हिंदी पत्रकारिता/जनतांत्रिक व्यवस्था में चौथे खंभे के रूप में पत्रकारिता का दायित्व

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जनतांत्रिक व्यवस्था में चौथे खंभे के रूप में पत्रकारिता सम्पादन

प्रजातंत्र में पत्रकारिता का विशेष महत्व होता है। समय और समाज के संदर्भ में सजग रहकर नागरिकों में दायित्व बोध कराने की कला को पत्रकारिता करते हैं। आज पत्रकारिता जनसेवा का सशक्त माध्यम है। पत्रकारिता हमें हमारे समाज, देश की समस्याओं तथा विचारों से रूबरू नहीं कराती बल्कि संपूर्ण विश्व भर की घटनाओं को हमारे सामने प्रस्तुत करती हैं। आज पत्रकारिता एक ऐसी शक्ति बन गई है, जो समाज की कमियों, गलतियों तथा कुरीतियों को उजागर करके उन्हें दूर करने का प्रयास करती है।

प्रजातांत्रिक व्यवस्था के तीन स्तंभ व्यवस्थापिका, कार्यपालिका, और न्यायपालिका है। इनमें से कौन पहला तथा कौन ज्यादा महत्वपूर्ण है? यह चर्चा का विषय है। परंतु निर्विवादित रूप से चौथा स्तम्भ पत्रकारिता ही हैं। पत्रकारिता का जन्म और शासक और शासित के मध्य एक समझदारी, समन्वय तथा तारतम्यता बनाए रखने के उद्देश्य से हुआ। चूंकि लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में सामान्य लोग अपने मतदान के अधिकार का प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से प्रयोग कर अपने शासकों का चुनाव करते हैं।यह आवश्यक हो जाता है कि शासक यह समझे कि शासित क्या चाहता है और शासित भी जाने कि उनके शासक उनके और देश के लिए कैसे काम कर रहे हैं! अतः पत्रकारिता ही वह माध्यम है जो जनता की भावनाओं के भावनाओं के अनुकूल नीति निर्धारण करने का दबाव बनाता है। इसी प्रकार शासक देश की अर्थव्यवस्था, सुरक्षा, शिक्षा, विदेश नीति को किस दिशा में ले जाना चाहते हैं। इसकी संपूर्ण जानकारी पत्रकारिता के माध्यम से जनमानस को हो पाती है।

लोकतांत्रिक व्यवस्था में पत्रकारिता का सर्वाधिक महत्वपूर्ण कार्य लोकतांत्रिक मूल्यों की स्थापना और उनकी रक्षा करना है। एक ओर पत्रकारिता शासकों के निजी एवं सार्वजनिक आचरण पर नियंत्रण रखता है और उन्हें साफ-सुथरी शासन की प्रक्रिया को स्थापित करने के लिए बाध्य करता है। लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधानमंडलों में होने वाली नीतिगत गंभीर बहस तथा अन्य अनेक ज्वलंत मुद्दों पर होने वाली चर्चा से पत्रकारिता लोगों को परिचित कराता है और लोगों को उनके जनतांत्रिक अधिकारों और कर्तव्यों से भी अवगत कराता है। वही पत्रकारिता अपने कर्तव्य द्वारा कार्यपालिका को निरंकुश तथा भ्रष्ट होने से रोकता है, और अन्य जरूरी सूचनाओं को जन-जन तक‌ पहुंचाता है। न्यायपालिका के महत्वपूर्ण एवं ऐतिहासिक फैसलों की जानकारी भी सरल एवं स्पष्ट रूप में उपलब्ध कराता है। इन सब कर्तव्य का निर्वाह करने के लिए पत्रकारिता का स्वतंत्र एवं निष्पक्ष होना अत्यंत आवश्यक है नहीं तो वह खुलकर सरकार की आलोचना नहीं कर पाएगी तथा हाशिए पर खड़े विषयों, लोगों को केंद्र में नहीं ला पाएगी।

जनमत निर्माण की दिशा में भी पत्रकारिता की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी भी नीति को देश या विदेश के नागरिकों पर बलपूर्वक थोपा नहीं जा सकता है। किसी भी नीति को लागू करने के लिए जनमत की आवश्यकता होती है या काम वृहद स्तर पर पत्रकारिता (प्रेस) करता है।