कार्यालयी हिंदी/हिन्दी समाचार लेखन

हिन्दी समाचार लेखन

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जनसंचार माध्यमों में समाचार पत्र, रेडियो तथा दूरदर्शन का विशेष स्थान है और इनके लिए समाचार लेखन का उससे भी अधिक महत्व माना जाता है।समाचार को हासिल करना, उसे लिखना और उस पर यथास्थिति संपादकीय संस्कार करना एक अत्यन्त कौशल की बात है। जब कोई घटना सर्वप्रथम दुनिया के सामने लाई जाती है। तब वह समाचार (Press) कहलाती है। वर्तमान युग में इसे सर्वश्रेष्ठ साधन माना जाता है। अंग्रेजी, हिन्दी तथा लगभग सभी प्रादेशिक भाषाओं में बडे़ पैमाने पर समाचार प्रसारित किया जाता है। प्राप्त समाचार का सुयोग्य व सटीक सम्पादन विभिन्न माध्यमों समाचार पत्र, रेडियो तथा दूरदर्शन द्दारा हो रहा है। दैनिक समाचार-पत्र के पाठक देश के कोने-कोने में फैले रहते हैं। समाचार-पत्रों में देश भर के समाचार होता हैं।अत: जन-सामान्य इन्हें पढ़ने को उत्सुक रहते हैं।कुछ समाचार पत्रों जैसे- टाइम्स आफ इण्डिया, हिन्दुस्तान टाइम्स, नवभारत टाइम्स, हिन्दुस्तान, युगधर्म, तरूण भारत आदि। आधुनिक युग में जनसंचार हेतु समाचार-अभिकरणों(News Agencies) का बहुत महत्व है। उपग्रहों के आभिर्भाव के कारण संचार प्रणाली अति शीध्रगामी हो गई है। टेलेक्स, फोन, टेलीप्रिंटर, फैक्स, वायरलेस आदि अनेक संसाधनों द्दारा समाचारों का तीव्र गति से आदान-प्रदान संभव हो सका है। अधतन समाचारों के लिए विश्व भर में विविध समाचार एजेन्सिया कार्य कर रही है। भारत के कुछ महत्वपूर्ण एजेन्सियाँहैं--

१)पी.टी.आई :- यह अंग्रेज शासन काल से कार्यरत है जो ए.पी.आई. के नाम से जानी जाती थी।स्वतन्त्रता के बाद उसका भारतीकरण करके प्रेस ट्र्स्ट आफ इण्डिया कर दिया गया। यह सरकारी एजेन्सी के रूप में जानी जाती है तथा अंग्रेजी में समाचार प्रसारित करती है।

२) हिन्दुस्तान समाचार:- भारतीय भाषाओं में समाचार प्रसारित करने के उद्देश्य से 1949 में "हिन्दुस्तान समाचार" नामक एजेन्सी शुरू की गई। शूरू में इसके द्दारा प्रादेशिक समाचारों का प्रसारण होता था। सन् 1954 में सर्वप्रथम देवनागरी(हिन्दी) टेलिप्रिंटर का उपयोग से कुछ वर्षो में इसका फैलाव देशभर में हो गया।

३) यूनिवार्ता:- यूनाइटेड न्यूज आफ इंडिया समूह ने 1982 में हिन्दी में समाचार के लिए "यूनीवार्ता" नामक एक अलग एजेन्सी की स्थापना की। अंग्रेजी समाचार एजेन्सी की छत्रछाया में रहकर अपना फैलाव देशभर में शीध्रता से किया।

४) समाचार भारती:- भारतीय भाषाओं में समाचार देने के उद्देश्य से सन् 1965 में "समाचार भारती" नाम समाचार एजेन्सी की स्थापना की गई। यह संस्था लिमिटेड कम्पनी के रूप में प्रारम्भ की जाने के कारण मात्र पूरक बनी रही और उसका स्वतंत्र रूप से विकास नहीं हो सका।

सवधानियाँ:-समाचारों के सन्दर्भ में कुछ सतर्कता बरतनी पड़ती है। जैसे- समाचार झूठ या अश्लील नहीं होनी चाहिए, कोई भी समाचार कानून का उल्लंघन न करता हो, समाचार ऐसा न हो कि जनता की भावनाओं को भड़काये। समाचार लेखन में निम्नलिखित बातों की ओर विशेष ध्यान दिया जाना घाहिए।

(अ) समाचार लेखन की भाषा शैली अत्यंत स्पष्ट, सरल तथा सुबोध होनी चाहिए।

(आ) समाचार में अपरिचित शब्दावली का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए।

(इ) समाचारों का लेखन संक्षिप्त तथा प्रभावशाली होना चाहिए।

(ई) समाचार लेखन में घटना के सम्बन्ध में निम्न प्रशनों का ध्यान रखा जाना चाहिए-- कहाँ?, कब?, किसने?, किसलिए?, किसे?, और कैसे?

(उ) समाचार अपने आप में पूर्ण होना चाहिए अर्थात समाचार आधा अधूरा नहीं लगना चाहिए।

(ऊ) समाचार लेखन की भाषा में सम्प्रेषणीयता का होना आवश्यक है। अर्थात समाचार में पांडित्य प्रदर्शन अथवा अनावश्यक वैचारिक विश्लेषण नहीं होना चाहिए।

(ए) समाचारों का लेखन तथ्यात्मक जानकारी पर आधारित होना चाहिए। अर्थात समाचार लेखक को सत्यान्वेशी होना आवश्यक है।

(ऐ) समाचार लेखन में निर्वैयक्तिकता का होना अपेक्षित है। अर्थात समाचारों में संवाददाता या समाचार लेखक का व्यक्तित्व नहीं झलकना चाहिए।

संदर्भ

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१. प्रयोजनमूलक हिन्दी: सिध्दान्त और प्रयोग--- दंगल झाल्टे। पृष्ठ-- २१०-२१३