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हिंदी कविता (आदिकालीन एवं भक्तिकालीन) सहायिका/गीत
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खुसरो/
(1)काहे को ब्याही विदेश रे,लखि बाबुल मोरे।
(2)बहुत कठिन है डगर पनघट की