवा आपके साथ संभोग करते समय आपका साथी क्या महसूस करता है, उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। अपने चिकित्सक से पूछें कि आप सेक्स गतिविधियां कब से पुनः प्रारंभ कर सकती हैं तथा यदि आपके मन में कोई चिंता है तो उसके संबंध में भी पूछें।

यदि आपको निम्नलिखित में से कुछ हो तो तुरंत अपने चिकित्सक को फोन करें-

• कंपन, सर्दी लगना अथवा 38 डिग्री सेल्सियस या 101 डिग्री फॉरेनहाइट से अधिक बुखार

• कोई चीरा जो सूजा हो, लाल हो, उसमें रिसाव हो अथवा वह खुल गया हो

• चीरे के स्थान से रक्तस्राव

• आपके पांवों में दर्द, गर्मी अथवा मुलायमपन

• योनि से अधिक रक्तस्राव, एक घंटे में 2 से 3 पैड भर जाना

• योनि से गंधयुक्त स्राव

• पेशाब करने में परेशानी

• पेशाब करते समय जलन अथवा बार-बार पेशाब आने का अनुभव

• त्वचा में जलन, सूजन अथवा चकते होना

• मनः स्थिति में तेजी से बदलाव अथवा नैराश्य का भाव

यदि आपको अचानक सांस लेने में तकलीफ अथवा सीने में दर्द हो, तो तुरंत फोन करें।

यदि आपके मन में कोई प्रश्न अथवा चिंता है तो अपने चिकित्सक से परामर्श करें ।