जलवायु परिवर्तन
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जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण मनुष्य ही है। सामान्यतः जलवायु में परिवर्तन कई वर्षों में धीरे धीरे होता है। लेकिन मनुष्य के द्वारा पेड़ पौधों की लगातार कटाई और जंगल को खेती या मकान बनाने के लिए उपयोग करने के कारण इसका प्रभाव जलवायु में भी पड़ने लगा है।

मनुष्यों के कारण सम्पादन

जंगलों की कटाई सम्पादन

मनुष्य जंगलों को काट कर उसके द्वारा कई तरह का लाभ उठाता है। इसके द्वारा मिले लकड़ी को इसके सामान बनाने, जला कर खाना बनाने, मकान बनाने आदि के काम में उपयोग करता है। जंगल के साफ हो जाने के बाद वह उस जगह पर कब्जा कर के उसे खेती के लिए उपयोग करने लगता है या उसमें मकान बना लेता है। वायु को शुद्ध रखने के लिए पेड़ पौधे अति आवश्यक है। इसके अलावा भी पेड़ पौधे बहुत काम आते हैं और जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए इन्हें बचाना अनिवार्य है।

कारखाने और अन्य प्रदूषण सम्पादन

कारखानों को सबसे अधिक प्रदूषण फैलाने वाला माना जाता है, क्योंकि इसके आसपास रहने से साँस लेना भी मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा प्रदूषण फैलाने वालों में वाहनों को लिया जाता है। यह सभी वायु प्रदूषण फैलाने में अपना योगदान देते हैं। इसके अलावा भी कई ऐसे उदाहरण है, जो वायु प्रदूषण के कारक बनते हैं। वायु प्रदूषण से गर्मी बढ़ जाती है और गर्मी बढ़ने से जलवायु में भी परिवर्तन होने लगता है।

आप सभी को पता ही होगा कि वायु अधिक दाब के क्षेत्र से कम दाब के क्षेत्र में जाती है। जहाँ अधिक गर्मी होती है, वहाँ का दाब कम होने लगता है और उसके आसपास के क्षेत्र का दाब उस क्षेत्र से अधिक हो जाने के कारण जिस क्षेत्र में अधिक गर्मी है वहाँ तेजी से हवा आने लगता है। कई बार यह तूफान का रूप में धारण कर लेता है। यदि आसपास के क्षेत्र में वर्षा का बादल हो तो वह भी हवा के साथ साथ तेजी से उस क्षेत्र में आने लगता है। इस तरह के बारिश में तेज हवा चलती है और ओले भी गिरने लगते हैं।

प्राकृतिक कारण सम्पादन

इनमें वे कारण है, जो प्राकृतिक रूप से अपने आप ही हो जाते हैं जिसमे मनुष्य का कोई भी रोल नहीं होता।जैसे भूकंप, ज्वालामुखी का फटना, आदि। ज्वालामुखी फटने से उसमें से जो लावा निकलता है, उसके किसी जल स्रोत में जाने या कहीं भी जाने से वहाँ प्रदूषण फैल जाता है और जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण ही प्रदूषण है।