कार्यालयी हिंदी/कार्यालयी हिंदी का क्षेत्र
कार्यालय हिंदी का क्षेत्र
यह स्पष्ट है कि जहां किसी भी संस्था के अधिकारियों द्वारा उस संस्था का कार्य सहज रूप से क्रियान्वित किया जाता है वह कार्यालय होता है| राजभाषा संबंधी संवैधानिक प्रावधानों में 'कार्यालयी हिंदी' के क्षेत्र अधिकार के संबंध में राजभाषा नियम, 1970 में पूरी तरह से स्पष्ट किया गया है| लेकिन शासन ने इस व्यवस्था को निर्धारित करते समय भारत के सभी राज्यों को 'क', 'ख' व 'ग' तीनों क्षेत्रों में विभाजित किया|
'क' क्षेत्र के अंतर्गत :- बिहार, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तराखंड, राजस्थान और उत्तर प्रदेश तथा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दिल्ली संघ राज्य | 'ख' क्षेत्र के अंतर्गत :- गुजरात, महाराष्ट्र और पंजाब राज्य तथा चंडीगढ़ दमन और दीव तथा दादरा और नगर हवेली संघ राज्य क्षेत्र | 'ग' क्षेत्र के अंतर्गत :- 'क' तथा 'ख' क्षेत्र के राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों के अतिरिक्त|
इन क्षेत्रों में 'क' वर्ग में आने वाले राज्यों में सरकारी कामकाज की भाषा पूर्णतः हिंदी होगी| लेकिन यदि वे किसी अन्य वर्ग के राज्य या संघ शासित प्रदेश से पत्र व्यवहार करते हैं तो उनके अंग्रेजी पत्रों के साथ हिंदी अनुवाद भी अनिवार्य रूप से भेजा जाएगा| केंद्र सरकार के सभी कार्यालय 'ख' क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले कार्यालयो को आंशिक रूप से हिंदी में तथा आवश्यकतानुसार अंग्रेजी में भेजे गए पत्रों के अनुवाद हिंदी में भेजना अनिवार्य होगा|
'ख' क्षेत्र के किसी भी राज्य संघ राज्य क्षेत्र द्वारा किसी भी व्यक्ति या कार्यालय को हिंदी अंग्रेजी में पत्र भेजे जा सकते हैं|
'ग' क्षेत्र में केंद्र सरकार द्वारा भेजे जाने वाले सभी पत्र अंग्रेजी में होंगे किंतु 'ग' क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले राज्य या संघ राज्य क्षेत्र के कार्यालय अथवा केंद्र सरकार के कार्यालय से 'क' अथवा 'ख' क्षेत्र को भेजे जाने वाले पत्र हिंदी अंग्रेजी किसी भी भाषा में हो सकते हैं|
इस प्रकार देखा जाए तो कार्यालय हिंदी का क्षेत्र विशाल होते हुए भी विभिन्न उपबंधो और नियमों द्वारा उसे सीमित किया गया है|