व्यापारिक घरानों की सामाजिक जिम्मेदारी/संकल्पना
सीएसआर का मूल विचार वर्ष 1953 में उस समय सामने आया जब एक व्यापारी विलियम जे बोवेन ने सामाजिक जिम्मेदारी के बारे में अपने विचार जाहिर किए। लेकिन सीएसआर को प्रसिद्धि वर्ष 1990 में ही मिली। हालांकि इसकी शब्दावली अभी भी बहुत स्पष्ट तौर पर सामने नहीं आयी है और इसके अनुप्रयोगों पर एकमतता भी नहीं हैं।
वैश्विक तौर पर सीएसआर का विचार सामुदायिक विकास के रूप में ज्यादा ग्रहण किया जा रहा है। इसके तहत औद्योगिक घराने खुद की क्षमता के विकास के लिए सामुदायिक विकास का काम करते हैं। हालांकि कंपनियां अभी भी धर्मदान को सीएसआर की तुलना में महत्व दे रही हैं पर इसकी अब आलोचना भी की जा रही है। इसकी वजह यह है कि धर्मदान करने से संबंधित संस्था पूरी तरह दाता पर ही निर्भर हो जाती है और आगे चलकर उसकी दक्षता में कमी आती है।