कार्यालयी हिंदी/दूरर्दशन के लिए विज्ञापन लेखन
दूरर्दशन के लिए विज्ञापन लेखन
सम्पादनआधुनिक युग को विज्ञापन का युग कहा जाता है। विज्ञापन प्रसारण के अनेक साधन उपलब्ध है किन्तु समाचार पत्र , आकाशवाणी तथा दूरदर्शन आदि प्रसार माध्यमों में विज्ञापन का स्थान सवोपरि माना जा सकता है। ये माध्यम अपनी-अपनी प्रवृति में एक- दूसरे से भिन्न जरूर हैं किन्तु तीनों के माध्यम से जनसम्पर्क अत्यंत प्रभावी तथा व्यापक पैमाने पर स्थापित किया जा सकता है। दूरदर्शन दृश्य तथा क्षव्य दोनों का मिला-जुला माध्यम है। पूरे परिवार के सदस्यों के लिए दूरदर्शन एक अत्यन्त प्रभावी माध्यम होने के कारण इसके द्दारा प्रसारित विज्ञापन का असर बहुत दूरगामी सिध्द हुआ है। दूरदर्शन दृश्य एवं क्षव्य का मिला-जुला रूप है किन्तु इसके बावजूद इसमें 'क्षव्य ' की अपेक्षा 'दृश्य ' पर अधिक जोर रहता है। दर्शक भी 'सुनने' की बजाय 'देखना' अधिक पसंद करते हैं। फलत: दूरदर्शन पर 'निवेदन ' के साथ जो चलचित्र दिखाये जाते हैं, उन्हें अत्यधिक महत्व प्राप्त हो जाता है। इसलिए , दूदर्शन के लिए तैयार किये जाने वाले विज्ञापनों में 'दृश्यों ' (Visuals) पर अधिक बल देकर तद्नुसार क्षव्य सामग्री तैयार की जाती है।
संर्दभ
सम्पादन१. प्रयोजनमूलक हिन्दी: सिध्दान्त और प्रयोग -- --- दंगल झाल्टे, पृष्ठ--२२२,२२३