योग और हमारा स्वास्थ्य/नौकासन
नौकासन
सम्पादनइस आसन की अंतिम अवस्था में हमारे शरीर की आकृति नौका समान दिखाई देती है, इसी कारण इसे नौकासन कहते है। इस आसन की गिनती पीठ के बल लेटकर किए जाने वाले आसनों में मानी जाती है।
नौकासन करने की विधि
सम्पादन- पेट के बल लेट जाएँ! जैसे दंडवत प्रणाम करते हैं!
- इसी मुद्रा मे दोनों हथेलियाँ परस्पर जुडी (नमस्कार की तरह) रख कर दोनों बाहें तथा सिर व दोनों पैरो को (एक साथ जोड़े हुए) एक साथ उपर की और उठायें।
- जितना देर रुक सकें रुकें।
नौकासन करने की लाभ
सम्पादन- इससे पाचन क्रिया, छोटी-बड़ी आँत में लाभ मिलता है।
- अँगूठे से अँगुलियों तक खिंचाव होने के कारण शुद्ध रक्त तीव्र गति से प्रवाहित होता है, जिससे काया निरोगी बनी रहती है।
- हर्निया रोग में भी यह आसन लाभदायक माना गया है।
- निद्रा अधिक आती हो तो उसे नियंत्रित करने मे ये नौका आसन सहायक है।