"समसामयिकी 2020/अंतरराष्ट्रीय संस्थान": अवतरणों में अंतर

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विदेश मंत्रालय' (Ministry of External Affairs- MEA) के अनुसार, भारत 23 जून को रूस-भारत-चीन (Russia-India-China- RIC) समूह की होने वाली 'आभासी बैठक' (Virtual Meeting) में भाग लेगा।
COVID-19 महामारी के प्रबंधन में सहयोग की दिशा में ‘गुट निरपेक्ष आंदोलन’ (Non-Aligned Movement- NAM) समूह द्वारा 'NAM संपर्क समूह शिखर सम्मेलन' (NAM Contact Group Summit- NAM CGS) का आयोजन किया गया।
RIC की ‘आभासी बैठक' पर भारत-चीन 'वास्तविक नियंत्रण रेखा' (Line of Actual Control- LAC) पर उत्पन्न तनाव के कारण अनिश्चितता की स्थति बनी हुई थी।
इस ‘आभासी सम्मेलन’ की मेज़बानी '''अज़रबैजान''' द्वारा की गई तथा सम्मेलन में 30 से अधिक राष्ट्राध्यक्षों और अन्य नेताओं ने शिखर सम्मेलन में भाग लिया।
रूस, भारत तथा चीन के मध्य LAC पर उत्पन्न तनाव को कम करने में 'रचनात्मक संवाद’ (Constructive Dialogue) स्थापित करने में प्रमुख भूमिका निभा सकता है।
यहाँ ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि 15 जून को गलवान घाटी (Galwan Valley) में चीनी सैनिकों के साथ मुठभेड़ में कम-से-कम 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे।
पृष्ठभूमि:
 
RIC समूह के निर्माण का विचार BRICS समूह से बहुत पहले वर्ष 1998 में तत्कालीन रूसी विदेश मंत्री द्वारा दिया गया था। हालाँकि RIC समूह को उतना महत्त्व नहीं दिया गया जितना BRICS समूह को दिया गया है।
यद्यपि तीनों देशों के नेताओं द्वारा संयुक्त राष्ट्र महासभा जैसे बहुपक्षीय सम्मेलनों के दौरान बैठक का आयोजन किया जाता रहा है।
===‘गुट निरपेक्ष आंदोलन’ (Non-Aligned Movement- NAM) समूह===
COVID-19 महामारी के प्रबंधन में सहयोग की दिशा में 'NAM संपर्क समूह शिखर सम्मेलन' (NAM Contact Group Summit- NAM CGS) का आयोजन किया गया। इस ‘आभासी सम्मेलन’ की मेज़बानी '''अज़रबैजान''' द्वारा की गई तथा सम्मेलन में 30 से अधिक राष्ट्राध्यक्षों और अन्य नेताओं ने शिखर सम्मेलन में भाग लिया।
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वर्ष 2014 में सत्ता संभालने के बाद पहली बार ‘गुट निरपेक्ष आंदोलन’ को संबोधित किया गया। वर्ष 2016 और वर्ष 2019 में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने NAM के शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लिया था। वे पहले ऐसे प्रधानमंत्री है जिन्होंने NAM के शिखर सम्मेलनों में भाग नहीं लिया था।
भारतीय प्रधानमंत्री ने सम्मेलन में 'आतंकवाद' और 'फेक न्यूज' के मुद्दों को उठाया तथा इन दोनों मुद्दों को 'घातक वायरस' कहा।
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: एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट बैंक एक बहुपक्षीय विकास बैंक है जिसका उद्देश्य एशिया में सामाजिक और आर्थिक परिणामों को बेहतर बनाना है। वर्ष 2016 में इसने अपना परिचालनशुरू किया था और इसका '''मुख्यालय चीन की राजधानी बीजिंग''' में स्थित है। वर्तमान में AIIB के कुल 102 सदस्य हैं। एशिया में स्थायी बुनियादी ढाँचे और अन्य संबंधित क्षेत्रों में निवेश करने से एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट बैंक (AIIB) आम लोगों, सेवाओं और बाज़ारों को बेहतर ढंग से जोड़ने का प्रयास करता है।
AIIB का वास्तविक लक्ष्य संपूर्ण एशिया में चीन के राजनीतिक कद का विस्तार करना है।
 
=== विश्व व्यापार संगठन और भारत ===
मार्च में संसद को सूचित किया गया है कि भारत अपनी निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं पर WTO के विवाद निपटान पैनल की सिफारिशों को लागू करने के लिये बाध्य नहीं है, क्योंकि भारत ने पैनल के इस आदेश को उच्च स्तर पर चुनौती दी है।
बीते वर्ष 31 अक्तूबर, 2019 को विश्व व्यापार संगठन के विवाद निपटान पैनल ने निर्णय दिया था कि '''भारत की निर्यात संबंधी योजनाएँ (Export-Related Schemes) “सब्सिडी एवं प्रतिकारी उपाय समझौते” के तहत निषिद्ध सब्सिडी (Prohibited Subsidies) की प्रकृति में आती हैं और विश्व व्यापार संगठन के मानदंडों के साथ असंगत हैं।'''
WTO के विवाद निपटान पैनल ने भारत को विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) योजना को वापस लेने के लिये 180 दिनों की समय-सीमा प्रदान की है।
क्या है विवाद?
दरअसल 14 मार्च, 2018 को संयुक्त राज्य अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि (United States Trade Representative-USTR) कार्यालय ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) में भारत की निर्यात संवर्द्धन योजनाओं को चुनौती दी थी।
USTR का तर्क था कि इन योजनाओं के कारण असमान अवसर पैदा हो रहे हैं, जिससे अमेरिकी कंपनियों को नुकसान हो रहा है। USTR के अनुसार, भारत सब्सिडी एवं प्रतिकारी उपाय समझौते '''(Agreement on Subsidies and Countervailing Measures- SCM Agreement)''' के तहत की गई अपनी प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन कर रहा है।
USTR ने इस संदर्भ में भारत की 5 निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं (निर्यात उन्मुख इकाइयों की योजनाएँ व क्षेत्र-विशिष्ट योजनाएँ) का उल्लेख किया है, जोकि निम्नलिखित हैं-
# इलेक्ट्रॉनिक्स हार्डवेयर प्रौद्योगिकी पार्क योजना (Electronics Hardware Technology Parks Scheme)
# भारत से मर्चेंडाइज़ निर्यात के लिये योजना (Merchandise Exports from India Scheme)
# निर्यात संवर्द्धन कैपिटल गुड्स संबंधी योजना (Export Promotion Capital Goods Scheme)
# विशेष आर्थिक क्षेत्र (Special Economic Zones)
# शुल्क मुक्त आयात अधिकार-पत्र योजना (Duty free Import Authorization Scheme)
USTR का मुख्य तर्क यह है कि भारत की उपरोक्त पाँच निर्यात संवर्द्धन योजनाएँ, SCM समझौते के प्रावधान 3.1 (A) और 3.2 का उल्लंघन करती हैं, क्योंकि ये दोनों प्रावधान निर्यात सब्सिडी देने पर रोक लगाते हैं।
व्यापार विवाद और भारत:-संसद में दी गई सूचना के अनुसार, भारत वर्तमान में WTO में कुल 15 व्यापार विवादों में शामिल है, जिनमें से अधिकांश अमेरिका के साथ हैं। इन विवादों में से 4 में भारत शिकायतकर्त्ता है जबकि 11 विवादों में भारत प्रतिवादी है।
: विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization) विश्व में व्यापार संबंधी अवरोधों को दूर कर वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देने वाला एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसकी स्थापना '''वर्ष 1995 में मराकेश संधि''' के तहत की गई थी।
इसका मुख्यालय '''जिनेवा''' में है। वर्तमान में विश्व के 164 देश इसके सदस्य हैं। 29 जुलाई, 2016 को अफगानिस्तान इसका 164वाँ सदस्य बना था। सदस्य देशों का मंत्रिस्तरीय सम्मेलन इसके निर्णयों के लिये सर्वोच्च निकाय है, जिसकी बैठक प्रत्येक दो वर्षों में आयोजित की जाती है।
: संयुक्त राज्य व्यापार प्रतिनिधि (USTR) एक अमेरिकी संस्था है, जो अमेरिका के राष्ट्रपति को व्यापार की नीति विकसित करने और अनुशंसा करने तथा द्विपक्षीय और बहुपक्षीय स्तरों पर व्यापार वार्ता के आयोजन तथा सरकार के भीतर व्यापार नीति के समन्वयन के लिये ज़िम्मेदार है।
 
 
खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) एक क्षेत्रीय अन्तर्राज्यीय राजनीतिक और आर्थिक संघ है। इस संघ में '''इराक और कतर''' को छोड़कर फारस की खाड़ी के सभी देश शामिल हैं। इसके सदस्य देश हैं: बहरीन, कुवैत, ओमान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात। 25 मार्च, 1981 को खाड़ी सहयोग परिषद के चार्टर पर हस्ताक्षर करने के बाद, औपचारिक रूप से GCC की स्थापना की गईं थी।
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एक हफ़्ते तक चलने वाले इस आठवें सत्र में वर्ष 2021 में न्यूयॉर्क में होने वाले विशेष सत्र की तैयारियों का भी जायज़ा लिया जाएगा.
=== विश्व व्यापार संगठन और भारत ===
 
मार्च में संसद को सूचित किया गया है कि भारत अपनी निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं पर WTO के विवाद निपटान पैनल की सिफारिशों को लागू करने के लिये बाध्य नहीं है, क्योंकि भारत ने पैनल के इस आदेश को उच्च स्तर पर चुनौती दी है।
बीते वर्ष 31 अक्तूबर, 2019 को विश्व व्यापार संगठन के विवाद निपटान पैनल ने निर्णय दिया था कि '''भारत की निर्यात संबंधी योजनाएँ (Export-Related Schemes) “सब्सिडी एवं प्रतिकारी उपाय समझौते” के तहत निषिद्ध सब्सिडी (Prohibited Subsidies) की प्रकृति में आती हैं और विश्व व्यापार संगठन के मानदंडों के साथ असंगत हैं।'''
WTO के विवाद निपटान पैनल ने भारत को विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) योजना को वापस लेने के लिये 180 दिनों की समय-सीमा प्रदान की है।
क्या है विवाद?
दरअसल 14 मार्च, 2018 को संयुक्त राज्य अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि (United States Trade Representative-USTR) कार्यालय ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) में भारत की निर्यात संवर्द्धन योजनाओं को चुनौती दी थी।
USTR का तर्क था कि इन योजनाओं के कारण असमान अवसर पैदा हो रहे हैं, जिससे अमेरिकी कंपनियों को नुकसान हो रहा है। USTR के अनुसार, भारत सब्सिडी एवं प्रतिकारी उपाय समझौते '''(Agreement on Subsidies and Countervailing Measures- SCM Agreement)''' के तहत की गई अपनी प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन कर रहा है।
USTR ने इस संदर्भ में भारत की 5 निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं (निर्यात उन्मुख इकाइयों की योजनाएँ व क्षेत्र-विशिष्ट योजनाएँ) का उल्लेख किया है, जोकि निम्नलिखित हैं-
# इलेक्ट्रॉनिक्स हार्डवेयर प्रौद्योगिकी पार्क योजना (Electronics Hardware Technology Parks Scheme)
# भारत से मर्चेंडाइज़ निर्यात के लिये योजना (Merchandise Exports from India Scheme)
# निर्यात संवर्द्धन कैपिटल गुड्स संबंधी योजना (Export Promotion Capital Goods Scheme)
# विशेष आर्थिक क्षेत्र (Special Economic Zones)
# शुल्क मुक्त आयात अधिकार-पत्र योजना (Duty free Import Authorization Scheme)
USTR का मुख्य तर्क यह है कि भारत की उपरोक्त पाँच निर्यात संवर्द्धन योजनाएँ, SCM समझौते के प्रावधान 3.1 (A) और 3.2 का उल्लंघन करती हैं, क्योंकि ये दोनों प्रावधान निर्यात सब्सिडी देने पर रोक लगाते हैं।
व्यापार विवाद और भारत:-संसद में दी गई सूचना के अनुसार, भारत वर्तमान में WTO में कुल 15 व्यापार विवादों में शामिल है, जिनमें से अधिकांश अमेरिका के साथ हैं। इन विवादों में से 4 में भारत शिकायतकर्त्ता है जबकि 11 विवादों में भारत प्रतिवादी है।
: विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization) विश्व में व्यापार संबंधी अवरोधों को दूर कर वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देने वाला एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसकी स्थापना '''वर्ष 1995 में मराकेश संधि''' के तहत की गई थी।
इसका मुख्यालय '''जिनेवा''' में है। वर्तमान में विश्व के 164 देश इसके सदस्य हैं। 29 जुलाई, 2016 को अफगानिस्तान इसका 164वाँ सदस्य बना था। सदस्य देशों का मंत्रिस्तरीय सम्मेलन इसके निर्णयों के लिये सर्वोच्च निकाय है, जिसकी बैठक प्रत्येक दो वर्षों में आयोजित की जाती है।
: संयुक्त राज्य व्यापार प्रतिनिधि (USTR) एक अमेरिकी संस्था है, जो अमेरिका के राष्ट्रपति को व्यापार की नीति विकसित करने और अनुशंसा करने तथा द्विपक्षीय और बहुपक्षीय स्तरों पर व्यापार वार्ता के आयोजन तथा सरकार के भीतर व्यापार नीति के समन्वयन के लिये ज़िम्मेदार है।
===संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (United Nations Convention on the Law of the Sea-UNCLOS)===
समुद्री मत्स्य विनियमन और प्रबंधन (MFRM) विधेयक 2019 को चर्चा और सुझावों हेतु पब्लिक डोमेन में रखा गया है। इस विधेयक को लाने का कारण '''संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (UNCLOS), 1982 और विश्व व्यापार संगठन (WTO)''' के नियम हैं, जिनके अनुसार भारत को अपने मत्स्य पालन क्षेत्र को विनियमित करने हेतु कानूनों का निर्माण करना है।