अक्षय ऊर्जा
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किसी भी ऊर्जा का संग्रहण करना बाद में उसके उपयोग करने के लिए आवश्यक है। उदाहरण के लिए, सौर ऊर्जा का उपयोग हम केवल दिन में आसमान साफ रहते समय ही कर सकते हैं और पवन चक्की का उपयोग भी केवल हवा के चलते समय ही कर सकते हैं। दूसरे कई प्रकार के ऊर्जा स्रोत में भी इस तरह के बाधा होते हैं।

ऑस्ट्रिया में बना, सौर ऊर्जा के संग्रहण के लिए एक टंकी।

इस सभी बाधा से निजात पाने के लिए हम बैटरी का उपयोग करते हैं। इससे एक बार ऊर्जा को संग्रहण करने के बाद हम कभी भी उसका उपयोग कर सकते हैं। बैटरी में यह रासायनिक रूप में भी हो सकता है। इसके अलावा कुछ क्षय ऊर्जा का भी हम संग्रहण कर सकते हैं। जैसे मिट्टी तेल आदि। लेकिन यह सभी एक बार उपयोग के बाद पूरी तरह से नष्ट हो जाते है और कभी उसका उपयोग नहीं कर सकते हैं। इस तरह के ऊर्जा का निर्माण भी नहीं हो किया जाता है, क्योंकि इसके लिए बहुत अधिक तापमान और दाब कि आवश्यकता पड़ती है, जो वर्तमान में उपलब्ध नहीं है।

यदि इस ऊर्जा का निर्माण भी करना चाहें तो भी इसके लिए अनेक पेड़-पौधे जीव-जंतुओं की आवश्यकता होगी। यदि यह संख्या कम होती है तो इसका कोई लाभ ही नहीं होगा और अधिक भी होने से इस पूरे क्रिया में उससे अधिक पैसे लग जाएँगे। इससे अच्छा और सस्ता मार्ग अक्षय ऊर्जा पर निर्भर होना है और उसके लगातार उपयोग करने के लिए हमें ऊर्जा संग्रहण करना चाहिए, जिससे इस तरह के ऊर्जा का बाद में भी उपयोग कर सकें और क्षय ऊर्जा पर हमारी निर्भरता हट सके।