"समसामयिकी 2020/अंतरराष्ट्रीय संस्थान": अवतरणों में अंतर

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बेसिक (BASIC) देशों (ब्राज़ील, दक्षिण अफ्रीका, भारत और चीन) के पर्यावरण मंत्रियों का सम्मेलन बीजिंग (चीन) में आयोजित किया गया। इस सम्मेलन के बाद पेरिस समझौते (वर्ष 2015) के व्यापक कार्यान्वयन के लिये एक बयान जारी किया गया।
विदेश मंत्रालय' (Ministry of External Affairs- MEA) के अनुसार, भारत 23 जून को रूस-भारत-चीन (Russia-India-China- RIC) समूह की होने वाली 'आभासी बैठक' (Virtual Meeting) में भाग लेगा।
 
RIC की ‘आभासी बैठक' पर भारत-चीन 'वास्तविक नियंत्रण रेखा' (Line of Actual Control- LAC) पर उत्पन्न तनाव के कारण अनिश्चितता की स्थति बनी हुई थी।
प्रमुख बिंदु
रूस, भारत तथा चीन के मध्य LAC पर उत्पन्न तनाव को कम करने में 'रचनात्मक संवाद’ (Constructive Dialogue) स्थापित करने में प्रमुख भूमिका निभा सकता है।
पेरिस समझौते पर प्रतिबद्धता व्यक्त करने के साथ ही मंत्रियों के समूह ने विकसित देशों से विकासशील देशों को 100 बिलियन डॉलर, जलवायु वित्त (Climate Finance) के रूप में प्रदान करने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने का भी आह्वान किया।
यहाँ ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि 15 जून को गलवान घाटी (Galwan Valley) में चीनी सैनिकों के साथ मुठभेड़ में कम-से-कम 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे।
कोपेनहेगन समझौते- Copenhagen Accord {संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP-15) 2009 के दौरान स्थापित} के तहत विकसित देशों ने वर्ष 2012 से वर्ष 2020 तक प्रति वर्ष 100 बिलियन डॉलर देने का वादा किया था।
इस फंड को हरित जलवायु कोष (Green Climate Fund- GCF) के रूप में जाना जाता है।
GCF का उद्देश्य विकासशील और अल्प विकसित देशों (Least Developing Countries) को जलवायु परिवर्तन के मुद्दों से समाधान में सहायता करना है।
हालाँकि वर्तमान में विकसित देशों द्वारा केवल 10-20 बिलियन डॉलर की सहायता राशि प्रदान की जा रही है ।
बैठक का आयोजन समान लेकिन विभेदित जिम्मेदारियाँ और संबंधित क्षमताएँ (Common but Differentiated Responsibilities and Respective Capabilities: CBDR-RC) के सिद्धांतों के आधार पर किया गया।
CBDR-RC संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (United Nations Framework Convention on Climate Change- UNFCCC) के तहत एक सिद्धांत है जो जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने में अलग-अलग देशों की विभिन्न क्षमताओं और अलग-अलग ज़िम्मेदारियों का आह्वान करता है।
बैठक में UNFCCC, क्योटो प्रोटोकॉल (वर्ष 1997-2012) और पेरिस समझौते के पूर्ण, प्रभावी एवं निरंतर कार्यान्वयन के महत्त्व को भी रेखांकित किया गया
 
===23 जून को रूस-भारत-चीन (RIC) समूह की 'आभासी बैठक' (Virtual Meeting) ===
रूस, भारत तथा चीन के मध्य LAC पर उत्पन्न तनाव को कम करने में 'रचनात्मक संवाद’ (Constructive Dialogue) स्थापित करने में प्रमुख भूमिका निभा सकता है। 15 जून को गलवान घाटी (Galwan Valley) में चीनी सैनिकों के साथ मुठभेड़ में कम-से-कम 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। तब से भारत के इस बैठक में भाग लेने को लेकर अनिश्चितता की स्थति बनी हुई थी।
: RIC समूह के निर्माण का विचार BRICS समूह से बहुत पहले '''वर्ष 1998 में तत्कालीन रूसी विदेश मंत्री द्वारा दिया''' गया था। हालाँकि RIC समूह को उतना महत्त्व नहीं दिया गया जितना BRICS समूह को दिया गया है।
यद्यपि तीनों देशों के नेताओं द्वारा संयुक्त राष्ट्र महासभा जैसे बहुपक्षीय सम्मेलनों के दौरान बैठक का आयोजन किया जाता रहा है।
RIC का महत्त्व:-तीनों देश बहुपक्षीय संस्थानों जैसे '''संयुक्त राष्ट्र, विश्व व्यापार संगठन, वैश्विक वित्तीय संस्थानों में सुधार''' का समर्थन करते हैं। तीनों देश अंतर्राष्ट्रीय तथा क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता को बढ़ावा देने के लिये सभी स्तरों पर नियमित रूप से वार्ता का समर्थन करते हैं।
तीनों देश BRICS, शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation- SCO), पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (East Asia Summit- EAS), एशिया-यूरोप बैठक (Asia-Europe Meeting- ASEM) जैसे साझा समूहों के माध्यम से आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने पर सहमत हैं।
तीनों देश यूरेशिया तथा एशिया-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक अवस्थिति के आधार पर वैश्विक शक्तियाँ हैं।
: भारत के लिये RIC का महत्त्व:-QUAD (भारत, अमेरिका, जापान तथा ऑस्ट्रेलिया) तथा JAI (जापान-अमेरिका-भारत) जैसे समूह भारत को केवल एक समुद्री शक्ति होने तक ही सीमित कर देंगे, जबकि RIC समूह वास्तव में भारत को महसागरीय शक्ति के साथ-साथ महाद्वीपीय शक्ति के रूप में उबरने में मदद कर सकता है।