हिंदी कविता (छायावाद के बाद) सहायिका/मारे जायेंगे

हिंदी कविता (छायावाद के बाद) सहायिका
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मारे जाएंगे

संदर्भ सम्पादन

प्रस्तुत कविता राजेश जोशी द्वारा रचित कविता 'मारे जाएंगे' से अवतरीत हैं। इस कविता मे हिंसात्मक घटना का वर्णन किया गया है| इनमे दंगे की आग में लोगों को जलता हुआ दिखाया गया है| किस प्रकार लोग पागल हुए जा रहे हैं| इसका बहुत ही मार्मिक चित्रण राजेश जोशी ने प्रस्तुत किया है|

प्रसंग सम्पादन

इस कविता में कवि ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खतरों को व्यक्त किया है। क्योंकि चापलूसों की दुनिया में साफ स्वच्छ अभिव्यक्ति संभव ही नहीं है। यदि अभिव्यक्ति होगी तो अपराध माना जाएगा । इस कविता में वर्तमान में चल रहे दंगे की आग को दिखाने का प्रयास किया गया है| कैसे लोग दंगे की आग में पागल हो जाते हैं इस पागलपन की स्थिति को राजेश जोशी बहुत मार्मिक तरीके से प्रस्तुत किया है|

व्याख्या सम्पादन

कवि कहता है किस तरह लोग दंगे की आग से पागल हुए जा रहे हैं| इसको कवि ने पागलपन की स्थिति माना है| जो इस पागलपन में शामिल नहीं होते मारे जाते हैं| जो शरीफ हथियार तलवार बंदूक आदि नहीं रखते वह मारे जाता है| क्योंकि लोग पागल हो जाते हैं| और कुछ भी समझ नहीं पाते और मानवता वहां खत्म हो जाती है| लोग एक दूसरे के खून के प्यासे हो जाते हैं| इसलिए कवि ने कहा है जो शरीफ लोग हैं वह मारे जाएंगे| इस कविता में राजेश जोशी ने अमानवीय समाज का चित्रण दंगों के माध्यम से किया है| इस पागलपन में जो लोग शामिल नहीं होंगे उन्हें कटघरे में खड़ा कर दिया जाएगा| और जो विरोध करेंगे उनकी आवाज को सरकार दबाने का भरपूर प्रयास करती है| क्योंकि कवि कहता है कि दंगे सरकार की भूमिका के बगैर नहीं हो सकते| सरकार के पास बहुत ताकत होती है| सरकार दंगे को करवा सकती है |तो दंगे को शांत करने के भी उसके पास अपार शक्ति होती है| जो सच बोलेंगे उनको दबा दिया जाएगा| जो धर्म की आड़ में शरारत नहीं करेंगे और जुलूस में ध्वज लेकर नहीं जाएंगे वह भी मारे जाएंगे| उनको उसी के धर्म के लोग मार देंगे|कविता मे कवि ने यह दिखाया है की सत्ता को प्राप्त करने के लिए शासक वर्ग घिनोनी से घिनोनी गतिविधि करने मे भी संकोच नहीं करते |यह भारतीय राजनीति मे गिरता स्तर देखने को आता है|जो शासक वर्ग की सत्ता के प्रति मोह माया कुछ ज्यादा ही देखने को मिलती है |एक नेता दूसरे नेता की कमीज को ज्यादा दागादार करने की कोशिश करता है|और उनकी हत्या करने मे भी संकोच नहीं करता है |राजेश जोशी ने मारे जायेगे कविता के माध्यम से दंगे की पागलपन कि स्थिति को उजागर किया है दंगे हमेशा पागलपन की निशानी है|जो लोग इस मे शामिल होते है वह पागल हो जाते हैं|और परिणाम होता है|अमानवीय गतिविधियां जन्म लेने लगाती है| और सब तरफ रक्त रंजित खेल चालू हो जाता है| जिससे देश में डर का माहौल बनता है| और लोग दहशत में जीने को मजबूर होते है|पर सरकार इसको रोकने की बजाएं और इसको हवा प्रदान करती है|जिससे दंगे एक भयानक रूप में तब्दील हो जाते है| जिससे काफी लोगों की जान जाती है जो देश को कलंकित करती है| "भीष्म साहनी" ने "तमस" में और "यशपाल" ने "झूठा सच" जो कि एक राजनीतिक घटना प्रधान उपन्यास है उपन्यास में राजनीति की भेंट चढ़े भीषण घटनाओं का चित्रण किया है| "कमलेश्वर" का "कितने पाकिस्तान" पाठक वर्ग को यह बताते हैं की हमारा समाज कितने टुकड़ों में बटा हुआ है | यह उपन्यास मुख्य रूप से राजनीतिक घटनाओं पर आधारित है|

2 जिले के नहीं जाएंगे वह भी मारे जाएंगे कि कवि समाज में हो या अन्य समाज में जो समाज के साथ नहीं चलेगा वह मारा जाएगा। चाहे समाज में चलने के लिए कैसा ही घटिया रास्ता क्यों न हों समाज में सब पागलों की भीड की भांति काम शामिल नहीं होंगे वे मारे जाएँगे अर्थात विरोध करना बेवकफी मानी जाएगा। जो सच बोलेगा वो मार जाएँगे। इस करते हैं। कवि का मानना है कि जो इस पागलपन में समाज में कोई किसी को अपने से श्रेष्ठ या ऊपर नहीं देख सकता है जैसे कोई अपनी कमीज से दूसरे की सफेद देखना पसंद नहीं करता है। दूसरों की भांति अपनी कमीज पर आपको दाग लगाने होंगे अन्यथा आपकी निंदा होगी।

इस दुनिया में सत्ताधारी शक्ति सम्पन्न अपने से ऊपर किसी को कुछ नहीं समझते हैं। अगर कोई उनसे ऊपर दिखता है तो समझो वह मारा जाएगा उसे अपने ही गुणों के कारण खतरे उठाने होंगें। वे कहते हैं जो ऐसे लोगों की हाँ में हाँ नहीं मिलाकर चलते हैं। उन्हें बरबस बहिष्कृत कर दिया जाएगा। उन्हें कला की साहित्य की दुनिया में बाहर कर दिया जाएगा। जो लोग चारण नहीं है अर्थात् दासता नहीं स्वीकारा चाहते, जो चापलूस नहीं है वे मारे जाएंगे। जो लोग धर्म के ठेकेदार बने बैठे हैं कि आप उन पीछे उनके कह अनुसार उनके धर्म का झंडा नहीं उठाएँगे, उनके हाथ जुलूस में नहीं जाएंगे तो उन्हें आफिर (नास्तिक) समझा जाएगा उन्हें धर्म के विरोध में गोलियाँ मार दी जाएगी। उनके खिलाफ ये धर्म ध्वजी फ़तवा जारी कर देंगे। कवि कहता है कि सबसे बड़ा अपराध तो तब माना जाएगा जब आप अपराधी न हों। हिंसा करने वाला, अपराधी ही सबसे श्रेष्ठ माना जाएगा अगर आप इन लोगों की तरह नहीं बनेंगे तो आप अपराधी कहलाए जाएंगे और आपको इसका दुष्परिणाम भी भोगना होगा।

विशेष सम्पादन

  1. समाज में किस प्रकार की सोच चलती है उसको उभारा गया है!
  2. उर्दू लिखित शब्दावली है!
  3. सपाटबयानी की शैली है !
  4. 'सच-सच' पुनरुक्ति अलंकार !