इस आसन में आकृति हल के समान बनती है इसलिए इसे हलासन कहते हैं।

हलासन करने में विधि

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  1. सर्वप्रथम सीधे पीठ के बल लेट जाइए हाथों को शरीर के बराबर ज़मीन से सटा कर रखे।
  2. पैरों व पंजो को मिला लीजिए ।
  3. अब धीरे धीरे दोनो पैरों को ६० डिग्री -९० डिग्री पर उठाते हुए सिर के पीछे फर्श पर लगा दे।
  4. पैरों को बिल्कुल सीधा रखे ।
  5. हाथों ज़मीन पर ही सीधा रखे।
  6. ठोडी को सीने से सटा ले।
  7. कुछ देर इसी स्थिति में रुके ।
  8. साँस सामान्य बनाए रखे।
  9. अब धीरे से पैरो को घुटनो से सीधा रखते हुए वापिस लाए।
  10. शवासन में आराम।

हलासन करने के लाभ

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  1. मेरूदंड लचीली होती है।
  2. दमा, कफ एवं रक्त सम्बन्धी रोगों के लिए बहुत ही लाभकारी है।
  3. मोटापे को दूर करता है।
  4. तंत्रिका तंत्र एवं लीवर में बहुत ही लाभकारी है।
  5. प्रतिदिन करने से कभी क़ब्ज़ नही होता। पेट पर चर्बी ख़त्म कर देता है।
  6. मानसिक क्षमता को बढ़ाने के लिए बहुत ही उत्तम है।
  7. स्त्री रोगों में लाभकारी।
  8. थायरायड तथा पैराथायरायड ग्रंथियों को सक्रिय रखता है।