हिन्दी भाषा और उसकी लिपि का इतिहास
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कंप्यूटर शब्द की उत्पत्ति लेटिन भाषा के 'computare' शब्द से हुई है, जिसका तात्पर्य है गणना या गिनती करना। दूसरे शब्दों में कंप्यूटर एक ऐसी इलेक्ट्रॉनिक मशीन है जो पूर्व निर्धारित निर्देशों के अनुसार आंकड़ों को प्राप्त करके उनका संसाधन (प्रोसेसिंग) द्वारा प्राप्त परिणाम को निर्गम (output) इकाई द्वारा विभिन्न रूपों में प्रस्तुत करती है तथा आंकड़ों को भविष्य के लिए सुरक्षित रखती है। वर्तमान समय में कंप्यूटर का आविष्कार एक क्रांतिकारी घटना है, और यह लगभग जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में प्रवेश कर चुका है। विद्वानों ने इसे संगणक नाम दिया है।

भारत में सबसे पहला कंप्यूटर 1955 ई. में आया था। आज बिजली, टेलीफोन के बिल, उद्योग जगत, रेल हवाई यात्रा की टिकट बुकिंग आदि सभी क्षेत्रों में कंप्यूटर का दखल है।

पहले कंप्यूटर में रोमन लिपि का बोलबाला था लेकिन वर्तमान समय में देवनागरी में समस्त सुविधाएँ उपलब्ध हैं। हिन्दी का पहला द्विभाषी कंप्यूटर 'सिद्धार्थ' बना। यह रोमन और देवनागरी दोनों में काम कर सकता था। बाद में 'लिपि' नाम से एक और विकसित कंप्यूटर तैयार किया गया, जिनमें रोमन के साथ-साथ नागरी, तमिल, मराठी आदि में से दो लिपियों की व्यवस्था संभव है।

वर्तमान युग में कंप्यूटर में महत्व इंटरनेट का है, वर्तमान में नेट पर देवनागरी में प्रकाशित होने वाले अनेक समाचार पत्र और पत्रिकाएं उपलब्ध हैं। जैसे-हंस, आजकल, नया ज्ञान उदय, सहृदय, सहचल आदि इंटरनेट पर उपलब्ध हैं। हिन्दी में अनेक पुस्तकें भी नेट पर उपलब्ध हैं और उनकी संख्या प्रतिदिन बढ़ रही है। अब तो ऑनलाइन फ़ॉर्म भरने की सुविधा भी नागरी में उपलब्ध है। इसके साथ साथ ऑनलाइन कक्षाएँ एवं परीक्षाएं भी इंटरनेट के माध्यम से ली जा रही हैं।

सूचना प्रौद्योगिकी की क्रांति

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राजभाषा विभाग में सूचना प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए हिन्दी सॉफ्टवेयर विकसित किए जिससे इच्छुक कर्मचारी आसानी से अपना काम कर सकें। इसमें एक सॉफ़्टवेयर है मंत्रराजभाषा जो अंग्रेज़ी से हिन्दी अनुवाद के लिए सहायक है। इसके अलावा हिन्दी सीखने का ऑनलाइन पाठ्यक्रम है लीला जिसे अंग्रेज़ी तथा अन्य भारतीय भाषाओं की सहायता से सीख सकते हैं।

सूचना क्रांति के युग में मल्टीमीडिया गुरु भी कभी उपयोगी सिद्ध हुआ है। 'युनिकॉर्ड टेक्नोलॉजी' नागरी के लिए वरदान स्वरूप आई है। हिन्दी में पहले भी चाणक्य और कृति देव जैसे सॉफ्टवेयर से काम हो रहा था। यूनिकॉर्ड ने तो कंप्यूटर और लिपि के संबंध को पुनः व्याख्यित कर दिया है। यूनिकोड 16 बिल का कोड है, जिसमें 65536 संकेत उपलब्ध हैं। इसमें में विश्व की लगभग सभी भाषाओं में काम संभव है।

यूनिकोड से कार्य में एकरूपता आती है तथा अलग-अलग प्रकार के फ़ॉण्ट से मुक्ति मिलती है। आज कार्यालयों के सभी कार्य देवनागरी में सरलता से संभव है। हिन्दी की फाइलों का आदान-प्रदान सहज रूप से हो रहा है। यूनिकोड का प्रचलित फ़ॉण्ट "मंगल" है। यूनिकोड आधारित हिन्दी, देवनागरी, IME TOOL आदि जैसे उपकरणों की सहायता से टंकित की जा सकती है।

कंप्यूटर में नागरी लिपि के प्रयोग का प्रथम प्रयास इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, हैदराबाद द्वारा किया। वर्तमान समय में कंप्यूटर निर्माताओं द्वारा 40 से अधिक हिन्दी के सॉफ्टवेयर बाजार में उपलब्ध करा दिए गए हैं। जिनमें अक्षर प्रकाशक सुलिपि, इंडिका और मल्टिवर्ड आदि प्रमुख हैं। कुछ संस्थाएं भी इस प्रयास में लगी हुई है जिनमें आईआईटी कानपुर, आईआईटी दिल्ली और केंद्रीय हिन्दी संस्थान दिल्ली प्रमुख हैं।

वर्तमान समय में कंप्यूटर पर यूनिकोड में देवनागरी अथवा हिन्दी टंकण की तीन विधियां प्रचलित हैं:

रोमिंगटन टंकण शैली
इसका कीबोर्ड रोमिंगटन टाइपराइटर की कीबोर्ड के समान है। जिन लोगों ने पहले टंकण सीख रखी है उनके लिए यह सर्वाधिक उपयोगी है। इसमें जिस वर्णक्रम में पाठ दिखाई देता है उसी तरह से उसे टंकित भी किया जा सकता है।
TOE फ़ोनेटिक
इसमें सभी भारतीय भाषाओं के वर्णों के लिए समरूपता है। जैसे, कीबोर्ड पर POT सभी भारतीय भाषाओं में प और ट की कुँजियाँ होंगी। इस टंकण शैली का सिद्धांत है जिस क्रम में पाठ का उच्चारण किया जाता है उसी वर्णक्रम में उसे टंकित करना। इस टंकण शैली की विशेषता है कि इसमें व्यक्ति रोमन अथवा अंग्रेज़ी के ज्ञान के बिना भी नागरी अथवा अन्य भारतीय लिपियों में टंकण कार्य कर सकता है।
फोनेटिक इंग्लिश / रोमानिल्ड लेआउट
जगदीप सिंह दांगी के अनुसार, इसका ध्वन्यात्मक लिप्यंतरण आधारित कीबोर्ड लेआउट कंप्यूटर का वास्तविक कीबोर्ड लेआउट OWERT यह एक लिप्यंतरण विधि है जिससे की हिन्दी आदि भारतीय लिपि को आपस में तथा रोमन में बदला जाता है। इस टंकण शैली में प्रियोगकर्ता हिन्दी टेक्स्ट को रोमन लिपि में टंकित करता है और यह देवनागरी में धवन्यात्मक रूप में परिवर्तित हो जाता है। उदाहरण: विचार → Vichar

इस प्रकार हिन्दी ने अति अल्प समय में कंप्यूटर के क्षेत्र में आशाजनक वृद्धि की है। जैसे-जैसे यह तकनीक विकसित होगी और भारतीय जनता के सभी वर्गों तक इसकी पहुँच होगी तो निश्चित रूप से भारत प्रगति की राह पर होगा, और इस प्रकार नागरिक क्षेत्र में कंप्यूटर का भविष्य उज्ज्वल होगा।