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हिंदी कविता (आदिकालीन एवं भक्तिकालीन) सहायिका/त्रिबली वर्णन
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त्रिबली वर्णन
मंझन/
(१)करी माहैं त्रिबली कसि अही।
(२)दसन जोति बरनी नहिं जाई।