व्‍यापारिक घरानों की सामाजिक जिम्‍मेदारी/भारत में इसकी स्थिति

भारत में कई अग्रणी औद्योगिक घराने पहले से ही शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य, जीविकोपार्जन निर्माण, दक्षता विकास और समाज के कमजोर वर्गों के उत्‍थान में लगे हुए हैं। जून 2009 में 300 व्‍यापारिक घरानों पर हुए एक सर्वेक्षण के अनुसार सीएसआर की गतिविधियां 20 राज्‍यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैली हुई हैं। सीएसआर का सर्वाधिक लाभ महाराष्‍ट्र को मिल रहा है। आंकडों के अनुसार सीएसआर गतिविधियों के कुल दान में से 36 प्रतिशत इस राज्‍य में संक्रेदित है तथा गुजरात इस सूची में दूसरे नम्‍बर पर है। पश्‍चिमी भारत में बसे इस राज्‍य की सीएसआर में हिस्‍सेदारी 12 फीसदी की है जबकि दिल्‍ली 10 प्रतिशत और तमिलनाडु नौ प्रतिशत के साथ क्रमश: तीसरे और चौथे पायदान पर हैं। ये कंपनियां सीएसआर के तहत समग्र तौर पर कुल 26 क्षेत्रों में काम कर रहीं हैं। इनमें पहले स्‍थान पर सायुदयिक कल्‍याण है और इसके बाद शिक्षा, पर्यावरण, स्‍वास्‍थ्‍य और ग्रामीण विकास का नम्‍बर आता है।

हालांकि यह चौंकाने वाली बात तो नहीं है लेकिन इस सर्वे से यह भी स्‍पष्‍ट हुआ है कि सीएसआर सम्‍बंधी गतिविधियां ज्‍यादातर वहीं केंद्रित हैं जहां पर वे कार्य करती हैं। दूसरे यह कि इस प्रवृत्‍ति के जारी रहने के भी संकेत हैं। इसका खराब पक्ष यह है कि सीएसआर से मिलने वाले लाभ उन्‍हीं राज्‍यों को मिल रहे हैं जो पहले से ही विकसित हैं न कि ऐसे राज्‍यों को जो विकास के निचले पायदान पर हैं और वे केंद्र सरकार की सहायता पर ही निर्भर हैं।

भारतीय कंपनियों की सीएसआर गतिविधियों पर हुए एक अन्‍य सर्वे में पाया गया कि कोई भी कंपनी इसमें उच्‍चतम स्‍तर हासिल नहीं कर सकी। इसके लिए सर्वे में शून्‍य से पाँच तक का एक विकसित पैमाना प्रयोग किया गया। कुल 500 कंपनियों में से केवल 16 प्रतिशत कंपनियों ने ही पूर्ण परिभाषित सीएसआर के अनुसार काम किया। इसका आशय यह हुआ कि शेष 84 प्रतिशत कंपनियों ने सीएसआर के इस विचार को अभी ग्रहण नहीं किया है। इसके अलावा समझ की कमी, अपर्याप्‍त प्रशिक्षित मानव श्रम, वास्‍तविक आंकड़ों की कमी, नीति और सीएसआर गतिविधियों की विशिष्‍ट जानकारी का अभाव भी इसके कार्यक्रमों और पहुंच को कठिन बना रहे हैं।

सरकार सीएसआर से जुड़ी पहलों को मजबूत बनाने की दिशा में एक ढांचे का निर्माण बनाने का प्रयत्‍न कर रही है। इस बात का भी प्रयास किया जा रहा है कि हरित पहल करने वाली कंपनियों को मिलने वाले कार्बन क्रेडिट की तर्ज पर ही सीएसआर अपनाने वाली कंपनियों को सीएसआर क्रेडिट दिया जा सके।