सम्पादन का अर्थ

सम्पादन

'सम्पादन' का शाब्दिक अर्थ है- किसी काम को अच्छी और ठीक तरह से पूरा करना या प्रस्तुत करना। किसी पुस्तक का बिषय या सामयिक पत्र के लेख आदि अच्छी तरह देखकर उनकी त्रुटियां आदि दूर करके और उनका ठीक काम लगाकर उन्हें प्रकाशन के योग्य बनाना। वास्तव में सम्पादन एक कला हैं। इसमें समाचारों लेखों या कहें कि किसी समाचार-पत्र व पत्रिका में प्रकाशित की जाने वाली सभी तरह की सामग्री का चयन, उसकी कमबध्द करना, सामाग्री की काया निश्चित करना, संशोधित करना, उसकी भाषा व्याकरण और शैली में सुधार करना, विश्लेषण करना आदि सभी कार्य सम्मलित है। पृष्ठों की साज-सज्जा करना, मुद्रण को देखकर शुध्द और आकर्षण मुद्रण कराने में सहयोग करना भी 'सम्पादन' का अंग हैं। 'सम्पादन' आसान काम नहीं है। यह अत्यंत परिश्रम-साध्य एवं अभ्यास उपेक्षित बौध्दिक कार्य हैं। इसमें मेधा, निपुणता और अभिप्रेणा (motivation) की आवश्यकता होती है। इसलिए सम्पादन-कार्य करने वाले व्यक्ति को न केवल सावधानी रखनी होती है, बल्कि अपनी क्षमताओं, अभिरूचि तथा निपुणता का पूरा-पूरा उपयोग करना होता है। उसे अपने कार्य का पूरा ज्ञान ही नहीं होना चाहिए, बल्कि कार्य के प्रति एकनिष्ठ लगाव भी होना चाहिए। बल्कि जहां बहुत आवश्यक हो या उसके द्वारा किए जाने वाले परिवर्तन से संवाददाता की 'कापी' या (न्यूज स्टोरी) उत्कृष्ट बन जाएगी, तभी बदलना कांट-छांट करना, संशोधित करना या नए सिरे से लिखना उचित है। अच्छें संवाददाता (रिपोर्टर) तथा उप-सम्पादक का तालमेल बैठाना बहुत जरूरी होता है और वह बैठ भी जाता है, यदि दोनों अपना-अपना काम पूरी योग्यता, ईमानदारी, समर्पण और रूचि से करें। कोई भी समाचार विभिन्न हाथों और प्रक्रियों से गुजर कर पाठकों तक पहुंचता हैं।

संदर्भ

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