"आधुनिक कालीन हिंदी कविता (छायावाद तक)/सुमित्रानंदन पंत": अवतरणों में अंतर

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पंक्ति ६०१:
मै भूल गया अस्तित्व-ज्ञान, जीवन का यह शाश्वत प्रमाण
करता मुझको अमरत्व-दान।"</poem>
=== व्याख्या ===5
 
== आह! धरती कितना देती है ==