जलवायु परिवर्तन
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जलवायु परिवर्तनकिसी स्थान की दिर्घकालिन दशाओं को जलवायु कहते हैं. किसी भी स्थान में धीरे धीरे जल और वायु में बदलाव आने को जलवायु परिवर्तन कहते है। वैसे तो सभी जगह थोड़े थोड़े बदलाव होते रहते हैं। लेकिन जलवायु परिवर्तन में उन मुख्य रूप से उन बदलावों पर ध्यान दिया जाता है, जिससे प्रकृति को हानि होती है। उदाहरण के लिए किसी स्थान में कुछ वर्षों से अच्छी बारिश ही होती रहती है और धीरे धीरे वहाँ बारिश के मौसम में बारिश होना कम हो जाये या गर्मी के मौसम में अधिक बारिश होने लगे। इससे खेती में बहुत प्रभाव पड़ता है और इसका सबसे अधिक असर खेती पर ही पड़ता है। खेती किसानी की वजह से भी जलवायु परिवर्तन होने की संभावना प्रबल रहती है अत्यधिक मात्रा में गहरी जुताई की जाने से जैविक कार्बन भूमि के संचयन नहीं हो पाती और वातावरण को भी प्रभावित करती है वातावरण के जितने भी रासायनिक कार्बनिक गैस विद्यमान रहते हैं भूमि में उस गैस का अवशोषण कर ली जाती है गहरी जुताई की जाने की वजह से यह सिस्टम काम करना बंद कर देता है जिस वजह से जल वायु प्रदूषण बढ़ने का खतरा रहता है जंगली खेती के द्वारा जलवायु परिवर्तन का समाधान की जा सकती है