कार्यालयी हिंदी/जनसंचार के माध्यमों में प्रयुक्त हिन्दी

जनसंचार के स्वरूप 

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संचार का ही विस्तृत रूप जनसंचार है। संचार शब्द संस्कृत के 'चर' धातु से बना है जिसका तात्पर्य -आगे बढ़ना; फैलना आदि। "जनसंचार" अंग्रजी के Mass-Communication शब्द का पर्यायी है। Communication शब्द की उत्पत्ति लैटिन के 'Communis, से हुई है- जिसका मतलब है- "किसी वस्तु या विषय का सब के लिए साँझा होना"। अर्थात् अपने भावों, विचारों, जानकारी को इलैक्टानिक उपकरणों द्दारा एक स्थान से दूसरे स्थान तक एक-दूसरे तक पहँचना। जनतांत्रिक व्यवस्था में जनसंचार तथा उसके माध्यमों का अनन्य साधाण महत्व है। सजग-सचेत जन-मानस जनतन्त्र की सफलता से ही निर्धारक होता है। और जन-मानस को सजग-सचेत बनाने में जन-संचार मध्यमों का महत्वपूर्ण योगदान होता है।डेविड़ ह्यूम ने जनमत को परिभाषित करते हुए लिखा है- '"राजसत्ता या शासन व्यवस्था का ठोस आधार जनमत ही है। सरकार का रूप कैसा भी हो, स्वेच्छाचारी राजा का, या सैनिक अधिकारियों का शासन हो, या स्वतन्त्र ,लोकप्रिय सरकार हो, जनमत के आश्रय के बिना कोई सरकार खडी़ नहीं रह सकती।"' जनसंचार के माध्यमों के अन्तर्गत मुख्यत: समाचार पत्र, रेडियो, दूरदर्शन, फिल्म तथा कम्प्यूटर आदि आते है। जनसंचार के इन सभी माध्यमों ने विश्व में फैली समस्त मानव-जाति के जीवन को प्रभावित किया है। शिक्षा ने विज्ञान को जन्म दिया है और विज्ञान ने जनसंचार के आधुनिक साधनों को। आज जनसंचार के ये साधन मनुष्य की आधुनिक शिक्षा तथा विज्ञान दोनों के प्रचार, प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निर्वाह रही है। वर्तमान समय में उपग्रह संचार-व्यवस्था के विस्तार के साथ इस माध्यम की व्याप्ति ओर ही बढ़ गयी है।फिल्म और चित्रपट का दृश्य-श्रव्य दोनों माध्यम होने से बच्चों से लेकर वृध्दों तक इसका प्रभाव देखा जा रहा है। इनमें 'समाचार-पत्र' जनसंचार का व्यापक माध्यम रहा है जो सर्वप्रथम समाचार 'उदन्त मार्तण्ड' से लेकर आज तक अधिकांश समाचार-पत्र 'जनमत' निर्माण में सही रूप से योगदान दे रहा है।

जनसंचार माध्यम

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समान्यत: हम सूचना को व्यापक समाज तक फैलाने वाले संचार-माध्यमों को तीन वर्गों में रख सकते हैं-

(अ) शब्द-संचार माध्यम अथवा मुद्रण माध्यम- समाचार पत्र, पत्रिकाएं, पुस्तकें, पम्फलेट्स आदि।

(आ) श्रव्य संचार माध्यम- रेडियों, आडियो कैसेट, टेपरिकाॅडर।

(स) दृष्य संचार माध्यम- टेलीविजन, वीडियो कैसेट, फिल्म।

संदर्भ

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१. प्रयोजनमूलक हिन्दी: सिध्दान्त और प्रयोग--- दंगल झाल्टे। पृष्ठ-- २०८

२. प्रयोजनमूलक हिन्दी--- माधव सोनटक्के। पृष्ठ-- १८६, १८७